भारत के 12 गांव बसे हैं ‘पाताल’ में, पौराणिक कथा से है सम्बन्ध | 12 villages in India are in ‘Hades’, related to mythology
Nature WorldWide February 17, 2021 1
पाताललोक में बसे गांव, सुनने में बड़ा अजीब सा लगता है लेकिन वास्तव में एक ऐसी जगह है जिसे देख कर लगता है की सचमुच का पाताललोक है, और इस स्थान का नाम भी पातालकोट है।

पातालकोट छिंदवाड़ा जिले के तामिया विकास खंड के अंतर्गत आता है और यह तामिया से लगभग 20 किलोमीटर की दुरी पर 80 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में सघन जंगल बसा हुआ है। आओ जाने विस्तारपूर्वक इस जगह के बारे में:-
1. पातालकोट की ‘दुनिया’ 1700 फीट नीचे बसी है|Patalkot’s ‘world’ is settled down 1700 feet
दुनिया अनेक ऐसी जगह है जो इंसान और विज्ञान को आश्चर्य में दाल दे। मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले के तामिया विकशखण्ड के अंतर्गत एक छुपी हुई दुनिया है जिसे पातालकोट के नाम से जानते है।

कुछ वर्ष पहले तक इसके बारे में किसी को पता भी नहीं था, सदियों से यहाँ मनुष्य का निवेश रहा लेकिन अब तक बाहरी दुनिया के लिए अनजान बानी रही। पातालकोट घाटी में 12 गांव बसे हुए हैं। ये गांव जमीन से 1700 फीट नीचे बसे हुए हैं।
2. कई गांवों तक अब भी पहुंचना मुश्किल|Many villages still difficult to reach
जैसे की, बाहरी दुनिया से जुड़े पातालकोट को अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है। सरकार यहाँ पर निवेश करने वाली जान जाती के लिए मुलभुत सुविधाएं पहुंचने की निरंतर कोशिश कर रही है परन्तु अब भी यहाँ कई ऐसे गांवो जिन तक अब भी पहुंचना मुश्किल है।
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जमीन से बहोत नीचे होने और विशाल पहाड़ियों से घिरे होने के कारण यहाँ कई हिस्सों में सूरज की रोशनी भी देर से और कम पहुंच पाती है।

घने जंगल के कारन अब तक यहाँ के कई गांव तक पहुंचने कर मार्ग दुर्गम बना हुआ है।
3. बादल ढक लेते हैं पूरी घाटी को|Clouds cover the entire valley
इसके भौगोलिक सरंचना के आधार पर कल्पना मात्र से समझ में आता है की बरसात के मौसम में यहाँ हालात होते होंगे। बादल बरसात के मौसम में इस घाटी को पूरी तरह ढक लेते है और बादल यहां तैरते हुए नजर आते हैं।
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इन्हें देखकर लगता है कि मानो धरती के भीतर बसी दुनिया सच की पाताललोक हो। इन दिनों में यहाँ कई दिनों तक धुप का नामो निशान नहीं होता बस हर वक़्त अँधेरा ही छाया होता है। यहाँ पर सामान्य से अधिक बारिश है क्यों की यहाँ जो बादल आये है ओ यहाँ की पहाड़ियों में उलझकर बरस जाते है।
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4. रावण पुत्र मेघनाद यहीं से गया था पाताल|Ravana’s son Meghnad had gone from here
पौरान्विक कथाओ के आधार पर कहा जाता है की रावण पुत्र मेघनाथ भगवान शिव के तपसिया कर रही से पाताललोक को गया था। इस स्थान पर जाने के बाद ऐसा लगता है की दुनिया बहोत छोटी है और यही सब कुछ है। यहाँ हर दिन सूरज की धुप कुछ घंटो के लिए ही आती है और शाम के समय में भी जल्दी ही अँधेरा हो जाता है।
5. भारिया और गोंड समुदाय के लोग रहते हैं|The people of Bharia and Gond community live
यहाँ पर भारिया और गोंड आदिवासी समुदाय के लोग रहते है जो पूर्ण रूप से प्रकृति से जुड़े हुए है। यहाँ के गांव में रहने वाली जनजाति सिर्फ पातालकोट में ही पाई जाती है ये पारम्परिक रूप से खेती और और पशुपालन पर पूर्ण रूप से आश्रित है।
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सरकार यहाँ पर विकाश के नाम पर अनेक योजनाए चल रही है जिन से इन लोगो को लाभ मिल सके। साल 2007 में यहाँ पर पहला आंगनवाड़ी केंद्र खुला।
6. दुधी नदी बहती है घाटी में|Dudhi river flows in the valley
पातालकोट घाटी में ‘दुधी’ नाम की नदी बहती है। इस घाटी की सरचना घोड़े के नाल के आकार की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह दुधी नदी यहाँ निवास करने वालो की लिए जीवन दायनी से काम नहीं क्यों की पेयजल के लिए ऐसी नदी का पानी इस्तेमाल किया जाता है।

आम लोगो के आगमन के बाद यहाँ के प्रकृति और वन संसाधनो पर खतरा बना हुआ है। यहां पायी जाने वाली दुर्लभ जड़ी बूटियों का बेरहमी से दोहन करना शुरू किया जा चुका है।
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7. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव|Impact of climate change
तेजी से हो रहे जल परिवर्तन के कारण यहां पिने के पानी की समस्या अब गंभीर रूप धारण कर चुकी है और लोगों के लिए पानी का एकमात्र स्रोत पहाड़ों से निकलने वाली जलधाराएं जिनमे भी अब धीरे धीरे पानी काम होता जा रहा हैं।

यहाँ निवास करने वाले ग्रामीण बताते है की पहले इन जलधाराओं में साल भर पानी रहता था, लेकिन अब बरसात बीतने के कुछ समय बाद ही यह सूख जाती हैं। यह सब जलवायु परिवर्तन और बाहरी हस्तक्षेप की वजह से हुआ है। जब से यहाँ बाहरी हस्तक्षेप हुआ है तब से प्रकृति संसाधनों का दोहन बाद गया है।
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8. बुनियादी सुविधा की तलाश|Looking for Basic facilities
कुछ सालो से जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या और बुनियादी सुविधा के तलाश में अब यहाँ रहने वाले लोग अपनी रोजी रोटी की तलाश में शहर की ओर जाने लगे है। सरकार यहाँ रहने वालो लोगो के लिए बेहतर सुविधा प्रदान करने की कोशिश कर रही है फिर भी पातालकोट के सारे गांवो में आसानी से पहुंचना आसान नहीं है यहाँ रहने वालो के लिए सिर्फ खेती और पशुपालन ही जीविका का आधार है।
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