छिंदवाड़ा किस लिए प्रसिद्ध है/ What is Chhindwara Famous For

देश के ह्रदय, मध्य प्रदेश का यह सबसे बड़ा जिला, छिंदवाड़ा अपनी सीमाओं के भीतर अनेक पर्यटन स्थल होने के कारण प्रदेश के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक माना जाता है। यहाँ पर घने जंगलों से लेकर सूंदर नदियों, प्राचीन किलों के संग्रहालय, कोयले की खदान से लेकर संतरो के बागान और चमत्कारी मंदिरों से लेकर ऊंची-ऊंची पहाड़ियों तक, बहुत कुछ है।

Satpura Range - Wikipedia
Satpuda Range

छिंदवाड़ा जिले में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला का विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है, और यह राजा भक्त बुलंद का शासन हुआ करता था, जो तीसरी शताब्दी के दौरान इस क्षेत्र के अंतर्गत राज्य किया करते थे। इसलिए, आज भी यह क्षेत्र अपने अंदर अनेक प्राचीन स्थल के रहस्य छिपाये हुए है। जिले के सिमा क्षेत्र में कई प्राचीन और रहस्यमई स्थान है जो अचंभित करने वाले है।

Corn City

हाल ही के कुछ सालो से मक्के की अच्छे उत्पादन के कारन अब इसे कॉर्न सिटी के नाम से भी जाना जाता है।

हिल स्टेशन तामिया, छिन्दवाड़ा/ Hill Station Tamia Chhindwara

तामिया को छिंदवाड़ा जिले का हिल स्टेशन कहा जाता है। यह सतपुड़ा पर्वत क्षेत्र के अंतर्गत आता है। तामिया जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है, यह स्थान समुद्र तल से 1200 मीटर की उचाई पर है, यह अक्षर तेज हवाएं चलती है। तामिया में स्थित रेस्ट हाउस से यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता का भरपूर आनंद लिया जा सकता है चाहे गर्मी का मौसम हो या सर्दी का।

Tamia

सर्दियों में यहाँ बहोत घनघोर कोहरा छाया रहता है। पहाड़ी एरिया होने की वजह से यहाँ पर समय से अधिक बारिस होती है। यहाँ एक ही स्थान से पहाड़ी की चोटी, विशाल हरियाली और गहरी घाटियों के मनोरम दृश्य ह्रदय को भा जाते है। आज कल की भाग दौड़ भरी जिंदगी से ऊब कर यहाँ प्राकृतिक वातावरण में कुछ समय जरूर बिता चाहिए।

तामिया की प्राकर्तिक सुंदरता मन को शांत और शीतलता का अहसास कराती है। यहाँ का अनुभव आपके बचपन में पड़ी गई किताबों और कार्टून में दर्शाए गए जंगलों का जीता जगता उदाहरण है।

पातालकोट की छिपी दुनिया, छिन्दवाड़ा/ Hidden World of Patalakot, Chhindwara

पातालकोट गहरी हरी-भरी घाटियों के बीच में स्थित है, पातालकोट छिंदवाड़ा जिले में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का एक स्थान है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वह स्थान है जहां मेघनाथ, दानव-राजा रावण के पुत्र, भगवान शिव की पूजा करते थे। आज, पातालकोट अपनी हरी पहाड़ियों और सुंदर परिदृश्य के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।

Patalkot

यदि आप शांति के बीच ब्रेक लेना चाहते हैं, तो पातालकोट छिंदवाड़ा में एक उपयुक्त स्थान है। पातालकोट क्षेत्र के अंदर लगभग 12 गॉव बसे हुए जहा पहुंचने के लिए बहुत ही दुर्गम मार्ग का उपयोग किया जाता है। कुछ दशक पहले तक यहाँ के रहवासी आधुनिक दुनिया से अनजान थे।

यहाँ पहुंचने का मार्ग बहोत कठिन होने के कारन यहाँ कोई जाता नहीं था, लेकिन अब पर्यटन की दृस्टि से अब पर्यटकों का आवागमन जारी रहता है।  

छिंदवाड़ा में प्राकृतिक स्थान/ Natural Place In Chhindwara

सतपुड़ा पर्वत रेंज छिंदवाड़ा के अधिकांश क्षेत्र में फैली हुई है जिस कारण जिले की प्राकर्तिक सुंदरता में चार चाँद लग जाते है। जिले की सिमा के भीतर कई प्राकर्तिक स्थान है जिनमे प्रमुख रूप से पातालकोट, पेंच नेशनल पार्क और तामिया का क्षेत्र आता है। ये तीनो ही स्थान अपनी अलग-अलग विशेषताओं के लिए जाने जाते है।

प्रकृति की सुंदरता निहारने के लिए बरसात का समय बहोत ही उपयुक्त है। सड़क मार्ग से घुमावदार रास्ते से यहाँ के जंगलो के लुभावने दृश्यों का आनद ले सकते है। जिले के तीनो प्राकृतिक स्थल बहोत ही प्रचलित है, इनके बारे में कुछ और अधिक कहने जरुरत नहीं है। 

छिंदवाड़ा में धार्मिक स्थल/ Religious places in Chhindwara

जिले के अंतर्गत अनेक प्राचीन एवं चमत्कारी मंदिर आते है, सब की अपनी अलग अलग विशेताएं और मान्यताये है। कुछ प्रमुख मंदिर व धार्मिक स्थल निचे दर्शाये गए है-

चमत्कारी हनुमान मंदिर, जामसांवली, सौसर

हिंगलाज माता मंदिर, परासिया

कपूर्दा माता मंदिर, चौरई

राघादेवी मंदिर, रामाकोना (सौसर)

अन्होंनी, झिरपा तामिया

अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग मोहगांव, सौसर

हनुमान मंदिर सिमरिया/सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर सिमरिया

101 फिट सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर सिमरिया

छिंदवाड़ा जिले की सीमा में आने वाले अन्य प्रमुख मंदिर:

बंजारी माता मंदिर, सिल्लेवानी
अनपूर्णा माता मंदिर, रिधोरा
शिव मंदिर, जामलापनी
पातालेश्वर मंदिर, छिंदवाड़ा
कोसमी हनुमान मंदिर, परासिया
खेड़ापति मंदिर, परासिया
भरता देव मंदिर, चंदनगांव
केशरीनंदन हनुमान मंदिर, छिन्दवाड़ा
श्री राम मंदिर, छिन्दवाड़ा
अनगढ़ हनुमान मंदिर, छिन्दवाड़ा

छिंदवाड़ा की प्रमुख नदियाँ/ Major rivers of Chhindwara

सतपुड़ा पर्वत रेंज होने की वजह से यहाँ अनेक छोटी बड़ी नदिया बहती है। ज्यादातर नदिया मौसमी होती है जो सिर्फ जुलाई से लेकर जनवरी तक ही बहती है।पाँच प्रमुख नदियाँ हैं, जो जिले से होकर बहती हैं- कन्हान, पेंच, जाम, कुलबेहरा, शक्कर और दुध नदी। कन्हान नदी जिले की सबसे बड़ी नदी है, जो की छिंदवाड़ा तहसील के पश्चिमी भागों से होकर दक्षिण दिशा में बहती है, और वेनगंगा नदी में प्रवेश करती है।

Kanhan River near Ramakona.jpg

कन्हान नदी की रेत बहोत प्रसिद्ध है, इस से उत्तम गुणवक्ता के घर का निर्माण होता है। इस नदी में गर्मी के दिनों में तरबूज और डांगरे भी लगाए जाते है।

प्रमुख झरने (वॉटरफॉल)/ Major Waterfalls

पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण यहाँ की अधिकतर नदिया बरसाती होती है, जो की बहोत ही तेज प्रवाह से बहती है। जिले में अनेक छोटे बड़े वॉटर फॉल (झरने) है, इनमे लगभग सभी सिर्फ बरसात के दिनों में ही बहते है।

कुकड़ी खापा वॉटरफॉल/ Kukdi Khapa Waterfall

सिल्लेवानी घाटी में छिंदवाड़ा-नागपुर रोड पर बहोत ही सूंदर झरना है। यहां कुकड़ी खापा वॉटरफॉल नाम से जाना जाता है, जो की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाता है। यह वॉटरफॉल नेशनल हाईवे से कुछ ही दुरी पर है, यहाँ पर एक छोटा सा रेल्वे स्टेशन है। इस फॉल की ऊंचाई लगभग 60 फीट है। बरसात के दिनों में यहाँ का दृश्य बहोत ही मनोरम होता है।

घोघरा वॉटरफॉल/ Ghogra Waterfall

छिंदवाड़ा जिले में सबसे आकर्षक झरनों में से जाम नदी पर स्थित घोघरा वॉटरफॉल अधिक प्रसिद्ध है, जो की विश्व प्रसिद्ध जामसांवली हनुमान मंदिर से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है। जो भी जामसांवली मंदिर में आता है, वह जरूर वहाँ जाता है। यह मेनरोड के किनारे स्थित होने के कारण यहां पहुंचना बहुत आसान है।

लिल्लाहि वाटरफॉल/ Lillahi Waterfall

यह फॉल मोहखेड़ से पांढुर्ना जाने वाले मार्ग पर स्थित है, जो मुख्य सड़क से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। यह लीलाही गाँव के पास ‘नारायण घाट’ नामक स्थान के पास है। लीलाही जलप्रपात को धनोरा जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है। पहाड़ की चट्टानों के बीच बहती कन्हान नदी का सुंदर दृश्य पर्यटकों को आकर्षित करता है।

झिंगरिया वॉटरफॉल, देलाखारी/ Jhingaria Waterfall, Delakhari

यह तामिया के पहाड़ी और घने जंगलों में स्थित है, झिंगारिया झरने की ऊंचाई लगभग 25 फीट है। पानी की तेज धारा गिरने के कारण यहां एक गहरे कुंड का निर्माण हो गया है। जिसमे स्वच्छ पानी भरा रहता है, यहाँ स्नान  अपना एक अलग मजा है। जुलाई से जनवरी तक, पानी की धारा लगातार गिरती रहती है।

झिंगरिया जलप्रपात को देखने के लिए आसपास के ग्रामीणों के अलावा, अब दूर-दूर से पर्यटक भी यहां आकर प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेते हैं। दीपावली के त्यौहार के बाद, झिंगरिया जलप्रपात स्थल पर एक मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में आसपास के गांवों और पातालकोट क्षेत्र के ग्रामीण भाग लेते हैं।

देवरानी दाई वॉटरफॉल, पगारा/ Devrani Dai Waterfall, Pagara

परासिया तहसील के पास पगरा गाँव के पास घने जंगलों में बहने वाली घाटमाली नदी के पास वन देवी देवरानी दाई का एक प्राचीन प्राचीन मंदिर है, और उसी घाटमाली नदी पर देवरानी दाई झरना है। यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन 5 दिवसीय देवदानी दाई मेला लगता है, और भक्त नवरात्रि के दौरान भी यहाँ आते हैं।

यहाँ वॉटरफॉल मुख्य मार्ग से लगभग 6 किलोमीटर की दुरी पर है। यहाँ बहोत ही सुगमता से पंहुचा जा सकता है।  इस अद्भुत वॉटरफॉल की उचाई लगभग २० फिट की है।

ऐतिहासिक किला देवगढ़, मोहखेड़/ Historical Fort Deogarh, Mohkhed

प्राचीन देवगढ़ किला उन मुख्य स्थानों में से एक है जहाँ कोई छिंदवाड़ा के इतिहास के बारे में जान सकता है, देवगढ़ किला एक छोटी सी पहाड़ी पर जिले के केंद्र से लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्थान सुंदर घने जंगलो से घिरा हुआ पूर्ण प्राकृतिक है। ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, किले का निर्माण गोंड वंश के राजा जाटव ने कई शताब्दियों पहले किया था।

उस समय में देवगढ़ को गोंड साम्राज्य की राजधानी के रूप में जाना जाता था। आज यह किला खंडहर में तब्दील पड़ा हुआ है, और केवल स्थानीय लोगों और कुछ इतिहास में रूचि रखने वाले यात्रियों द्वारा दौरा किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि किले में एक गुप्त सुरंग है जो नागपुर में खुलती है। लेकिन आज तक इस सुरंग के बारे में कोई नहीं जान पाया।

कोयला की खदाने जुन्नारदेव और परासिया/ Coal mines Junnardeo and Parasia

छिंदवाड़ा जिले से लगभग 50 किलोमीटर दूर जुन्नारदेव, डब्ल्यूसीएल के कन्हान क्षेत्र का प्रधान कार्यालय है। इसमें एशिया का सबसे बड़ा कोल वॉश प्लांट है। कन्हान क्षेत्र में इसकी लगभग 15 कोयला खदानें हैं। इसका एक बड़ा रेलवे कोयला परिवहन है और रेलवे में इसका अपना महत्व है।

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जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर परासिया को “कोल माइन्स बेल्ट” के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र में 24 खदानें थीं, जिनमें से 20 खदानें अभी भी काम कर रही हैं। प्रमुख खदानों में एकलेहरा माइंस, बरकुही माइंस, चांदामेटा माइंस, न्यूटन माइंस, डोंगर चिखली माइन्स, महादेव पुरी माइंस हैं। रावणवारा माइंस, रावनवारा खश, विष्णु पुरी 11 नं।, विष्णु पुरी 12 नं।, छिंदा माइंस, सेतिया माइंस, शिवपुरी माइंस, शिवपुरी माइंस, छूरी माइन्स, मैथानी माइन्स, थिगोरा माइन्स, नहरिया माइन्स, पेंच माइन्स, और उर्धन प्रोजेक्ट।

यहाँ पर अंग्रेजो के ज़माने से खदाने है, जिनसे सालाना लाखों टन कोयले का उत्पादन किया जाता है

संतरे के बागान/ Orange orchards

ऑरेंज सिटी के नाम से नागपुर को जाना जाता है, लेकिन बहोत ही काम लोगो को इस बात की जानकारी है की जिन संतरो की वजह से आज नागपुर की एक अलग पहचान है, उनका उत्पादन छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत आने वाली तहसील सौसर और पांढुर्ना के खेतो में होता है।

Oranges | District Chhindwara, Government of Madhya Pradesh | India

नागपुर जाने वाले 70% से अधिक संतरे यही के होते है। संतरे की फसल के लिए यहाँ की जलवायु बहोत ही उपयुक्त है। इस क्षेत्र में अच्छी पैदावार होने की वजह से यहाँ से पुरे देश भर के साथ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी  यही से एक्सपोर्ट होते है।

पेंच नेशनल पार्क/ Pench National Park

पेंच नेशनल पार्क पेंच नदी के चारों ओर फैला हुआ है, यह मंत्रमुग्ध कर देने वाला राष्ट्रीय उद्यान छिंदवाड़ा के सबसे पुराने क्षेत्रों में से एक है और माना जाता है कि रुडयार्ड किपलिंग द जंगल बुक, जो अब तक की सबसे प्रसिद्ध किताबों में से एक है, वह इसी स्थान से प्रेरित होकर लिखा गया था। यह बंगाल टाइगर, जंगली सूअर और सियार जैसे पौधों और जानवरों की सैकड़ों दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का यह घर है।

पक्षियों की 200 से अधिक रंगीन प्रजातियों की उपस्थिति के कारण, यह हर पक्षी-देखने वालो के लिए स्वर्ग बन गया है। इस वन्य क्षेत्र में लगभग 1250 सेअधिक प्रजातियों के पेड़-पौधे दर्ज किए गए हैं, जिनमें कई दुर्लभ और लुप्तप्राय पौधों के साथ-साथ एथनो-वनस्पति महत्व के पौधे भी शामिल हैं।

आदिवासी संग्राहलय/ Tribal Museum

छिंदवाड़ा जिले का जनजातीय संग्रहालय मध्य प्रदेश में सबसे प्रसिद्ध संग्रहालयों में से एक है। इस आदिवासी संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1954 में की गई थी। हालाँकि, इसने वर्ष 1975 में राज्य संग्रहालय का दर्जा प्राप्त कर लिया था। यदि आप मध्य प्रदेश में जनजातीय संस्कृति के इतिहास का पता लगाना चाहते हैं, तो आपको आदिवासी संग्राहलय से बेहतर जगह नहीं मिल सकती है।

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इसमें राज्य में विभिन्न जनजातियों से संबंधित चीजों का एक विशाल संग्रह है, जिसमें कपड़े से लेकर गहने और कृषि उपकरण तक शामिल हैं। यह संग्रहालय अपने अंदर आदिवसी संस्कृति और सभ्यता को संजोये रखे हुए है। जिस आज की पीढ़ी पड़े उत्सुकता से देखती है।

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2 thoughts on “छिंदवाड़ा किस लिए प्रसिद्ध है/ What is Chhindwara Famous For”

  1. Chhindwara ka vartman itihaas Chhindwara kahan hai hai Chhindwara mein kitne paryatan Sthal hai unka itihas Chhindwara mein kitne Ghat hai unka itihas Chhindwara mein kitne kile hai unka itihas mein kitne ka itihaas

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