प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हम सभी अपने जीवन को बनाए रखने के लिए पेड़ों पर निर्भर करते हैं। यदि वृक्ष न होते तो मानव जीवन अब तक विलुप्त हो चुका होता। हम सभी अपने माता-पिता से प्यार करते हैं और उनके लिए बहुत आभारी हैं, क्योंकि उन्होंने हमें एक नया जीवन दिया है। लेकिन हममें से कितने लोगों ने पेड़ों को धन्यवाद दिया है, या हमें जीवित रखने के लिए उन्हें कभी गले लगाया है। इससे इंसान का स्वार्थ झलकता है।
पेड़ो ने मानव जीवन में बहोत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। शुरुआत से ही, पेड़ों ने हमें जीवन की दो आवश्यक चीजों, भोजन और ऑक्सीजन से सुसज्जित किया है। पेड़ ऑक्सीजन प्रदान करके हमारे पर्यावरण में योगदान करते हैं, और CO2 को अवशोषित करते हैं, इस प्रकार वायु गुणवत्ता में सुधार होता है।
दुनिया में पेड़ों की लगभग 60,000 से अधिक प्रजातियां हैं। प्रत्येक पेड़ ऑक्सीजन की अलग-अलग मात्रा प्रदान करता है। अगर उसी ऑक्सीजन को अस्पतालों में पेश किया जाता तो इसकी कीमत हजारों में होती। इसलिए छोटी चीजों के लिए आभारी रहें और अधिक से अधिक पेड़ लगाने की कोशिश करें।
यह पाया गया है कि एक बड़ा पेड़ अधिकतम चार लोगों के लिए ऑक्सीजन की एक दिन की आपूर्ति प्रदान कर सकता है। इसलिए यहां हम आपको पेड़ों की एक सूची प्रदान कर रहे हैं, जो दूसरों पेड़ो की तुलना में अधिक ऑक्सीजन देता है। नीचे दर्शाये गए किसी भी पेड़ को लगाने और मातृ प्रकृति में योगदान करने की कोशिश करें। यहां हम पेड़ों को जीवन चक्र में पेड़ द्वारा ऑक्सीजन छोड़ने के आधार पर नंबर देंगे।
बाँस/Bamboo
मूल रूप से यह चीन में उत्पन्न हुआ माना जाता है, जहाँ प्रतिदिन वस्तुओं को बनाने के लिए बाँस का पहला उपयोग किया गया था। बाँस पहले से ही मानव जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता चला आ रहा है। यह ऑक्सीजन का अच्छा नेचुरल स्त्रोत है। बांस प्रति वर्ष 62 टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकता है, और प्रति वर्ष प्रति एकड़ 88 टन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है।
बांस के बराबर के पेड़ों की तुलना में बांस लगभग 35% से अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है। बांस की कुछ प्रजातियां हर 40 मिनट में 1 इंच बढ़ सकती हैं, इसलिए अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।
वानस्पतिक नाम: डेंड्रोकलामस कैलोस्टेशियस, बंबुसोइडे
साधारण नाम: असम में नाम-भालुका, पश्चिम बंगाल में बल्लू बाँस, मेघालय में वामन, जामा बेतवा, अरुणाचल प्रदेश में नारंगी बाँस और बारी, मणिपुर में अनप, सिक्किम में पाओ, मिज़ोरम में फुलूआ और त्रिपुरा में कनक काई।
जीवनकाल: बांसों को 120 साल तक जीने के लिए जाना जाता है।
ऊँचाई: 65 से 90 फीट से अधिक, ऊंचाई मुख्य रूप से प्रजाति पर निर्भर करती है।
पत्तियां: 22-30 सेंटीमीटर लंबी और 3-6.5 सेमी चौड़ी, लांसोलेट, एक्यूमिनेट, प्यूब्सेंट नीचे, बेस गोल, पेटियोल शॉर्ट।
पीपल का पेड़/Peepal Tree
भारतीय उपमहाद्वीप के मूल निवासी, यह पेड़ हिंदू और बौद्ध धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने उसी वृक्ष के नीचे आत्मज्ञान पाया था। यह एक बड़ी पर्णपाती है जो 80-100 फीट तक बढ़ सकती है।
यह भारत में सबसे अधिक ऑक्सीजन पैदा करने वाला पेड़ है, इस प्रकार आपके घर में पीपल का पेड़ लगाना हवा की सफाई के लिए अच्छा हो सकता है। पीपल का पेड़ अपने लंबे जीवनकाल के दौरान 24 घंटे ऑक्सीजन प्रदान करता है (हाँ! रातों में भी)।
यह ओजोन परत की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि हानिकारक गैसों को अवशोषित करता है। इसकी पत्तियाँ वायु प्रदूषण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं
बिहार में ‘श्री महा बोधि’ वृक्ष की रोपण तिथि 288 ई.पू. ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए इस पेड़ के नीचे बैठे थे।
नकारात्मक अंधविश्वासों के बावजूद, पीपल के पेड़ के कई फायदे हैं जो इसे एक महत्वपूर्ण पेड़ बनाते हैं। यह न केवल ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है, बल्कि इसका उपयोग मधुमेह के प्रबंधन, कब्ज और अस्थमा के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।
वानस्पतिक नाम: फिकस रेलिजिओसा (Ficus religiosa)
साधारण नाम: अहांत (असम), अस्वथा, असद, असवत (बंगाली), पिपलो, पिपुल, जरी (गुजरात, उड़िया) पीपल, पिपार, पिपरी (हिंदी), अरली (कन्नड़), बुरा (कश्मीरी), अरासु (माल्यालम) ), पिंपल (मराठी), रविचट्टू (तेलगु), कणवम (तमिल), बोधिवृक्ष (संस्कृत)
जीवनकाल: पीपल के पेड़ का औसत जीवन काल 800-1500 वर्ष का माना जाता है। आमतौर पर कुछ पेड़ 3000 से अधिक वर्षों तक जीवित पाए गए हैं।
ऊँचाई: इसकी ऊंचाई 100 फीट से अधिक हो सकती है। जिसमें तना मोटा और 10 फीट व्यास का हो।
पत्तियां: एक विशिष्ट विस्तारित ड्रिप टिप के साथ आकार में कॉर्डेट; वे 10–17 सेंटीमीटर (3.9–6.7 इंच) लंबे और 8-12 सेंटीमीटर (3.1–4.7 इंच) चौड़े होते हैं।
उपलब्धता: भारतीय उपमहाद्वीप और भारत-चीन में मुख्य रूप से पाया जाता है।
बरगद का पेड़/Banyan Tree
यह वृक्ष भारत के राष्ट्रीय वृक्ष के रूप में प्रसिद्ध है, और पहले तीर्थंकर के रूप में पवित्र माना जाता है। भगवान आदिनाथ ने इसी पेड़ के निचे ज्ञान प्राप्त किया था। ये पेड़ बड़े होते हैं और सबसे अच्छा ऑक्सीजन पैदा करने वाले पेड़ों में से एक है, जो छाया की एक बड़ी छतरी प्रदान करता है।
हिन्दू धर्म में इसका एक अलग महत्व है। थिम्मम्मा मारीमनु एक बरगद का पेड़, आंध्र प्रदेश, भारत में, माना जाता है कि यह दुनिया में किसी भी पेड़ की सबसे बड़ी छतरी है। यह 20,000 लोगों को आश्रय दे सकता है।
विवाहित हिंदू महिलाएं लंबे और सुखी वैवाहिक जीवन जीने के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। बरगद के पेड़ के कई चिकित्सा मूल्य भी हैं। यह पुरानी दस्त, पेचिश, महिला बाँझपन और कई और अधिक के उपचार में सहायक है।
हिंदू धर्म में, बरगद के पेड़ को भगवान कृष्ण के लिए विश्राम स्थल कहा जाता है।
वानस्पतिक नाम: फिकस बेंथालेंसिस (Ficus benghalensis)
साधारण नाम: हिंदी: बरह, मणिपुरी: खोंगनंग तरु, उर्दू: बरगद, संस्कृत: वट, तमिल: अलाई, तेलुगु: मैरिज चेट्टू
जीवनकाल: संभवतः एक हजार वर्षों में, हालांकि बरगद के पेड़ की उम्र इस तथ्य के कारण निर्धारित करना मुश्किल है कि मूल तना आमतौर पर एरियल या समर्थन रूट वृद्धि के वर्षों से छिपा होता है।
ऊंचाई: इसकी ऊंचाई लगभग 100 फीट (30.5 मीटर) तक हो सकती है।
पत्तियां: पत्तियां अण्डाकार-अंडाकार, 10-30 सेमी लंबी और 7-20 सेमी चौड़ी होती हैं।
उपलब्धता: यह वृक्ष उष्णकटिबंधीय एशिया के मूल क्षेत्रो में पाया जाता है, जैस म्यांमार, थाईलैंड, दक्षिणी चीन और मलेशिया।
नीम वृक्ष/Neem Tree
कड़वा नीम का पेड़ ढेर सारे फायदों वाला एक बहुगुणी पेड़ है। यह एक सदाबहार पौधा है जो प्राकृतिक वायु शोधक के रूप में कार्य कर सकता है। ये पेड़ वायु से CO2, सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन जैसे विभिन्न प्रदूषकों को अवशोषित कर सकते हैं, जिससे उनके बड़े पर्ण के कारण बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन बाहर निकलती है। इसलिए, यदि अच्छी संख्या में लगाए जाते हैं, तो वे आसपास के क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता पर एक जांच रख सकते हैं। नीम एक समर्पित वायु-शोधक है और विषाक्त कार्बन गैसों की जगह बड़ी मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन छोड़ता है।
यह पेड़ हानिकारक गैसों और धूल के कणों को अवशोषित करने में बहुत कुशल है। यह सल्फर डाइऑक्साइड जैसे अन्य हानिकारक प्रदूषकों के खिलाफ ढाल के रूप में भी काम करता है।
CO2 निर्धारण की अपेक्षाकृत उच्च दक्षता होती है नीम के पेड़ में। यह प्रति सेकंड प्रति सीओ 2 के 14 से अधिक माइक्रो मोल को ठीक कर सकता है। नीम में वायु और जल प्रदूषण के साथ-साथ गर्मी का सामना करने की उल्लेखनीय क्षमता है।
इसमें अनेक औषधीय गुण होते है जैसे, घाव, रूसी, आंखों की परेशानी, कान के रोगों, त्वचा विकारों आदि में सहायक है।
वानस्पतिक नाम: अज़दिरचता इंडिका/Azdirchata indica
साधारण नाम: हिंदी: नीम, मराठी: निम्बय, तमिल: वेपई, मलयालम: अरीयप्प्पु, तेलुगु: वेपा, कन्नड़: तुरकबावु, गुजराती: धनुजादा, संस्कृत: पावकवृता, निम्बका
जीवनकाल: नीम के पेड़ का जीवन काल लगभग 150-200 वर्ष के आसपास होता है।
ऊँचाई: यह 30 मीटर तक उच्चे और 2.5 मीटर तक मोटे तने के हो सकते है।
पत्तियां: पत्तियां 20 से 40 सेमी लंबी, 20 से 30 मध्यम से गहरे हरे पत्तों वाली लगभग 3 से 8 सेमी लंबी होती हैं। पत्ती पेटीओल्स छोटे होते हैं। छोटे मार्जिन सीमांत होते हैं।
बेल वृक्ष/Bell Tree
बेल वृक्ष रासायनिक प्रदूषकों के लिए सिंक ’के रूप में कार्य करता है क्योंकि यह वायुमंडल से जहरीली गैसों को अवशोषित करता है और उन्हें निष्क्रिय या तटस्थ बनाता है। यह क्लाइमेट प्यूरीफायर ’नामक प्रजाति के समूह का सदस्य है, जो अन्य पेड़ों की तुलना में सूर्य के प्रकाश में ऑक्सीजन का अधिक प्रतिशत उत्सर्जित करता है।
‘पेड़ को ‘सुगंधित’ प्रजातियों की श्रेणी में भी माना जाता है, जिनके फूल और वाष्पशील वाष्प खराब गंध को बेअसर करते हैं। यह एक पवित्र वृक्ष है, जो शिव को समर्पित है। बेल के पत्तों की पेशकश पहाड़ियों में भगवान शिव की पूजा का अनिवार्य अनुष्ठान है।
इस वृक्ष का त्रिफला पत्ती त्रिकाल (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का प्रतीक है, इसमें कई फाइटोकोनस्टिटुएंट्स (phytoconstituents) होते हैं जो विभिन्न चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए इसके उपयोग का खुलासा करते हैं।
वानस्पतिक नाम: आइगल मार्मेलोस
साधारण नाम: हिंदी: बेल, मणिपुरी: हिरिखागोक, मराठी: मारेडु, तमिल: विल्वम, मलयालम: विल्वम, तेलुगु: सांडिलियमु, कन्नड़: बिल्वपत्र, बंगाली: बेल, कोंकणी: बेलो, गुजराती: बिली और बिलासपुर, संस्कृत: अधारारू और शिवराम मिज़ो: बेल-दी और अन्य सामान्य नाम बंगाल क्वीन, स्टोन ऐप्पल, वुड ऐप्पल, श्रीफल और पवित्र फल हैं।
जीवनकाल– लगभग 30-60 वर्ष।
ऊँचाई: यह औसतन 40-50 फीट तक बढ़ सकता है।
पत्तियां: पत्ती ट्राइफोलिएट, वैकल्पिक, प्रत्येक पत्ती 5-14 x 2–6 सेमी, टेपिंग या नुकीले सिरे और गोल आधार के साथ अंडाकार होती है।
उपलब्धता: भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया।
अशोक का पेड़/Ashoka Tree
सबसे सुंदर और सुगंधित फूलों में से एक के साथ, भारत में इसका मूल है। यह एक छोटा पेड़ है जिसमें एक स्तंभ होता है। इन पेड़ों को घरों के आसपास लगाने से न केवल जगह की सुंदरता बढ़ती है, बल्कि आपके घर में हवा की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
इसके अलावा, वे विभिन्न कणों और जहरीली गैसों को भी अवशोषित करते हैं। सदाबाहर होने के कारण यह पुरे वर्ष छाव और ऑक्सीजन बरपुर मात्रा में देता है। इसी कारणवश इसे अक्षर घर के आसपास लगाया जाता है ताकि शुद्ध हवा मिल सके।
वानस्पतिक नाम: सारका अशोका/Saraca asoca
सामान्य नाम: सीता अशोक, अचेंग, असोगम, हेम्पुशम, जसुंडी
जीवन काल: लगभग 50 साल
ऊंचाई: यह सदाबहार पेड़ 10 मीटर से अधिक बढ़ने के लिए जाना जाता है।
पत्तीया: 30-60 सेंटीमीटर लंबे लैंसोलेट लीफलेट्स के 30-60 सेंटीमीटर लंबे पत्तों को पीनट।
उपलब्धता: यह अनेक देशो में कई प्रजाति के रूप में पाया जाता है।
अर्जुन वृक्ष/Arjun Tree
चौड़े फैला हुआ मुकुट वाला एक बड़ा सदाबहार पेड़, यह अपने कई आयुर्वेदिक गुणों के लिए प्रसिद्ध है। पेड़ धार्मिक महत्व भी रखता है और माना जाता है कि यह सीता का पसंदीदा पेड़ है।
इसका सौंदर्य अपील के कारण भूनिर्माण में उपयोग किया जाता है। साथ ही, वे हवा में कण मामलों और CO2 को अवशोषित करके वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह अनेक प्रकार की औषद्यि निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है खास कर ह्रदय सम्बंधित।
वानस्पतिक नाम: टर्मिनलिए अर्जुना/Terminalia arjuna
सामान्य नाम: अर्जुन, निर्मट्टी, मय्योकपा, मारुतु
जीवन काल: लगभग 100 वर्ष या उससे अधिक
ऊंचाई: अर्जुन का वृक्ष लगभग 40-50 मीटर ऊंचा होता है।
पत्तीया: वैकल्पिक, अण्डाकार, 5 इंच।
उपलब्धता: यह अनेक देशो में कई प्रजाति के रूप में पाया जाता है।
मीठी नीम का पेड़/Curry Tree
खुशबूदार पत्तियों वाले करी के पेड़ का उपयोग करी और स्टोव में विशेष रूप से दक्षिण भारतीय व्यंजनों में किया जाता है। यह भारतीय घरों में सबसे अधिक उगाए जाने वाले पेड़ों में से एक है और यह न केवल खाना पकाने में उपयोगी है बल्कि उनके आसपास की वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने में भी मदद करता है।
यह वायु शुद्ध करने में अहम् भूमिका निभाता है, साथ ही ऑक्सीजन की मात्रा प्रदान करता है।
वानस्पतिक नाम: मुराया कोएनिजी (Murraya koenigii)
सामान्य नाम: कारी पट्टा, कुडियनिम, मिठो, नीम कौरि, कारी-वीप्पा-चेतु, कादर्या, बारसुंगा, बोगीनो, बुकिने
जीवन काल: लगभग 30-40 वर्ष या उससे अधिक
ऊंचाई: इसकी औसत ऊँचाई 10-15 मीटर होती है।
पत्तीया: इसकी पत्तियाँ नुकीली होती हैं, प्रत्येक शाखा में 11-21 पत्तेदार शाखाएँ होती हैं और प्रत्येक कमानी 2-4 सेमी लम्बी और 1-2 सेंटीमीटर चौड़ी होती है।
उपलब्धता: वैसे तो यह अनेक देशो में पाया जाता है लेकिन मुख्य रूप से ऐसा में अधिक पाया जाता है।
सप्तपर्णी/Blackboard Tree
यह एक सदाबहार पेड़ जो भारत में बड़ी मात्रा में मौजूद है। पेड़ की लकड़ी बच्चों के लिए लकड़ी के स्लेट बनाने में उपयोगी है। पश्चिमी घाट के आदिवासी लोगों में अंधविश्वास है कि पेड़ में बुराई है; इसलिए वे इसके पास नहीं जाते हैं। शोधों के अनुसार, प्रदूषकों को हटाने में उपयोगी हो सकता है, अगर बड़ी मात्रा में लगाया जाए।
यह बहोत अधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्रदान करता है, इसलिए इसे शहर की कॉलोनियों में लगाया जाता है। इसके फूलो की रात में अच्छी महक आती है।
वानस्पतिक नाम: अल्सटोनिया स्कोलारिस (Alstonia scholaris)
साधारण नाम: चितवन, डोड्डापाला, शैतान का पेड़, शैतान का झड, पलिमारा, एले हाले
जीवन काल: लगभग 35-40 वर्ष या उससे अधिक
ऊंचाई: अलस्टोनिया स्कॉलरिस की ऊंचाई 40 मीटर (130 फीट) तक लंबा होता है
पत्तीया: सप्तपर्णी यह नाम दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है, सप्त का अर्थ सात है, और परणी का अर्थ है। जैसा कि नाम से पता चलता है, पत्तियां, सबसे अधिक बार, टहनी के आसपास सात के गुच्छा में पाई जाती हैं।
वे कुंद, चमकदार हैं, और तारों वाली सममिति बनाते हैं।
उपलब्धता: यह एशिया के अनेक देशो के साथ साथ साउथ अफ्रीका में भी पाया जाता है।
जामुन/ Blackberry Tree
भारतीय पौराणिक कथाओं में भारत को जम्बूद्वीप (जामुन की भूमि) कहा गया है। यह एक उष्णकटिबंधीय सदाबहार पेड़ है जो 50-100 फीट तक ऊँचा हो सकता है। छोटे खाद्य जामुन और सुगंधित फूलों के अलावा, पेड़ हवा से सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन जैसी जहरीली गैसों को अवशोषित कर सकता है, जिसमें कई अन्य कण होते हैं। जामुन अधिक से अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित कर प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन प्रदान करता है।
प्राय गर्मी के दिनों में यह गहरी और ठंडी छाया प्रदान करता है, साथ ही इसके फल के बारे में तो सब जानते ही होंगे। यह अनेक प्रकार की औषधियो में भी उपयोग में आता है।
वानस्पतिक नाम: सीजीजियम कुमिनी (Syzygium cumini)
सामान्य नाम: जाम, फणीर, जांबू, नेरेडु, जामुन, राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी आदि के नाम से जाना जाता है
जीवन काल: लगभग 100 वर्ष या उससे अधिक
ऊंचाई: यह सामान्य रूप से 50-100 फिट तक अक अच्छा होता है।
पत्तियाँ: पेड़ की पत्तियां थोड़ी नुकीली होने के साथ चिकनी होती है और 10 से 15 सेमी लंबी होती हैं। पत्ती की ऊपरी सतह सुस्त चमकदार होती है। पत्तियों में एक सुंदर, विशेषता शिरा पैटर्न है।
उपलब्धता: यह वृक्ष भारत एवं दक्षिण एशिया के अनेक देशों जैसे इण्डोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम आदि में पाया जाता है।
This is not Saraca asoca
सामान्य नाम: सीता अशोक, It is Polyalthia longifolia. How to prove peepal given 24 HRs Oxygen