जब गर्मी की शुरू होती है, तो सभी के मन में हर जगह एक विचार आता है – आम! आम फलों का राजा की भारत में कई किस्मे पाई जाती है, भारतीय उपमहाद्वीप में ही लगभग 284 प्रकार से भी अधिक आम की प्रजातियां पायी जाती हैं, जिनमें से केवल 30 ही अब तक ज्ञात हैं।
सुनहरा रंग विलाशिता और राजघराने का प्रतिक मन जाता है, ज्यादातर आम की प्रजाति पकने पर सुनहरे रंग के हो जाते है इसलिए आम को फलो का राजा कहा जाता है। आम के स्वाद के बारे में तो किसी को बताने की जरुरत नहीं है। जंगल और गांवो में तो यहाँ मुफ्त में मिल जाता है इसकी कीमत कुछ रूपये से लेकर लाखो होती है। आओ जाने आम की कुछ ऐसी ही प्रजातियों के बारे में जो स्वाद की वजह मुँह में पानी ला दे और रेट की वजह से आखो में।
तइयो नो तमागो आम/ Taiyo No Tamago Mango
यह जापान के मियाज़ाकी क्षेत्र में उगाए जाने वाली प्रजाति का आम है, इसे बहोत ही सावधानी और सुरक्षित तरीके से उगाया जाता है। जापानी लोग इस प्रजाति के आम को “सूर्य का अंडा” भी कहते है।
इस जाती के आम दुनिया में सब से महंगे होते है इसकी कीमत लगभग 3-4 लाख प्रति किलो तक होती है। इसके अत्यधिक मूल्य का कारण देखभाल है जो उन्हें उगाने के समय में जाती है। जापानी किसान प्रत्येक आम को एक छोटे से जाल में लपेटते हैं, जिससे सूरज की रोशनी अंदर आती है, जब ये फल कच्चे होते है तो इनका रंग लाल माणिक जैसे होता है।
आम को हाथ से नहीं तोड़ा जाता है, लेकिन पकने पर इसे गिरने दिया जाता है। पेड़ से गिरने पर सुरक्षात्मक जाल भी फल को कुशन देता है, जिस से गिरने वाले आम को चोट नहीं आती। साल 2017 में इन आमों की एक जोड़ी को नीलामी में US $ 3,744 में बेची गई थी।
कोहितूर आम/ Kohitoor Mango
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में उगाए जाने वाले भारत के सबसे महंगे आमों में से एक, कोहितूर ₹1,500 प्रति पीस तक बिकता है। यह बेशकीमती किस्म 18वीं सदी के अंत में नवाब सिराजुद्दौला के शासनकाल में केवल राजघरानों के लिए उगाई गई थी। प्रत्येक फल को सावधानी से हाथ से तोड़ा जाता है और कपास में लपेटा जाता है। जनश्रुति के अनुसार, कोहितूर को केवल हाथीदांत या बांस के चाकू से काटा जाता था और राजा इसे सोने के टूथपिक से नाजुक ढंग से भालाते थे। आम की इस किस्म की सीमित आपूर्ति और इसकी खेती का सीमित क्षेत्र कीमत में वृद्धि का कारण है।
ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र में इस प्रजाति के आम की खेती की जाती है। यह दक्षिण पूर्व एशिया में प्रमुख उत्पादकों में से एक है। वैसे ये दुनिया के कुछ सबसे महंगे आमों में से नहीं है। लेकिन, टॉप एंड मैंगोज ने नीलामी में अब तक बेचे गए सबसे महंगे आमों के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। 2001 में ब्रिस्बेन प्रोड्यूस मार्केट्स चैरिटी ऑक्शन में 16 आमों की एक ट्रे $20,565 (लगभग ₹15 लाख) में बिकी। फिर ऊचे भाव में खरीदकर उन आमो को साउथ ब्रिस्बेन के मेटर चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में बच्चों को फल सौंपे दिए।
नूरजहां आम/ Nur Jahan Mango
मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में आम जितना बड़ा हो किसान के लिए उतना अच्छा है। यह लगभग ₹500 – ₹1000 प्रति पीस के बीच बाजार में उपलब्ध होता है। यह किस्म अपने असामान्य वजन और मिठास के लिए बहोत प्रसिद्ध है। लगभग 11 इंच मापने और 3.5-4 किलोग्राम वजन वाले, इस फल वाले पेड़ों को वजन बनाए रखने के लिए ऊपर की ओर बढ़ने की जरूरत है। बहुत अधिक मांग की वजह से, इस प्रजाति के आम को खरीदारों द्वारा महीनों पहले बुक कर दिया जाता है।
अलफांसो आम/ Alphonso Mango
आम के बारे में कोई भी सूची अल्फांसो के उल्लेख के बिना पूरी नहीं हो सकती है। इस किस्म का नाम पुर्तगाली जनरल और सैन्य विशेषज्ञ अफोंसो डी अल्बुकर्क के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने भारत में पुर्तगाली उपनिवेश स्थापित करने में भूमिका निभाई थी। बदले में पुर्तगालियों ने अल्फांसो जैसी किस्मों के उत्पादन के लिए आम के पेड़ों की ग्राफ्टिंग की शुरुआत की। ‘हापस’ के रूप में भी जाना जाता है, इसकी कीमत एक दर्जन के लिए ₹ 3000 तक हो सकती है।
यह अब तक ज्ञात आमों की प्रजाति सब से स्वादिस्ट माना जाता है। केसर रंग का यह नाजुक फल महाराष्ट्र के देवगढ़ और रत्नागिरी में लोकप्रिय रूप से उगाया जाता है। राज्य सरकार ने रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग और आसपास के क्षेत्रों में उत्पादित अल्फांसो को भी जीआई टैग प्रदान किया है।