बरसात का मौसम हर किसी को सुकून देता है, चारो ओर हरियाली, बहती ठंडी हवा मन को खुश कर देती है। नदी का बहता पानी किसे नहीं भाता यह तो हेर किसी की पसंद होता है। ऐसे में नदी पर बने झरने को कोई कैसे भूल सकता है, झरनो के बिना नदियों की खूबसूरती अधूरी रह जाती है। झरने को देखने से ज्यादा सुकून और कुछ नहीं है, जब बारिश होती है तो ये और भी खूबसूरत हो जाते है। ऐसे ही कुछ झरने मध्यप्रदेश में भी है जो इसकी शोभा को और बढ़ावा देता है।
प्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है यहाँ से अनेक छोटी बड़ी नदिया निकलती है। यहाँ प्रमुख दो पर्वत श्रंखलाएं है सतपुड़ा और अमरकंटक साथ ही मालवा का पठार ऐसे में निश्चित ही झरनो का निर्माण होना स्वभाविक है। प्रदेश में अनेक छोटे बड़े झरने है जिनमे से कुछ खास है आओ उनकी बात करते है जो इस मानसून के मौसम को और आकर्षक बना देते है।
रानेह फॉल्स, खजुराहो/ Raneh Waterfall, Khajuraho
अपनी वस्तुकाल के लिए दुनिया भर में प्रसिद्द खजुराहो की यात्रा के दौरान रानेह जलप्रपात अवश्य ही देखने जाना चाहिए है। यह आपकी यात्रा को और भी यादगार बना देगा। इस खूबसूरत यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल से लगभग 22 किमी दूर स्थित, रानेह फॉल्स राजसी केन नदी पर है। यहां का मुख्य आकर्षण 5 किमी लंबी और 100 फीट गहरी क्रिस्टलीय ग्रेनाइट की घाटी है। विशेष रूप से बारिश के बाद, यह जलप्रपात जगह के चारों ओर के प्राकृतिक वातावरण के कारण एक दर्शनीय प्रकृति भ्रमण बन जाता है। इस जलप्रपात को भारत का मिनी निआग्रैफाल भी कहते है।
यदि किसी को गिरता पानी और प्राकृतिक सुंदरता पसंद है तो इस स्थान पर अवश्य जाये, फोटोग्राफी के लिए यह एक उपयुक्त स्थान है। स्थानीय पर्यटकों के साथ साथ यह विदेशी पर्यटक भी आते है।
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धुआँधार जलप्रपात, जबलपुर/ Dhuandhar Falls, Jabalpur
जबलपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर की दूर नर्मदा नदी पर निर्मित बेडाघाट का धुआँधार जलप्रपात से कोई अनजान नहीं है। उचाई से गिरता पानी दूध सा सफ़ेद बन जाता है और हवा में भी उड़ता है जो सब को एक ठंडक का अहसास करता है। यह जबलपुर के पास सबसे महत्वपूर्ण स्थान में से एक है इसकी यात्रा बिना जबलपुर दर्शन अधूरा माना जाता है। नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर 100 फीट ऊंची संगमरमर की आकर्षक चट्टानें स्थित हैं।
इन ऊंची संगमरमर की चट्टानों से नदी धीरे-धीरे बहती है और थोड़ी दूरी के बाद, शक्तिशाली नदी एक चट्टान से नीचे गिरकर धूआंधार जलप्रपात बनाती है। झरने का नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि पानी का धुँआदार रूप चट्टान से अत्यधिक तेज गति के साथ गिरता है। धुआँधार जलप्रपात प्रदेश का सबसे बड़ा और प्रचलित जलप्रपात है, मध्यप्रदेश टूरिज्म द्वारा यहाँ सभी प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। अपने जबलपुर के दौरे को और यादगार बनाये और बेडाघाट जरूर जाये।
बाहुती जलप्रपात, रीवा/ Bahuti Falls, Rewa
बाहुती मध्य प्रदेश का सबसे ऊँचा जलप्रपात है। यह प्रपात रीवा जिले में स्थित है, इसकी उचाई लगभग 200 मीटर के आसपास है इसका निर्माण सेलर नदी पर हुआ है जो की बिहड़ नदी में शामिल होने के लिए मऊगंज की घाटी के किनारे से नीचे जाती है, जो तमसा या टोंस नदी की एक सहायक नदी है।
चारो ओर फैली प्राकृतिक सुंदरता के बिच निक पॉइंट की वजह से इसकी खूबसूरती और बाद जाती है। बरसात के दिनों में यह जलप्रपात पूर्णवेग से बहता है जिसका नजारा बहोत ही अद्भुत होता है। इस स्थान पर पर्यटक जुलाई से नवम्बर के महीने तक अधिक मात्रा में आते है। परिवार दोस्तों के साथ यहाँ अच्छा समय बिताया जा सकता है। रीवा जिला मुख्य रूप से प्राकृतिक झरने के लिए जाना जाता है, इसलिए यहाँ जब भी आये अन्य जलप्रपातों का भी अवलोकन करे।
कपिलधारा जलप्रपात, अमरकंटक/ Kapildhara Falls, Amarkantak
नर्मदा नदी के उद्गम स्थान के समीप पानी के तेज बहाव को देखें और अमरकंटक में कपिलधारा फॉल्स की यात्रा के क्षण को यादगार बनाये। माँ नर्मदा का पवित्र जल ऊंचाई से गिरता है और अपनी सुंदरता बिखेरता है। यह जल प्रपात प्राकृतिक वातावरण से सराबोर है। नर्मदा का उद्गम स्थान होने के कारन इसका धार्मिक महत्व भी है।
यहाँ अपने परिवार और दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताया जा सकता है। मानसून में इस जलप्रपात की खूबसूरती और बढ़ जाती है, यहाँ के वातावरण को देख हर कोई तरोताजा हो जाता है।
तिंचा वॉटरफॉल, इंदौर/ Tincha Waterfall, Indore
इंदौर सहर से लगभग 25 किलोमीटर की दुरी पर स्थित तिंचा वाटरफॉल्स सचमुच प्रकृति का अद्भुत नजारा पेश करता है। यदि मानसून के दौरान इंदौर के आसपास कोई प्रकृति स्थान की तलाश कर रहे है तो तिचा वॉटरफॉल एक उपयुक्त स्थान है। यहाँ पर झरना लगभग 300 फिट की उचाई से गिरता है, जिसका नजारा बहोत ही अद्भुत होता है। इस झरने के पास एक छोटा गांव है जिसका नाम तिचा है उसी के नाम पर इस जल प्रपात का नाम पड़ा।
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यह जलप्रपात मौसमी है इसलिए बरसात के दिनों में यहाँ पर लोग अधिकतर वीक एन्ड पर आते है। यह स्थान खंडवा रोड पर स्थित है जिस से यहाँ पहुंचना और भी सुगम हो जाता है। स्थानीय लोग अक्सर सप्ताह के अंत में दोस्तों और परिवार के साथ इस स्थान पर जाते है, बारिश के मौसम में यहाँ के गॉव में गर्म और तजा भुने भुट्टे मिलते है जिनका स्वाद लाजवाब होता है। यहाँ जरूर जाये और जिंदगी के कुछ पल को और यादगार बनाये।
केवटी जलप्रपात, रीवा/ Keoti Falls, Rewa
केवटी जलप्रपात झरनों के लिए प्रसिद्द शहर रीवा में स्थित है। यह झरना भारत का 24 वा सबसे ऊंचा झरना है। यह झरना मध्यप्रदेश के मुख्य पर्यटन स्थल में से एक है। यहां जगह प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है, साथ ही यहां पर आपको बहुत सारे धार्मिक मंदिर भी देखने मिलते है। केवटी जलप्रपात इंसानो में प्राकृतिक और धार्मिक आस्था को जोड़े रखता है।
यहां पर भैरव बाबा का मंदिर और राम जानकी मंदिर है। केवटी जलप्रपात झरने के आकर्षण के अलावा यह एक ऐतिहासिक स्थल भी है। यहाँ स्थित प्राचीन केवटी का किला एक ऐतिहासिक किला है और यह देखने योग्य है। यह किला 15 वीं शताब्दी का है। आप इस झरनें में घूमने के बाद इस किलें में जा सकते है। केवटी जलप्रपात का निर्माण प्राकृतिक रूप से मोहना नदी पर हुआ है। यह नदी तमसा या टोंस नदी की एक सहायक नदी है। मोहना नदी रीवा के पठारों से बहती हुई एक गहरी घाटी में गिरती है, जिस से इस जलप्रपात का निर्माण होता है।
यह नदी उची चटटान से नीचे गिरती है वहा एक कुंड का भी निर्माण करती है। यह स्थान बरसात में हरियाली से भर जाता है, चारो तरफ सूंदर नजारा होता है। बरसात के दिनों में यह झरना विकराल रूप ले लेता है। केवटी झरना के पास हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर मेला आयोजित होता है। जुलाई से जनवरी तक केवटी झरना देखने लायक होता है। केवटी झरना फोटोशूट के लिए खूबसूरत जगह है। आप अगर यहां पर आते है, तो आप खाने पीने का सामान लेकर आएं, क्योंकि यहां रेस्तरां या दुकानें नहीं हैं। परिवार और दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताने के लिए यह एक अच्छी जगह है।
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पातालपानी जलप्रपात, इंदौर/ Patalpani Falls, Indore
पातालपानी झरना इंदौर जिले की महू तहसील में स्थित है। जलप्रपात लगभग 300 फीट ऊंचा है। पातालपानी के आसपास का क्षेत्र एक लोकप्रिय पिकनिक और ट्रेकिंग स्थल है। वर्षा के मौसम के तुरंत बाद (आमतौर पर जुलाई के बाद) जल प्रवाह सबसे अधिक होता है। ग्रीष्म ऋतु में यह लगभग सूख जाता है, और जलधारा कम हो जाती है। यह अद्भुत जलप्रपात बरसात के दिनों में विशाल रूप ले लेता है। बारिश में इसकी सुंदरता तो बढ़ती है साथ ही यह खतरनाक भी हो जाता है।
इस स्थल से एक किवदंती भी जुड़ी है, माना जाता है कि इस झरने के कुंड की गहराई अभी तक नापी नहीं गई है, और कहा जाता है कि इस कुंड का पानी पाताल तक अपना सफर पूरा करता है। इसलिए इसका नाम पातालपानी रखा गया है। यह भारत के सबसे खतरनाक वाटरफॉल में गिना जाता है, जहां जरा सी भी लापरवाही जान ले सकती है। आसपास का इलाका काफी हरा-भरा है, इसलिए यह स्थल प्रकृति प्रेमियों के लिए भी काफी ज्यादा मायने रखता है। यहां एडवेंचर के शौकीन ट्रेकिंग जैसी रोमांचक गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। कुछ नया जानने वाले जिज्ञासुओं के लिए भी यह स्थल काफी ज्यादा महत्व रखता है। एक शानदार यात्रा के लिए आप यहां आ सकते हैं।
चचाई जलप्रपात, रीवा/ Chachai Falls, Rewa
अद्भुत चचाई जलप्रपात मध्य प्रदेश के रीवा जिले में स्थित है, इसकी गिनती प्रदेश के प्रमुख जलप्रपात में होती है। साथ ही रीवा जिले के मुख्य पर्यटक स्थलों में यह वॉटरफॉल शामिल है। इस झरनों की एक अनूठी जल संरचना है, यह 130 मीटर ऊंचा है। झरनों को अपना पानी बिहड़ नदी से मिलता है जो तमसा नदी की एक सहायक नदी है। नदी का उद्गम रीवा पठार से हुआ है। यह झरना रीवा के मुख्य शहर से लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जलप्रपात प्रसिद्ध चित्रकूट पहाड़ियों के तट पर स्थित होने के कारण प्रसिद्ध है।
चित्रकूट पहाड़ियों का हिंदुओं के लिए एक महान पौराणिक और धार्मिक महत्व है। झरने की इन सभी विशेषताओं के कारण हर साल बहुत से लोग इस जगह पर आते हैं। पतझड़ में बहुत ही मनोरम वातावरण होता है। यह अपने निक पॉइंट के कारण अद्वितीय है। पतझड़ में पानी की अधिकता और बरसात के मौसम में हरियाली के कारण यह और भी खूबसूरत लगता है। चचाई झरना रीवा जिले के 4 खूबसूरत झरनों में से एक है।