हमारी भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं के अपने पसंदीदा दिन, फूल और रंग हैं। देवताओ के पसन्दीदार रंगो, फूलों के बिना इनका कोई भी अनुष्ठान अधूरा माना जाता है।
सनातन धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, साथ ही हर विषय, वस्तु के लिए अलग अलग देवताओं को पूजा जाता है। भारतीय संस्कृति में हर त्योहार पर इनकी विशेष पूजन कि जाती है। प्रमुख रूप से पूजे जाने वाले देवी-देवता और उनको अर्पित किये जाने वाले पसन्दीदा पुष्प कुछ इस प्रकार है:
भगवान गणेश/ Lord Ganesha
सभी बाधा निवारण करने वाले देवता, भगवान गणेश की पूजा लाल रंग के फूल से की जाती है। ऐसा माना जाता है की लाल रंग के फूल चढ़ाने से भगवान गणेश जल्दी प्रसन्न होते है।
गणेश भगवान को किसी भी प्रकार के लाल रंग के फूलो से पूजे जा सकते है, साथ ही सभी शुभ कार्य में सर्वप्रथम इनको ही पूजा जाता है। गुड़हल और गेंदे के फूल माता काली और गणेश जी के पूजन में अधिकतर स्तेमाल किये जाते है।
भगवान शिव/ Lord Shiva
ब्रह्मांड के सर्वशक्तिमान देवता के रूप में भगवान शिव को जाना जाता है। भगवान शिव को कभी भी सभी प्रकार के फूल नहीं चढ़ाए जाते, क्योंकि उन्हें धतूरे के फूल एवं फ़ल चढ़ाये जाते है धतूरा को भगवान शिव का पसंदीदा फूल माना गया। इसलिए, अहंकार, प्रतिद्वंद्विता, ईर्ष्या और घृणा के जहर से छुटकारा पाने के लिए शिव पूजा के दौरान भगवान शिव को धतूरा चढ़ाया जाता है। जबकि कुछ अन्य फूल जैसे गुड़हल, गेंदा आदि।
भगवान शंकर अधिकतर सफ़ेद रंग फुल चढ़ाये जाते है साथ ही बेल पत्र भगवान प्रसन्न करने के लिए उपयोग किया जाता हैं।
माता लक्ष्मी/ Mata Lakshmi
माता लक्ष्मी को धन और सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। देवी लक्ष्मी हमेशा एक खुले कमल पर विराजमान रहती हैं, और इसलिए उनका पसंदीदा फूल कमल को माना जाता है। प्रत्येक बुधवार को सफेद रंग के सुगंधित फूल जैसे कि रजनीगंधा, मोगरा आदि माता लक्ष्मी के चरणों में अर्पित किये जाते है। दीपावली के समय माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।
भगवान विष्णु/ Lord Vishnu
विष्णु भगवान को ब्रम्हांड के रक्षक के रूप में भी जाना जाता है, भगवान विष्णु को कमल, मौलसरी, जूही, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, कदम, केवड़ा, चंपा और वैजयंती के फूल पसंद है। सुगंधित फूलों के अलावा, वह तुलसी के पत्तों को प्रमुख रूप से पूजा के उपयोग किया जाता है। विष्णु जी को कमल का फुल भी चढ़ाया जा सकता है।
पवन पुत्र हनुमान/ Pawan Putra Hanuman
हनुमान जी की पूजा के लिए शनिवार और मंगवार शुभ माना जाता है। हनुमान जी को प्रमुख रूप से अकवन के फूल चढ़ाये जाते है, इसके अलावा अन्य प्रकार के फुल्लो का भी उपयोग किया है। अकवन के फुल के अतिरिक्त इसकी पत्तिया भी पूजा के समय उपयोग में लाई जाती है।
ये एक आम भारतीय झाड़ि नुमा पेड़ हैं जो अक्सर गाँवों और खेतों के पास उगती हुई पाई जाती हैं। हनुमान को चमेली के फूल भी पसंद हैं, इसलिए चमेली का तेल हनुमान पूजा के दौरान चढ़ाया जाता है। भगवान हनुमान को सिंदूर बहोत पसंद है इसलिए बिना सिंदूर चढ़ाये इनकी पूजा अधूरी मानी है|
माता सरस्वती/ Mata Saraswati
ज्ञान की देवी माता सरस्वती हमेशा सफेद रंग के कमल के फूल पर विराजमान रहती है, क्योंकि सफ़ेद रंग मन और आत्मा की पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन उसका पसंदीदा रंग पीला है, इसलिए उनकी पूजा के दौरान पिले रंग के फूलो का उपयोग किया जाता है।
माता सरस्वती को अर्पि लिए अनेक प्रकार के पिले रंग के फूल उपलब्ध है जैसे की गेंदा, सूरजमुखी, गुलाब, अलमंदा आदि के पीले रंग के फूल प्रमुख रूप से चढ़ाये जाते है।
माता काली/ Mata Kali
देवी काली की पूजा केवल रक्त-लाल गुड़हल फूलों के साथ की जाती है। माता काली एक महिला की शक्ति या आदिशक्ति की देवी। इस अनुष्ठान का पालन जीवंत लाल गेंदे के फूल के रूप में किया जाता है, जो उनकी मूर्ति के साथ होता है, जो उसके क्रूर रूप को असुरों के सिर की माला के रूप में दिखाता है और उसके मुंह से खून टपकता है। काली माता को किसी भी प्रकार के लाल रंग के फूल अर्पित किये जा सकते है।
भगवान कृष्ण/ Lord Krishna
अपने बचपन के दिनों में भगवान कृष्ण बहोत ही नटखट हुआ करते थे, कृष्ण जी का लालन पालन एक ग्वाला परिवार में हुआ। इसलिए बचपन के दिनों में उन्हें गाय चराने जंगल जाना पड़ता था। जिसके वजह से उनका अधिकतम समय जंगल में बीत जाता था। जंगल में पाए जाने वाले क़दम के पेड़ उन्हें बहोत पसंद थे। कदंब के फूल एक गेंद की तरह गोल और सुगंधित होते हैं।
इसके अलावा पारिजात के पेड़ और फूल भी कृष्ण जी को पसंद है, ऐसा कहा जाता है कि पारिजात भगवान कृष्ण द्वारा पृथ्वी पर लाया गया, एक स्वर्गीय वृक्ष है। सत्यभामा और रुक्मिणी, कृष्ण की पत्नियों के बीच इस पर झगड़ा हुआ। लेकिन कृष्ण ने सत्यभामा के आंगन में पेड़ को इस तरह लगाया कि जब पेड़ फूल जाए तो रुक्मिणी के आंगन में फूल गिर गए।
सूर्य देव/ God Sun
हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने वाले एक मात्रा देवता हैं। रविवार को सूर्य देव की पूजा करने का विधान है।पौराणिक वेदों में, सूर्य को दुनिया की आत्मा और भगवान की आंख के रूप में उल्लेख किया गया है। सूर्य की पूजा करने से जीवन में जीवन शक्ति, मानसिक शांति, ऊर्जा और सफलता मिलती है। यही कारण है कि लोग उगते सूर्य को देखना शुभ मानते हैं और सूर्य को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।
एक मान्यता यह भी है कि रविवार को सूर्य देव को व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। रामायण में यह भी वर्णित है कि भगवान राम ने लंका के लिए एक पुल का निर्माण करने से पहले सूर्य भगवान की पूजा की थी।
सूर्य को शक्ति का स्रोत माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य की पूजा बहुत जल्दी फल देने वाली मानी जाती है। यदि सूर्य भगवान को सुबह उठ कर अर्घ्य अर्पित साथ मुख्य रूप से लाल रंग का फूल और साथ ही आक, कनेर, कमल, चम्पा, पलास, अशोक, बेला, मालती के फूल भी चढ़ाया जाता है।
भगवान शनि देव/ Lord Shani Dev
आमतौर पर शनिवार के दिन भगवान शनि देव की पूजा की जाती है। पीपल के पेड़ के निचे यदि भगवन शनि की पूजा की जाये तो जल्द ही सारी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। पद्मपुराण के अनुसार, शनिवार को पीपल की जड़ में जल अर्पित करने से कई प्रकार के कष्टों को दूर करने में मदद मिलती है। इस दिन, पीपल के पेड़ के निचे या भगवान शनि देव के मंदिर में एक तेल का दीपक जलाने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और शनि देव की कृपा बनी रहती है।
शनिदेव की पूजा में हमेशा साफ सुथरे कपड़े पहन कर और नहा धोकर ही करें साथ ही शनिदेव की पूजा पाठ में हमेशा सरसों के तेल या तिल के तेल का प्रयोग किया जाना चाहिए। पूजा के दौरान शनि देव को नीले रंग के फूल चाहिए।
Nice information of flowers.