मठारदेव बाबा सारणी, बैतूल/ Mathardev Baba Sarni, Betul
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सारणी क्षेत्र में लगभग तीन हजार फिट की उचाई पर बाबा मठारदेव एक भव्य मंदिर में विराजमान है, जिस प्रकार मंदिर बहुत उचाई पर है उसी प्रकार इस मंदिर की ख्याति भी दूर तक फैली है।
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कहा जाता है की यहां पर बाबा ने भगवान भोलेनाथ की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया था। इसलिए सारणी को मठारदेव बाबा की तपोभूमि भी कहा जाता है।
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बाबा मठारदेव को भगवन शिव से वरदान प्राप्त है इसलिए उन्हें मठारेश्वर भी कहते है। जो भी भक्त सच्ची आस्था से बाबा के दरबार में आता है उसकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
मकर संक्रांति के अवसर पर प्रतिवर्ष यहाँ 11 दिन के लिए विशाल मेला लगता है जो की 12 जनवरी से लेकर 22 जनवरी तक चलता है, जिसमे दूर दूर से लोग आते है।
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मेले का आनंद लेने के साथ साथ भक्त बाबा मठारदेव के दर्शन करने के लिए लगभग 3000 फिट उचाई चढ़कर बाबा के मंदिर में दर्शन करने पहुंचते है।
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मेले के दौरान लाखो की संख्या में भक्त यहाँ बाबा के दरबार में आते है, इस महा उत्सव के समय अनेक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है जैसे: कवि सम्मलेन, देवी जागरण, आर्केस्ट्रा और आदिवासी लोकनृत्य आदि।
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सारणी सतपुड़ा पर्वत माला के अंतर्गत आता है, यहाँ चारो ओर उचे-उचे पहाड़ो की चोटिया और घना जगल है।
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जनवरी के माह में सारणी का मौसम किसी हिल स्टेशन की तरह ठंडा होता है कोहरे की वजह से इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता और बढ़ जाती है।
सारणी का महत्व/ Importance of Sarni
ऐसे बहोत ही कम स्थान होते है जिनके अनेक महत्व होते है उनमे से ही एक है सारणी, जिसके अधिक महत्व है। इस स्थान का धार्मिक, प्राकृतिक के साथ साथ आर्थिक महत्व भी है।
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धार्मिक महत्व: समुद्र तल से 3000 फिट की उचाई पर बसे बाबा मठारदेव इस क्षेत्र के धार्मिक महत्व को बढ़ावा देते है। हर भर बड़ी संख्या में लोग पहाड़ी पर बाबा के दरसन करने पहुंचे है, कहा जाता है की सच्चे मन से जो भी भक्त बाबा के दर्शन करने आते है उनकी साडी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
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प्राकृतिक महत्व: सतपुड़ा क्षेत्र के अंतर्गत आने के कारन यहाँ प्रकृति के सूंदर नज़ारे देखने मिलते है चारो ओर उचे-उचे पर्वत मन को भा जाते है, यहाँ के घने जंगल बदलो को अपने ओर आकर्षित करते है जिस वजह से इस स्थान पर सामान्य से अधिक बारिश होती है। रास्ते के दोनों साइड घने जंगल सफर को खूबसूरत बनाते है।
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सारणी से कुछ किलोमीटर की दुरी पर तवा डैम है जिसका निर्माण सतपुड़ा क्षेत्र में बहाने वाली तवा नदी पर हुआ है जो आगे चल के नर्मदा में मिल जाती है।
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आर्थिक महत्त्व: सारणी सतपुड़ा थर्मल पावर प्लांट और कोल् माईन के लिए जाना जाता है, सतपुड़ा थर्मल पावर प्लांट में बिजली का उत्पादन किया जाता है जो की अन्य राज्यों तक पहुंच कर हजारो घरो को रोशन करती है।
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यहाँ के कोल् माईन से कोयले का अच्छा खासा उत्पादन किया जाता है जिसकी वजह से मध्यप्रदेश सरकार को बहोत राजस्य प्राप्त होता है।
शिवरात्रि के समय हजारो श्रद्धालु दूर दूर से बाबा के दर्शन करने आते है ऐसी मानयता है की जो भी यहाँ सच्चे मन से आता है उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है।
श्री श्री 1008 श्री मठारदेव बाबा के चमत्कार/ Miracles of Shri Shri 1008 Shri Mathardev Baba
कहा जाता है की लगभग 300 वर्ष पूर्व श्री मठारदेव बाबा ने सतपुड़ा पर्वत के एक शिखर पर स्थित गुफा के अंदर रहकर भगवान शिव की कठोर आराधना की जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए एवं मठारदेव बाबा को दर्शन देकर उनके तप को पूर्ण किया तथा वरदान दिया कि आज से तुम इस पर्वत के मठाधीश कहलाओगे और जो भक्त श्रद्धापूर्वक यहाँ आकर पूजन अर्चना करेगा उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होगी।
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समय के साथ यहाँ की गुफा का अस्तित्व ख़तम हो गया, अब यहाँ पर भक्तो द्वारा एक विशाल मंदिर का निर्माण किया गया है साथ ही एक शिवलिंग की भी स्थापना की गई है।
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मंदिर शिखर तक पेयजल एवं की प्रकाश अच्छी व्यवस्था नगरपालिका परिषद, मठारदेव मेला समिति तथा मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी सारणी के संयुक्त प्रयास द्वारा की गई है।
मठारदेव में 43 वर्षों से जारी है मकर संक्रांति मेला/ Makar Sankranti fair continues for 43 years in Mathardev
सारणी में साल 1978 को सर्वप्रथम बाबा मठारदेव के भक्तो ने यहाँ पर मकर संक्रांति पर मेले का आयोजान किया था जो अब तक यथावत चालू है। अब तलहटी में भी भव्य व आकर्षक मंदिर बना दिया गया है।
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आज के समय में बैतूल के अन्य पर्यटक स्थलों में सारनी के मठारदेव बाबा का तीर्थ स्थल भी तेजी से उभर कर आ रहा है। यहाँ दिनों दिन यहाँ आने वाले भक्तो की संख्या बढ़ती जा रही है।
मठारदेव बाबा तीर्थ स्थल के साथ सारनी की प्राकृतिक सुंदरता को ध्यान में रखकर इस पर्यटन स्थल का विकास जारी है।
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सारनी स्थित तवा डैम पर कई वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी की शुरुवात की गई है जिससे पर्यटक की दिलचस्पी इस स्थान के प्रति बढ़ने लगी है.
बाबा मठारदेव की अद्भुत महिमा/ Amazing glory of Baba Mathardev
जब सारणी में पावर प्लांट बनाया जा रहा था तब एक पीपल का पेड़ इस पॉवर हाउस परिसर में एक विशाल पेड़ था जिसे अनेक प्रयास के बाद भी हटाने में असर्थ रहे थे फिर एक दिव्य पुरूष ने आकर बाबा मठारदेव की पूजा-अर्चना करने का उपाय बताया। उसके बाद ही उस पेड़ को हटाने में सफलता प्राप्त हुई।
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पावर प्लांट में काम करने वाले कर्मचारी बताते है की जब से बाबा के मंदिर में बिजली पहुंचे गई तब से आज तक या मंदिर रोशन है।
पहली बार बिजली साल 1966 में डी. एस. तिवारी के प्रयासों से पहुंचे गई थी तब से यहाँ दुर्घटनाओं और अकाल मौत में भरी कमी आई तब से बाबा के प्रति आस्था और भी बढ़ गई।
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लोक कथाओ के अनुसार श्री श्री 1008 बाबा मठारदेव ले लगभग 300 साल पहले इस पर्वत शिखर पर तप किया था।
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मंदिर स्थल पर पहले एक गुफा थी जहा से बाबा मठारदेव अंतर्धयान हो गए। बाबा मठारदेव की अद्भुत प्रतिमा मंदिर परिसर में विराजमान है, जनश्रुति के आधार पर आदिवासियों विशेषकर गोंड जन जाति की पहले से ही मठारदेव बाबा के लिए आस्था है।
मठ्ठा या माहि द्वारा यहाँ पर शिवलिंग का अभिषेक होता है नाम मठारदेव बाबा पड़ गया।
क्षेत्रय लोगो की माने तो बाबा मठारदेव बहोत अलौकिक शक्तिया थी, जो जन कल्याण के लिए उपयोग की जाती थी उस समय में ही उनके भक्तो की सख्या हजारो में थी और उनकी ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी।
मठारदेव पर्वत के शिखर पर ही एक वट वृक्ष के पास बाबा ध्यान लगाया करते थे।
आज वहां एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है रात्रि में यहाँ के प्रकाश की रौशनी को मिलो दूर से देख अजा सकता है।
तत्कालिक खोज/Instant search
साल 1960-61 के आसपास जब पावर प्लांट का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था। तब कुछ उत्साही लोग इस पहाड़ के शिखर तक पहुंचे थे।
वह पर उन्होंने देखा एक छोटी सी कुटिया, जिसके पास में धुनी जल रही थी। यहाँ विराजमान शिवलिंग पर ताजे फूल चढ़े थे लेकिन आप पास कोई मौजूद नहीं था, पर्वत पर पहुंचने वाले लोग आश्चर्य में थे लेकिन उनके सवालो का कोई जवाब देने वाला नहीं था।
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कुछ कथाओ के अनुसार माना जाये तो बाबा ग्वाला जाती के थे, वहीं पर दूसरी ओर कोरकू जन-जाति के लोग बाबा को अपनी कुटुंब का मानते हैं।
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सारनी से दमुआ मार्ग पर स्थित बाबा कुवर देव को मठारदेव बाबा का पुत्र कहा जाता हैं।
कैसे पहुंचे श्री मठारदेव बाबा के द्वार/ How to reach Shri Mathardev Baba’s door
भोपाल से नागपुर 69 राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ग्राम बरेठा से 33 किलोमीटर की दुरी पर है, यहाँ से सारणी जाने के लिए अनेक साधन उपलब्ध रहते है। साथ ही घोड़ाडोंगरी रेलवे स्टेशन से इसकी दुरी मात्र 18 किलोमीटर है।
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जुलाई से मार्च तक यहाँ जाने के लिए अच्छा समय माना जाता है मकर संक्रांत पर यहाँ पूजा का विशेष महत्व है। थर्मल पावर प्लांट की वजह से यहाँ के वातावरण में थोड़ा प्रदुषण होता है लेकिन यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता के आगे प्रदूषण नाम मात्र का रह जाता है।
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चर्चा में सारणी/Sarni in Discussion
हल ही में कुछ महीने पहले बैतूल जिले का यह स्थान बहुत ही चर्चा में रहा। किसान आंदोलन के विरोध में कंगना रनोट अनेक ट्वीट पर ट्वीट किये थे ।
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जब उनकी फिल्म धाकड़ की शूटिंग सारणी क्षेत्र में हो रही थी तब कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओ ने जब कर उनका विरोध करने की कोशिश की थी लेकिन पुलिस प्रशासन द्वारा लाठी चार्ज कर उलटे पाव भागा दिया गया कुछ लोग तो वाहन तक छोड़ भागे थे।
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अगर इस स्थान पर बॉलीवुड की किसी बड़ी फिल्म को फिल्माया जा रहा है तो फिर यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।