रीवा जिले में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह/ Best Places To Visit In Rewa District

मध्यप्रदेश का रीवा जिला सफ़ेद बाघ के लिए बहोत प्रसिद्द है, रीवा को सफेद बाघों की भूमि भी कहा जाता है। इस व्हाइट टाइगर सफारी की सैर करने देश-विदेश से पर्यटक आते है। रीवा अपने जलप्रपात के लिए भी जाना जाता है क्यों की मध्यप्रदेश के प्रमुख जल प्रपात की लिस्ट में सब से ज्यादा रीवा के ही है। रीवा एक पठारी क्षेत्र के अंतर्गत आता इसलिए यहाँ अधिक जलप्रपात का होना स्वाभाविक है। वन्य जीव, प्राकर्तिक सुंदरता के साथ इस जिले का कुछ इतिहास में भी योगदान है, जिसका उदाहरण यहाँ मौजुद किला है। मध्य प्रदेश का एकमात्र सैनिक स्कूल भी रीवा में स्थित है।

रीवा के प्रमुख आकर्षण केन्द्रो को विस्तार पूर्वक जानते है-

बहुती जलप्रपात/ Bahuti Watefall

रीवा शहर से 72 किमी दूर स्थित (भारतीय नियाग्रा) मध्य प्रदेश के झरनों में सबसे ऊंचा है।  इसकी ऊंचाई लगभग 650 फ़ीट है, यानि लगभग इसकी ऊंचाई 198 मीटर है। जो बीहड़ नदी पर बना हुआ है। बीहड़ नदी तमसा नदी की सहायक नदी है।

यह जलप्रपात पानी के लंबवत गिरने के साथ एक झरना बनाने वाले निक पॉइंट का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। जब कोई इस झरने को देखता है तो वह देखते ही रह जाता है, यहाँ प्रकृति की सुंदरता अलौकिक जान पड़ती है। जंगल में बसे मध्य प्रदेश के ये झरने लंबे समय से लोगों की नजरों से दूर रहा हैं।

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क्षेत्र की भौगोलीक स्थिति के कारण, आस-पास कोई प्रमुख रेलवे स्टेशन नहीं हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन सतना है, जहां बार-बार जाने की सेवा नहीं मिलती है।

केवटी वाटर फॉल्स, रीवा/Keoti Waterfall Rewa

रीवा पठार से बहने वाली टोंस नदी पर स्थित केवटी वॉटरफॉल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह अपनी उचाई और फैलाव के लिए जाना जाता है। इस जलप्रपात की कुल ऊंचाई 130 मीटर है। कई साहसिक खेल उपलब्ध हैं जो निश्चित रूप से कई पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। चट्टानों से गिरता हुआ झाने का पानी यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता को और बड़ा देता है। केवटी फॉल्स, मध्य प्रदेश के कई झरनों के बीच एक पर्यटक पसंद और इसकी लोकप्रियता निरंतर बढ़ती जा रही है। रीवा शहर से 46 किमी की दूरी पर स्थित इस स्थान पर सिटी सेंटर रीवा से निजी या टैक्सी द्वारा जाया जा सकता है।

चचाई जलप्रपात, रीवा/ Chachai Jalprapat, Rewa

मध्य प्रदेश के झरनों में दूसरा सबसे ऊंचा, चाचाई जलप्रपात की ऊंचाई 400 फीट है। रीवा शहर के उत्तर में स्थित, झरना 40 किमी दूर स्थित है और इसका निर्माण बीहड़ नदी पर हुआ है। यह फॉल्स भी निक पॉइंट कायाकल्प का एक अच्छा उदाहरण हैं। चित्रकूट पहाड़ियों पर मौजूद होने के कारण यह झरना पर्यटकों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। इन पहाड़ियों का पौराणिक और धार्मिक महत्व भी है। मानसून के मौसम में जलप्रपात अपने पूर्ण रूप से खिल उठता है।

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यह झरना केवटी और बहुती झरने से मिलते जुलते हैं और यह उस घाटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें यह गिरता है। यहां की यात्रा कोई सीधा रास्ता नहीं है क्योंकि इसके लिए पहले रीवा जाना पड़ता है और फिर इन झरनों के लिए एक निजी टैक्सी किराए पर लेनी पड़ती है। अगस्त और फरवरी के महीनों के बीच झरनों की खूबसूरती के साथ-साथ वहां के मौसम का बेहतरीन आनंद उठाया जा सकता है।

पुरवा जलप्रपात/Purva Waterfall

रीवा का पुरवा जलप्रपात 70 मीटर की ऊँचाई पर गिरता है जब टोंस नदी रीवा पठार से होकर नीचे बहती है। यह स्थान एक प्राकृति का सूंदर नजारा प्रस्तुत करता है साथ ही हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इसका धार्मिक महत्व है क्योंकि यह महाकाव्य रामायण से जुड़े कई स्थानों के करीब है। यह एक अद्भुत पिकनिक स्थल में से एक है अपने परिवार और दोस्तों के साथ यहाँ अच्छा समय बिताया जा सकता है। बरसात के दिनों में यह अपने पूर्ण वेग में होता है।

सफेद बाघ सफारी/ White Tiger Safari

भारत की पहली व्हाइट टाइगर सफारी वन्यजीव के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। वन्यजीव प्रेमियों के लिए सफेद बाघ जैसी अनोखी प्रजाति के बाघ को देखना अपने आप में एक अलग अनुभव है। रीवा के मुकुंदपुर जंगल के बारे में कम ही लोग जानते हैं। सफेद बाघों का घर माना जाने वाला मुकुंदपुर जंगल रीवा शहर से करीब 14 किमी दूर है।

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महाराजा मार्तंड सिंह ने 1951 में पहली बार यहां सफेद बाघ देखे थे।यह खूबसूरत जगह एक छोर पर जलाशयों से घिरी हुई है और दूसरी तरफ हरे भरे जंगल से। यह एक रोमांचक स्थान है और ‘जंगल के राजा’ को खुले में देखने का अनुभव कुछ अलग होगा ओ भी सफ़ेद रंग में। सफेद बाघों के अलावा, यहाँ भालू, काले हिरण, शेर और अन्य जानवरों के लिए एक प्राकृतिक स्थल है।

रीवा किला/Rewa Fort

यह किला रीवा शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह घूमने के लिए एक शांतिपूर्ण स्थान में से एक है। किले के अंदर आपको प्राचीन मंदिर भी देखने मिलते है। इस किले के अंदर एक संग्रहालय में स्थित है, जहां पर पालकी, चित्रों, तलवारें, पुरानी बंदूक और भी पुरानी वस्तुओं का संग्रह आपको देखने मिल जाएगा। रीवा किले के पास राधा-कृष्ण और दूसरा भगवान शिव का मंदिर हैं।

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इस किले में प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है, जो बहुत ही कम होता है। रीवा के अंतिम शासक महाराजा मार्तण्ड सिंह थे। सबसे पहले व्हाइट टाइगर मोहन (White Tiger Mohan) मार्तंड सिंह द्वारा ही देखा गया था और उन्होनें ही व्हाइट टाइगर को संरक्षित किया था।

गोविंदगढ़ पैलेस/ Govindgarh Palace

इस पैलेस का निर्माण बहुत पहले साल 1882 ई. में रीवा के महाराज ने किया था। यह महल रीवा के शहर से 13 कि.मी. दूर स्थित है। यह महल कुछ खूबसूरत झरनों जैसे केवटी, चचाई तथा बछुती से घिरा हुआ है। इस जगह पर दो नदियों बिहाड़ और पिछिया का संगम होता है। इस महल का निर्माण बहुत अच्छी तरह से किया गया है जिसके चारो ओर सुंदर वास्तुकला से सुसज्जित है। इस महल के अंदर एक भूमिगत सुरंग है जिसका उपयोग रीवा के राजा एक गुप्त मार्ग के रूप में करते थे।

इस महल के अंदर अनेक मंदिर जैसे चैआंदी मंदिर, हनुमान मंदिर स्थित हैं। यह महल बाघेला राजाओं के द्वारा बनवाई गई गोविंदगढ़ झील के किनारे स्थित है। इस महल के अंदर विशाल इतिहास को समेटे हुए एक संग्रहालय है। यह संग्रहालय राज्य के इतिहास में अपना एक अलग स्थान है क्योंकि 1952 में पास के जंगलों से पकड़े गए सफेद बाघ को रखने वाला यह पहला संग्रहालय बना है। स्थानीय लोगों ने इस बाघ का नाम मोहन रखा था।

पीली कोठी/Pili Kothi

पीली कोठी रीवा जिले की एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल में से एक है। कोठी का निर्माण धीरज बांधवेश सर गुलाब सिंह ने करवाया था। यह स्थान रीवा के सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। इस जगह की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय फरवरी और मार्च के महीनों के दौरान होता है क्योंकि उस समय मौसम ठंडा रहता है।

रीवा के नगर निगम के अधिकारियों द्वारा जगह का रखरखाव किया जाता है, और पीली कोठी के बाहर हर समय कड़ी सुरक्षा होती है। इस स्थान का एक महान ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि रीवा के महाराजा ने कोठी को एक संस्मरण के रूप में बनवाया था। पर्यटन मंत्रालय, मध्य प्रदेश के अनुसार, यह स्थान पूरे रीवा क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा पर्यटक आकर्षण स्थल माना जाता है क्योंकि साल भर में सैकड़ों पर्यटक इस स्थान पर आते हैं।

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