सर्दियों का मौसम दस्तक दे चूका है, ऐसे में बहार कही घूमने जाने का प्लान हर कोई बनता है। गर्मी के दिनों के तुलना सर्दियो का मौसम घूमने के लिए अधिक पसंद किया जाता है। मध्यप्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। प्रदेश में कई आश्चर्य जनक जगहें है जहाँ सर्दियों के दिनों में छुट्टिया बिताने जा सकते है। प्रदेश में जंगल, नदी, पहाड़, झरने, झील, खूबसूरत वादिया और धार्मिक दर्शय स्थल की कोई कमी नहीं है। मध्यप्रदेश का इतिहास गौरवीन करने वाला है जिसकी झलक हम सर्दियों की छुट्टी में देख सकते है। आये जाने मध्यप्रदेश के कुछ अद्भुत स्थल जहाँ आप ठंडी की छुट्टिया बिताने जा सकते है।
यूनिस्को हेरिटेज/ UNESCO Heritage
खजुराहो/ Khajuraho
खजुराहो स्मारकों के समूह और अद्भुत वास्तुकला के लिए जाना जाता है जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं। खजुराहो मध्य प्रदेश में घूमने के लिए एक सुंदर ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यहां के मंदिरों की दीवारों पर बनी मुर्तिया विश्व भर में प्रसिद्द है, जो हर किसी का धयान ओर आकर्षित करती है। लेकिन खजुराहो में इन मूर्तियों के अलावा और भी बहुत कुछ है।
यहाँ के प्रमुख मंदिरो में कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, चतुर्भुज मंदिर आदि प्रमुख मंदिर है। इनके अलावा यहाँ पुरातत्व संग्रहालय और जैन संग्रहालय भी है। खजुराहो के पास बेनी सागर बांध जहाँ अच्छा समय बिताया जा सकता है। शीतकाल में छुट्टिया बिताने के लिया निश्चित ही खजुराहो को चुन सकते है।
भीमबेटका/ Bhimbetka
भीमबेटका अपने प्राचीन रॉक शेल्टर और गुफाओं के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। साथ ही इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया है। भारत में भीमबेटका को मनुष्यों के सबसे पुराने घरों में से एक माना जाता है। यह 10,000 साल पहले इंसानो के निवास के प्रमाण मिलते है।
ऐतिहासिक गुफा चित्र आपको समय पर वापस ले जाते हैं और इतिहास प्रेमियों के लिए इस अद्भुत स्थान की यात्रा करने का एक बड़ा कारण हैं। चारों ओर घने जंगल यहाँ की शोभा और बढ़ाते है। सर्दी के में यहाँ पर्यटकों की अच्छी-खासी भीड़ होती है। तो इस साल ठण्ड मौसम में जरूर इस स्थान की सैर करे।
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सांची स्तूप/ Sanchi Stupa
मध्य प्रदेश में स्थित, सांची के बौद्ध स्मारक भारत की सबसे पुरानी पत्थर की संरचनाओं में से एक हैं। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल नामित, महान स्तूप को तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य वंश के सम्राट अशोक द्वारा स्थापित किया गया था। साइट पर मौजूद मूर्तियां और स्मारक मध्य प्रदेश में बौद्ध कला और वास्तुकला के विकास का एक बेहतरीन उदाहरण हैं। स्तूप भोपाल शहर से 46 किमी दूर सांची में एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है।
30 मीटर से अधिक व्यास वाले 50 फीट से अधिक ऊंचे इस विशाल गोलार्द्ध के गुंबद का निर्माण भगवान बुद्ध के सम्मान में किया गया था और इसमें कई महत्वपूर्ण बौद्ध अवशेष हैं। यह भगवान बुद्ध के वितरित अवशेषों के लिए एक पवित्र दफन टीले के रूप में कार्य करने के लिए है।
सांची अपने प्राचीन स्तूपों, मठों, अशोक स्तंभ, तोरणों या जटिल नक्काशी के साथ अलंकृत प्रवेश द्वारों और समृद्ध बौद्ध संस्कृति के अन्य अवशेषों के लिए जाना जाता है जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के हैं। यह बौद्ध तीर्थयात्रा और तीर्थयात्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। दुनिया भर से इस जगह पर आते हैं।
राष्ट्रीय उद्यान/ National Park
पेंच राष्ट्रीय उद्यान/ Pench National Park
पेंच नेशनल पार्क को मोगली लैंड भी कहते है। वही मोगली जिसकी कहानी हर किसी ने कभी न कभी जरूर सुनी होगी। पेंच नेशनल पार्क भारत के सबसे बेहतरीन राष्ट्रीय उद्यानो में से एक है जो अपने प्राकृतिक आवास में वन्यजीवों को देखने के लिए सबसे अच्छा मन जाता है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैले पेंच राष्ट्रीय उद्यान को रॉयल बंगाल टाइगर को देखने के लिए एक बेहतरीन जगह माना जाता है।
इसके अलावा जंगली कुत्तों, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर, भारतीय तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा और भारतीय गौर जैसी अन्य प्रजातियों का भी घर है। पक्षियों के लिए यह क्षेत्र बहोत अनुकूल है, यह अनेक प्रकार के दुर्लभ पक्षी भी पाए जाते है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान/ Bandhavgarh National Park
प्राकृतिक वन सम्पदा से भरपूर मध्यप्रदेश का बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान देश के सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह रॉयल बंगाल टाइगर की बड़ी आबादी के लिए जाना जाता है जो जंगली में देखना हर किसी के लिए एक खुशी है। यह कई तेंदुओं, हिरणों, सांभर, लंगूर, भारतीय बाइसन और सफेद बाघों का भी घर है।
बांधवगढ़ में प्राचीन गुफाये भी है, खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा बांधवगढ़ सर्दियों की छुट्टियों के लिए एक खूबसूरत जगह साबित होता है।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान/ Satpura National Park
पचमढ़ी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या कम इसलिए यहाँ इनको देख पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन अन्य जंगली जानवर इस उद्यान में बहोत अधिक मात्रा में रहते है। पर्वतीय और घने जंगलो से भरपूर इस राष्ट्रीय उद्यान में अनेक नदी और झरने है, जो पर्यटकों आपने ओर आकर्षित करती है।
यह भीड़ के बिना प्रकृति के बिच अच्छा समय बिताने के लिए एक उत्कृष्ट जगह है। विशेष रूप से, सतपुड़ा भारत के कुछ संरक्षित वनों में से एक है, जहां से पर्यटकों को पैदल चलने की अनुमति है। पार्क के अंदर अन्य संभावित गतिविधियों में साइकिल चलाना, जीप सफारी, रात की सफारी और डोंगी सफारी शामिल हैं।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान/ Kanha National Park
कान्हा नेशनल पार्क को रुडयार्ड किपलिंग के क्लासिक उपन्यास, द जंगल बुक के लिए प्रेरणा प्रदान करने का सम्मान प्राप्त है। यह साल और बांस के जंगलों, झीलों, नदियों और खुले घास के मैदानों में समृद्ध है। बाघों के साथ-साथ, पार्क में बरसिंघा (दलदल हिरण) और अन्य जानवरों और पक्षियों की एक विस्तृत प्रजातियां निवास करती है।
एक विशेष प्रकार के जानवर की पेशकश करने के बजाय, यह एक सर्वांगीण प्रकृति का अनुभव प्रदान करता है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान अपने अनुसंधान और संरक्षण कार्यक्रमों के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है, और कई लुप्तप्राय प्रजातियों को वहां बचाया गया है।
प्राकृतिक स्थल/ Natural Sites
पचमढ़ी “सतपुड़ा की रानी”/ Pachmarhi “Queen of Satpura”
पचमढ़ी मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा स्थान है साथ ही यह प्रदेश का प्रमुख हिल स्टेशन है। पचमढ़ी को “सतपुड़ा की रानी” या “सतपुड़ा रेंज की रानी” के रूप में भी जाना जाता है। पचमढ़ी में अनेक दर्शनीय स्थल है जो प्राकृतिक और धार्मिक आस्था से जुड़े हुए है। माना जाता है की पचमढ़ी में भगवान शिव का वाश है। इसलिए भोलेनाथ सम्बंधित सबसे ज्यादा स्थान और मंदिर है। इस स्थान का इतिहास भी अंग्रेजो हुआ है क्यों की अंगेजो के ज़माने में यह मध्यभारत की राजधानी हुआ करती थी।
ऊंचाई पर होने और सतपुड़ा के जंगलों और झरनों से घिरे होने के कारण, पचमढ़ी मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के नजदीकी शहरों से एक आदर्श वीकेंड डेस्टिनेशन में से एक है। पचमढ़ी का सनसेट पॉइंट बहोत प्रसिद्द है। यहाँ आप परिवार और दोस्तों अच्छा समय बिता सकते है।
भेड़ाघाट/ Bhedaghat
भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के जबलपुर के प्रमुख शहरों में से एक के करीब है। भेड़ाघाट का धूआंदार जलप्रपात (धुआं का अर्थ धुआं और धार का अर्थ प्रवाह) के लिए जाना जाता है, नर्मदा नदी पर निर्मित प्राकृतिक पानी का एक विशाल झरना जो 98 फीट की ऊंचाई से गिरता है। भेड़ाघाट में विशेष रूप से चांदनी रात के दौरान नौका विहार निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय अनुभव के लिए जाना जाता है। यहां के नाविक कथाकार हैं जो आपको उस जगह के बारे में रोचक कहानियों के रूप में बताएंगे।
भेड़ाघाट की संगमरमर की चट्टानों के रूप में भी माना जाता है। यहाँ नर्मदा नदी लगभग 100 फ़ीट ऊंची चट्टानों के बिच से बहती है। अन्य उल्लेखनीय आकर्षणों में 64 योगिनी मंदिर और ‘बंदर कुदिनी’ शामिल हैं, एक ऐसा स्थान जहां दो चट्टानें एक-दूसरे के इतने करीब हैं कि बंदर एक तरफ से दूसरी तरफ कूद सकते हैं। इसके अलावा जबलपुर का रॉक गार्डन देख सकते है।
धार्मिक स्थल/ Religious Place
ओरछा/ Orchha
ओरछा बेतवा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यह अपने भव्य महलों और जटिल नक्काशीदार मंदिरों के लिए जाना जाता है। महलों के शहर के रूप में प्रसिद्ध, यह क्लासिक भित्ति चित्रों, भित्तिचित्रों और छतरियों (सेनोटाफ्स) के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है, जिनका निर्माण बुंदेला शासकों की स्मृति में किया गया था। ओरछा की पुरानी दुनिया का आकर्षण दुनिया भर के पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
1501 में बुंदेला राजपूत प्रमुख द्वारा स्थापित, ओरछा का शाब्दिक अर्थ है ‘एक छिपी हुई जगह’। यह भारत में शासन करने वाले सबसे शक्तिशाली राजवंशों में से एक- बुंदेलों की राजधानी थी। ओरछा के प्रमुख आकर्षणों में राम राजा मंदिर (एकमात्र स्थान जहां भगवान राम को भगवान और राजा दोनों के रूप में पूजा जाता है), लक्ष्मी नारायण मंदिर (अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए जाना जाता है जो एक किले और एक मंदिर का मेल है), और जहांगीर महल (मुगल सम्राट जहांगीर के समय में निर्मित)। ओरछा के महलों और मंदिरों की मध्ययुगीन वास्तुकला फोटोग्राफरों के लिए एक दृश्य आनंद है।
महेश्वर/ Maheshwar
महेश्वर को मध्य भारत का वाराणसी कहते है। यह भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्द पवित्र स्थल है। महेश्वर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। कहा जाता है कि यह केवल भगवान शिव की पूजा की जाती है, जहां नर्मदा बहती है। यहाँ नर्मदा नदी पर विस्तृत घाट बने है, जहा बैठ कर शांति का अनुभव कर सकते है।
माँ नर्मदा का बहता पवित्र जल में नाव की सवारी की जा सकती है। महेश्वर में नर्मदा तट बने महल देखने योग्य है, इसका इतिहास भी बखान योग्य है।
उज्जैन, महाकाल नगरी/ Ujjain, Mahakal city
उज्जैन, भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है, मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में शिप्रा नदी के पूर्वी तट पर स्थित एक प्राचीन शहर है। जिसका इतिहास हजारो साल पुराना है, प्राचीन काल में इसे अवन्ति नगरी के नाम से जाना जाता था। उज्जैन कुंभ मेले के चार स्थलों में से एक है, जो दुनिया में सबसे बड़ा शांति-काल का जमावड़ा है जो उत्सव में 100 मिलियन लोगों को आकर्षित करता है।
यह उज्जैन को हिंदू तीर्थयात्रा का एक महत्वपूर्ण स्थान बनाता है। इसके अलावा, यह महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का भी घर है, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। धर्म, वास्तुकला और शैक्षिक मूल्य के मामले में उज्जैन की अपार संपत्ति इसे न केवल भारतीय यात्रियों के बीच बल्कि विदेशी पर्यटकों के बीच भी एक शीर्ष आकर्षण बनाती है।
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भोजपुर शिव मंदिर, भोपाल/ Bhojpur Shiv Mandir, Bhopal
भोपाल के भोजपुर गांव में स्थित भगवान शिव को समर्पित यह 10 वीं सदी का मंदिर धार्मिक आस्था रखने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह स्थान विश्व के सबसे बड़े एक पत्थर से निर्मित शिवलिंग के लिए प्रशिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण राजा भोज द्वारा किया गया था।
हालांकि, कुछ अज्ञात कारणों से मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो पाया था, लेकिन इसकी शानदार वास्तुकला और 7.5 फीट का लिंगम (आधार मंच सहित) हर जगह से पर्यटकों को आकर्षित करता है। मंदिर के इतिहास के बारे में अधिक जानकारी के लिए संलग्न संग्रहालय देखें।
ऐतिहासिक स्थल/ Historic Site
ग्वालियर का किला/ Fort of Gwalior
देश का दूसरा सबसे बड़ा और विशाल ग्वालियर का किला अपने आकर्षण के लिए जाना जाता है। जितना सूंदर किला है उतना ही समृद्ध उसका इतिहास। यह शहर मध्य प्रदेश का एक शानदार शीतकालीन छुट्टिया बिताने के लिए अच्छा स्थान है। य
हाँ का भोजन और ऐतिहासिक वास्तुकला ग्वालियर को उन लोगों के लिए एक अद्भुत जगह बनाते हैं जो मध्य प्रदेश की संस्कृति में एक झलक देखना चाहते हैं। ग्वालियर में इस किले के अलावा और भी कई बेहतरीन स्थान जिनका भ्रमण किया जा सकता है।