मध्यप्रदेश के अद्भुत प्राकृतिक स्थान/Amazing Natural Places Of Madhya Pradesh
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मध्य प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। मध्य प्रदेश देशी और विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है ताकि वे अपने वन्यजीव निवासों, धार्मिक स्थलों, सांस्कृतिक केंद्रों और सबसे महत्वपूर्ण, इसके प्राकृतिक चमत्कारों के समृद्ध संग्रह को देखने के लिए आ सकें। प्रकृति और मानव जाति दोनों ने इस क्षेत्र को एक पर्यटक आकर्षक केंद्र के रूप में तराशा है। अपनी रूचि के अनुरार विभिन्न क्षेत्रों के साथ पर्यटकों और खोजकर्ताओं के लिए खानपान, मध्य प्रदेश राज्य में हर तरह के लिए कुछ असाधारण है।
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राज्य की सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भूमि में किलों, महलों, मंदिरों और प्राकृतिक सम्पदा के रूप में संपूर्ण भारत में बेहतरीन संरचनाएं हैं। प्राचीन गुफाओं से जो आपको आदिम युग के बारे में सोचने पर मजबूर कर देगी धार्मिक महत्व के स्थान जो आपको हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों के बारे में आश्चर्यचकित कर देंगे, मध्य प्रदेश प्राकृतिक चमत्कारों का खजाना है।
भीमबेटका गुफाएं और रॉक शेल्टर/ Bhimbetka Gufa Aur Rock Shelters
जिन लोगो को पुरातत्व में दिलचस्पी है, तो उनके लिए भीमबेटका गुफाएं और रॉक शेल्टर वह स्थान है जो आपकी इच्छाओ के अनुरूप होगी, उससे आप अचंभित हो सकते हो। यह विंध्य रेंज की तलहटी में स्थित मध्य प्रदेश के सबसे प्रमुख प्राकृतिक स्थान में से एक, इस जगह अनिवार्य रूप से लगभग 700 प्राकृतिक रॉक आश्रयों की एक श्रृंखला है।
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इन गुफाओं में मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाने या चित्रित करने वाले चित्र हैं। ऐसा अनुमान है कि इनमें से कुछ पेंटिंग 30,000 साल से भी अधिक पुरानी हैं। माना जाता है कि गुफाओं की उत्पत्ति पैलियोलिथिक और मेसोलिथिक काल में हुई थी।
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यहाँ प्राप्त मानव अवशेष विश्व में सबसे प्राचीनतम बताये जाते है, जो इशारा करते है की मानव जीवन उत्पत्ति और सरक्षण में नर्मदा नदी के किनारे हजारो साल पहले हुआ था। मध्य प्रदेश के इस अद्भुत स्थान की यात्रा निश्चित रूप से आपको सोचने और हमारे पूर्वजों के जीवन की कल्पना करने पर मजबूर कर देगी।
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पातालकोट तामिया, छिंदवाड़ा/ Patalkot Tamia, Chhindwara
पातालकोट घाटी 79 किमी2 के क्षेत्र में फैली हुई है। घाटी उत्तर-पश्चिम दिशा में छिंदवाड़ा से 78 किमी और उत्तर-पूर्व दिशा में तामिया से 20 किमी की दूरी पर स्थित है। ‘दूधी’ नदी घाटी में बहती है। घोड़े की नाल के आकार की यह घाटी पहाड़ियों से घिरी हुई है और घाटी के अंदर स्थित गाँवों तक पहुँचने के लिए कई रास्ते हैं। चट्टानें ज्यादातर आर्कियन युग के हैं जो लगभग 2500 मिलियन वर्ष हैं और इसमें ग्रेनाइट गनीस, हरी शिस्ट, बुनियादी चट्टानें शामिल हैं।
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हाल के वर्षों में सरकार पातालकोट को इको-टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाने की कोशिश कर रही है। मानसून का मौसम पर्यटकों के लिए यह एक लोकप्रिय स्थान है, क्योंकि यह एक प्रकृतिक आश्रय क्षेत्र है, जो पूर्ण रूप से हराभरा रहता है। पातालकोट अपनी मूल संस्कृति और रीति-रिवाजों को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए जाना जाता है। कुछ साल पहले तक, यह अपने आप में एक ऐसी दुनिया थी जिसका बाहर से कोई प्रभाव नहीं था। हर साल अक्टूबर के महीने में सतपुड़ा एडवेंचर स्पोर्ट्स फेस्टिवल नामक उत्सव का आयोजन किया जाता है।
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गहरी घाटी में बसे गावो में दोपहर के समय थोड़ी देर के लिए धुप आती है, यहाँ सुबह देर से और रात जल्दी हो जाती है। बरसात के दिनों में यहाँ बदलो का डेरा रहता है, यह सामान्य से अधिक बारिश होती है।
बैलेंसिंग रॉक, जबलपुर/ Balancing Rock, jabalpur
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जबलपुर स्थित बैलेंसिंग रॉक सचमुच अचंभित करने वाले है। इस स्थान ने आम आदमी से लेकर भूवैज्ञानिको को तक आश्चर्य में डाल है।` गोंड शासक राजा मदन मोहन सिंह द्वारा बनवाए गए मदन मोहन किला के रास्ते में पड़ने वाला बैलेंसिंग रॉक्स के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण हजारों साल पहले ज्वालामुखी फटने से हुआ था। पुरातत्वविद और भूवैज्ञानिक आज तक इस बात को समझने में नाकाम रहे है कि आखिर कैसे ये चट्टानें इतने सालों से उसी स्थान पर मौजूद है। हालांकि उनका ऐसा मानना है कि ये चट्टानें अपने वजन और स्थिति के साथ गुरुत्वाकर्षण बल के कारण अपने स्थान पर टिकी हुई हैं।
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यहां तक कि जब 1997 के भूकंप ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया था, तब भी यह चट्टानें अपनी जगह पर टिकी रहीं। मदन महल किले के ऊपर से बैलेंसिंग रॉक्स के अलावा शहर का भी विहंगम नजारा देखा जा सकता है। भूवैज्ञानिकों के बीच तो बैलेंसिंग रॉक्स लोकप्रिय है ही, साथ आम लोगों के लिए भी इन चट्टानों को देखे बिना जबलपुर की यात्रा अधूरी ही मानी जाती।
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मार्बल रॉक्स भेड़ाघाट, जबलपुर/Marble Rocks Bhedaghat, Jabalpur
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जबलपुर जिले के भेड़ाघाट में संगमरमर की चट्टानें, देश के सबसे खूबसूरत प्राकृतिक स्थलों में से एक है। जबलपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर नर्मदा नदी के तट पर स्थित ये चट्टानें 100 फीट की ऊंचाई तक उठती हैं। प्राचीन संगमरमर और हर्षित नदी जल पर सूर्य और चंद्रमा के प्रकाश और छाया का खेल अविस्मरणीय छवियों का एक बहुरूपदर्शक प्रस्तुत करता है।
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ये संगमरमर के पत्थर भी अलग-अलग रोशनी में अलग-अलग रंगों के दिखाई पड़ते हैं। चांदनी रात के दर्शन विशेष रूप से अद्भुत होते हैं और यही कारण है कि घाटी में कई नाव की सवारी उपलब्ध हैं। पर्यटक नाव की सवारी के माध्यम से चांदनी रातों में जादुई पहाड़ों से घिरी नर्मदा नदी के दृश्य का आनंद ले सकते हैं। इन संगमरमर की घाटी के चारों ओर कुछ महत्वपूर्ण स्थान हैं जिन्हें जरूर देखना चाहिए चाहिए, जैसे बंदर कुदनी।
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यहां पहाड़ एक-दूसरे के इतने करीब आते हैं कि बंदर वास्तव में एक किनारे से दूसरे किनारे तक बिना किसी कठिनाई के छलांग लगा सकते हैं। इसलिए इस स्थान का नाम बंदर कुढ़नी पड़ा। यह स्थल धार्मिक के साथ साथ पुरातात्विक महत्व भी रखता है क्योंकि खुदाई में कुछ घाटों पर डायनासोर के अंडों के खोल मिले हैं। भेड़ाघाट स्थित जल प्रपात के बारे में तो सब जानते ही होंगे वह भी यहाँ से पास में ही है।
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अनहोनी, छिंदवाड़ा/Anhoni, Chhindwara
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छिंदवाड़ा जिले के तामिया तहसील के पास अनहोनी नामक गाँव के पास जंगल में गर्म पानी के कुंड है। इस स्थान पर जमीं से उबलता हुआ पानी बहार निकलता है। इन झरनों में स्नान करने के लिए दूर-दूर से बहुत से लोग इस स्थान पर आते हैं इस गर्म पानी के कुंड में स्नान करने से त्वचा सम्बंधित रोग दूर हो जाते है। यहाँ गर्म पानी निकलने की वजह, जमीं के भीतर सल्फर की अधिकतम मात्रा बताई जाती है। यह प्राचीन मंदिर भी जिसकी वजह से यह स्थान आस्था से भी जुड़ जाता है। पचमढ़ी के हिल स्टेशन पर रहकर यहां भ्रमण किया जा सकता है।
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छिंदवाड़ा जिला घने जंगलों के साथ गहरी घाटियों, पहाड़ियों और पहाड़ियों के क्षेत्र के लिए जाना जाता है। इस जिले के जंगल में सैकड़ों महत्वपूर्ण औषधीय पौधे प्राकृतिक रूप से उगाए जाते हैं।
जटाशंकर गुफा पचमढ़ी, होशंगाबाद/ Jatashankar Gufa Pachmadi, Hosangabad
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मध्य प्रदेश की संस्कृति में गहराई तक जाने और हिंदू पौराणिक कथाओं के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करने के लिए, जटाशंकर गुफा घूमने के लिए एक अच्छा स्थान है। जटा शंकर गुफा पचमढ़ी की एक प्राकृतिक गुफा है। यह स्थान भगवान शिव में आस्था रखने वालो के लिए पूजा करने का एक महत्वपूर्ण स्थान है। गुफा के अंदर एक विशाल शिव लिंग विराजमान है।इस शिव लिंग का निर्माण प्राकृतिक रूप से हुआ है।
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पौराणविक कथाओ के अनुसार, यह वह स्थान है जहां भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए छिपे थे। इसमें एक प्राकृतिक चट्टान भी है जो हिंदू पौराणिक कथाओं के शेषांग नामक सौ सिर वाले सांप जैसा दिखता है।
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यहां की चट्टानें जो भगवान शिव के उलझे हुए बालो की तरह दिखती हैं, जो इस प्राकृतिक गुफा को आश्चर्य से जोड़ती हैं। इस स्थान पर के सुरंग भी है लेकिन आज तक उसमे कोई जा नहीं पाया। पचमढ़ी एक हिल स्टेशन होने के साथ साथ धार्मिक आस्था का केंद्र भी है। सावन और शिवरात्रि के मौके पर यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
सूरज कुंड, ग्वालियर/ Suraj Kund, Gwalior
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इस जल कुंड के अस्तित्व के इर्द-गिर्द घूमने वाली लोककथाओं के कारण मध्य प्रदेश में घूमने के लिए यह सबसे दिलचस्प जगहों में से एक है। इसे 10वीं शताब्दी में तोमर वंश के सूरज पाल ने बनवाया था।
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सुंदर कुंड का पानी कमल के फूलों से भरा है, और कुंड के बीच में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। जल निकाय प्राचीन सूर्य मंदिर के खंडहरों से घिरा हुआ है। यह भी माना जाता है कि यहां के पानी में औषधीय गुण हैं जो पुराने रोगों को ठीक कर सकते हैं। यह कुंड ग्वालियर में ग्वालियर किले पर स्थित है।
भीमकुंड, छतरपुर /Bhimkund, Chhatarpur
यदि आप मध्य प्रदेश में कुछ ऐसा देखना चाहते हैं, जो आपको निःशब्द कर दे, तो भीमकुंड एक ऐसी जगह है। यहाँ पानी नीले रंग का दिखाई देता है इस कारण इसे नीलकुंड के नाम से भी जाना जाता है।
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यहां के पानी के रंग के अलावा एक और चीज जो इस कुंड में रहस्य जोड़ती है वह है इसकी गहराई। ऐसा माना जाता है कि आज तक कोई भी इसकी गहराई को नाप नहीं पाया है, और न ही यहाँ का पानी कभी काम होता है। पानी का यह कोई श्रोत नहीं है लेकिन यहाँ का स्तर हमेशा उतना ही रहता है।
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यह स्थान हिंदुओं के पवित्र स्थल होने के कारण आस्था का केंद्र बना हुआ है। क्योकि कहा जाता है कि जब वनवास के दौरान पांडव यहां से गुजरे तब द्रौपदी को प्यास लगी। कुछ देर विश्राम करने एवं देवी द्रौपदी की प्यास बुझाने के लिए भीम ने धरती पर गदा से प्रहार किया। भीम की गदा के प्रहार से इस कुंड का निर्माण हुआ।
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इसीलिए इस कुंड का नाम भीमकुंड पुकारा जाने लगा। स्थानीय नागरिक इसे तीर्थ स्थल के रूप में मानते हैं।
भीमकुण्ड के बारे में रोचक तथ्य:
- इसकी गहराई आज तक पता नहीं लगाई जा सकी।
- यहाँ का जल स्रोत क्या है, किसी को पता नहीं।
- भीमकुंड का जल इतना स्वच्छ है कि पानी के अंदर तैरती हुई मछलियां और चट्टानें आप अपनी आंखों से देख सकते हैं।
- पानी में यदि कचरा डालेंगे तो कचरा पानी में घुल जाएगा परंतु भीमकुंड में कचरा डालेंगे तो वह पानी में घुलता नहीं है। उसे आप स्पष्ट रूप से पानी के अंदर देख सकते हैं।
- एशिया महाद्वीप पर यदि कोई भूगर्भीय घटना (भूकंप या तूफान आदि) होने वाली हो तो इस कुंड का जलस्तर बढ़ने लगता है।
- भीम कुंड के जल की तीन बूंदों से किसी भी व्यक्ति की प्यास बुझ जाती है।
- भीम कुंड के जल से स्नान करने पर त्वचा रोग दूर हो जाते हैं।
श्री अंगारेश्वर महादेव, उज्जैन/ Shree Angareshwar Mahadev, Ujjain
इस मंदिर की सबसे दिलचस्प बात यह है कि कर्क रेखा इस मंदिर से होकर गुजरती है जो इसे धार्मिक महत्व के अलावा ज्योतिष की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाती है। मंदिर को “मंगलेश्वर” और “करकटेश्वर” के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार मंगल गृह का जन्म स्थान उज्जैन बताया गया है, इसलिए मंगल दोष मंदिर में पूजा फलदाई माना जाता है।
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जिन लोगो की मांगलिक दोष की वजह से विवाह में रूकावट होती है अगर ओ पूजा अर्चना करते है तो इस बाधा से मुक्ति मिलती और विवाह जल्दी संपन्न होता है। मध्य प्रदेश में अपनी छुट्टियों में एक अनूठा अनुभव जोड़ने के लिए इस लोकप्रिय मंदिर की यात्रा अवश्य करें।