“झीलों के शहर भोपाल के पास घूमने की जगहें/ AMAZING PLACES AROUND CITY OF LAKE BHOPAL”

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल अपनी खूबसूरती के कारन जाना जाता है, पूर्ण रूप से प्राकृतिक हराभरा वातावरण शहर की सुंदरता और बड़ा देता है। यहाँ अनेक दर्शनीय स्थान है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है। भोपाल मुख्य रूप से झीलों के लिए जाना जाता है लेकिन यहाँ और भी अच्छे अच्छे स्थान है जहाँ आप अपना समय दोस्तों और परिवार के साथ बिता सकते है। इसके अलावा भोपाल शहर के आसपास अनेक खूबसूरत इतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक स्थल है, जिन्हे वीकेंड पर देखने और घूमने जाया सकता है।

भोपाल के पास घूमने के लिए कई जगहें हैं जो आप की प्रतीक्षा कर रही हैं। स्थान न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं और लोग अक्सर इन सभी स्थानों को देखने के लिए अच्छा समय बिताने के लिए यहां आते हैं।

उदयगिरि गुफाएं, विदिशा/ Udaigiri Caves, Vidisha

भोपाल शहर से नजदीक उदयगिरि की गुफाएं विदिशा जिले के पश्चिम में लगभग 5 किमी और सांची से 13 किमी की दूरी पर स्थित हैं। ये गुप्त काल की गुफाएं है, धार्मिक मूर्तियों की बारीक और भव्य नक्काशी करने वाले कारीगरों के कौशल का प्रमाण देती हैं। ये आज भी धार्मिक व्यक्तियों और कला के पारखियों को प्रेरित करती हैं। उदयगिरि में कुल 20 गुफाएं हैं। चौथी और पांचवीं शताब्दी में इन गुफाओं को बलुआ पत्थर की पहाड़ियों में तराशा गया था। ब्राह्मी लिपि में लिखे शिलालेख इन गुफाओं में पाए जाते हैं जो इन गुफाओं का कालक्रम को पता लगाने में उपयोगी साबित हुए हैं।

गुफा 5 में भगवान विष्णु के वाराह अवतार की मूर्ति है जो गुप्त कला का एक सर्वाधिक उपयुक्त उदाहरण माना जाता है। वाराह अवतार की कहानी भगवान विष्णु द्वारा देवी पृथ्वी को हिरण्याक्ष राक्षस से बचाने की कहानी है। जो उन्हें भगाकर गहरे समुद्र में ले गया था। गुप्त राजाओं द्वारा उनकी भूमि (पृथ्वी) को सभी बुराइयों से बचाने के संकल्प को एक चित्र के रूप में दर्शाया गया है। इन गुफा मंदिरों को भारत में धार्मिक वास्तुकला का सबसे अच्छा और प्रारंभिक उदाहरण माना जाता है। शिवलिंग युक्त मंदिर विशेष रूप से दर्शनीय है क्योंकि दीवारों को पौराणिक बारीक नक्काशियों से सजाया गया है।

साँची का स्तूप/Sanchi Stupa

सांची शहर बौद्ध स्तूपों का पर्याय है – अर्धगोलाकार संरचनाएं जिनमें आमतौर पर बुद्ध या उनके अनुयायियों के अवशेष होते हैं। सांची के स्तूपों का निर्माण सम्राट अशोक के आदेश पर बौद्ध दर्शन के संरक्षण और प्रसार के लिए किया गया था। साँची इन सुंदर और पवित्र वास्तुशिल्प चमत्कारों की रक्षा करता रहा है, जिस तरह ये चमत्कार मौर्य काल के प्राचीन इतिहास और कला की रक्षा करते रहे हैं।

कई स्तूप, मंदिर, मठ और एक अशोक स्तंभ वैश्विक दर्शकों के लिए भी रुचि और विस्मय का केंद्र रहा है। दरअसल यूनेस्को ने महास्तूप को ‘विश्व विरासत स्थल’ का दर्जा मिला है।

यहाँ की यात्रा उस विस्मय को जीवंत कर देगी जो आपने बचपन में अशोक की कहानियों को सुनकर महसूस किया था। सांची के 30 किमी के दायरे में कई अन्य छिपे हुए बुद्ध स्थल हैं जो महत्वपूर्ण बुद्ध शिक्षा प्रदान करते हैं। सांची स्तूप का दौरा करते समय आप भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) सांची संग्रहालय के ठीक सामने बुद्ध जम्बूद्वीप एक 17-एकड़ थीम पार्क भी देख सकते हैं जो गौतम बुद्ध और सम्राट अशोक के जीवन और उपदेशों को दर्शाता है।

भीमबेटका गुफाएं/ Bhimbetka Gufaye

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भोपाल से लगभग 45 किमी दक्षिण में स्थित, भीमबेटका गुफाओं को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। ऐसा माना जाता है कि गुफाएं 30,000 साल से भी अधिक पुरानी हैं। भीमबेटका में एशिया के सबसे उत्तम प्रागैतिहासिक गुफा चित्रों के साथ-साथ शानदार रॉक आश्रयों भी हैं, जहा आज से हजारो साल पहले इंसान रहा करते थे।

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यहाँ अनेक गुफाये है जिनमे आदिकाल के बनाये हुए चित्र है, इन गुफाओ की दीवारे पर बने चित्र यहाँ रहने वाले लोगो की जीवन सैली को दर्शाते है। घने जंगल में होने के कारण इनकी सुंदरता और बाद जाती है। भोपाल में घूमने के लिए सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है, दोस्तों और परिवार के साथ यहाँ अच्छा समय बिताया जा सकता है।

भोजपुर मंदिर/Bhojpur Mandir  

भोजपुर मंदिर को पूर्व के सोमनाथ के रूप में जाना जाता है, यहाँ भोजपुर मंदिर भगवान शिव को समर्पित किया गया है। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में कलियासोत  नदी, जो की आगे चल कर बेतवा कहलाती है के तट पर स्थित, चुकी: इस मंदिर कर निर्माण परमारवंश के चक्रवर्ती राजा, राजा भोज द्वारा किया गया है इसलिए इस मंदिर का नाम भोजपुर (भोजेश्वर) हुआ है।

इस शिव मंदिर को भोजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, इसका निर्माण एक नदी के किनारे चट्टानी पहाड़ी पर किया गया है, समय के साथ साथ यहाँ पर एक गांव बस गया जिसका नाम भोजपुर है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा भोज द्वारा 10 सताब्दी में किया गया था  हालांकि, इस मंदिर का निर्माण अधूरा रहा गया जो कभी पूरा नहीं हुआ। इसका निर्माण पूर्ण न होने के पीछे अलग अलग इतिहासकार अपनी अपनी अलग राय दे चुके है परन्तु इस सब में सब से प्रचलित है राय ये है की इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में होना था लेकिन कार्य पूर्ण होने के पहले ही सुबह हो गई।

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इस प्राचीन मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा एक पत्थर से निर्मित शिवलिंग स्थापित है, और इसे एक चट्टान के ऊपर बनाया गया है, इसकी ऊंचाई लगभग 7.5 फीट और परिधि 18 फीट की है। इसे 21 फीट ऊंचे मंच  रखा गया है जब कभी अनुष्ठान करने का समय होता है तब भक्तों की सुविधा के लिए, शिवलिंग तक पहुंचने के लिए सीढ़ी का उपयोग किया जाता है। विश्व के सब से बड़े और प्राचीन शिवलिंग का यहाँ होना इस मंदिर के महत्व को बढ़ावा देता है इस मंदिर की देख रेख भारतीय पुरातत्व सर्वेछण के अधीन आता है.

रायसेन का किला/Raisen Fort

भोपाल शहर से 48 किमी की दूरी पर स्थित, सुंदर रायसेन किला एक हरे-भरे पहाड़ी के ऊपर स्थित है, जहाँ पर कुछ मंदिर भी बने हुए है, और किले परिसर में कई कुएं और एक विशाल जलाशय है। कहा जाता है कि 800 साल से अधिक पुराना किला एक मंदिर और एक मस्जिद को आश्रय देता है, इसके अलावा कई गुंबद थे जिनमें से अब केवल 2 ही बचे हैं।

प्रसिद्ध मुस्लिम संत हजरत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध यह किला इस्लामिक आस्था का गढ़ है। 13 वीं शताब्दी में इसकी स्थापना के बाद से किले ने कई शासकों के शासन को देखा है। इतिहास, संस्कृति और धर्म के संरक्षकों के लिए आदर्श केंद्र है।

बिजासन माता मंदिर, सलकनपुर/Bijasan Mata Mandir, Salkanpur

भोपाल के पास में घूमने के लिए सबसे अच्छे धार्मिक स्थानों में से एक, सल्कनपुर मंदिर हिंदू देवी दुर्गा का एक पवित्र मंदिर है, जो माँ दुर्गा बीजासन के रूप के लिए जाना जाता है। बिजासन माता दुर्गा का एक अवतार है, इस मंदिर का नाम “विंध्यवासिनी विजयासन देवी मंदिर” के नाम से भी प्रचलित है।

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यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी बना हुआ है, सतह से मंदिर तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है मंदिर तक जाने के लिए 1000 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यहाँ एक रोपवे भी बनाया गया है जो श्रद्धालुओं को बहोत ही आसानी से मंदिर तक पहुंचने में सहायता करता है। माता का मंदिर होने के कारन यहाँ नवरात्री में श्रधलुओ का अधिक आना जाना लगा रहता है।

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ऊंची पहाड़ी और प्राकृतिक सुंदरता इस मंदिर की सोभा को और बढ़ाते है। यदि कोई आस्था और प्रकृति की सुन्दर का संगम देखना चाहते है तो इस मंदिर में दर्शन करने अवश्य ही जाये।

हलाली डैम/Halali Dam

यह भोपाल में सबसे प्रसिद्ध वीकएन्ड डेस्टिनेशन में से एक है, यह जलाशय हलाली नदी पर बनाया गया है, और घने जंगलो के बीच यह एक अद्वितीय अनुभव देता है, चाहे आप नौका विहार करने के लिए जाएं, या सिर्फ एक छोटी पिकनिक के लिए। 699 वर्ग किमी का विशाल स्थान मन को निशब्द कर देने वाला सुंदर दृश्य बनाता है।

यह स्थान मृगल, रोहू, चीताला और मिस्टस जैसे विभिन्न समुद्री जीवन का घर भी है। ऐसा माना जाता है कि राजा मोहम्मद खान नवाद ने नदी के किनारे दुश्मन सेना का वध किया था, जिसने इसे ‘हलाली’ नदी नाम दिया है। शहर से दिन भर के टूर के लिए यह स्थान बहोत ही अच्छा है।

इस्लामनगर किला/Islamnagar Kila

भोपाल शहर से लगभग 13 किमी दूर स्थित, इस्लामनगर किला भोपाल-बेरसिया रोड पर इस्लामनगर के खूबसूरत गांव में स्थित है। गांव के लोगो ने अफगान शासन को सहन किया है, और इसकी भव्यता इमारतों की वास्तुकला और संरचना में दिखाई देती है।

किले को दुश्मन के हमलों से बचाव के साधन के रूप में बनाया गया था, लेकिन अब यह खाण्डेर हो चूका है जो आपको किले की सभी कहानियों और जीवन के बारे में सोचने के लिए पर्याप्त हैं।

मनु भान की टेकरी/Manuabhan Ki Tekri

मनु भान की टेकरी नामक स्थान एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है, मनुभान टेकरी पर भारत के प्रसिद्ध जैन मंदिरों में से एक यह निर्मित है, जो जैन धर्मावलंबियों के लिए प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यह स्थान अपने उत्कृष्ट वास्तुकला और दूर से शहर के मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है। इस स्थान को महावीर गिरी के रूप में भी जाना जाता है। मनु भान की टेकरी में जैन संत श्री जिनदत्त सुरेश्वरजी, आचार्य मनतुंग और महाराजा श्री विजय सूरजी के चरण कमल हैं, साथ ही साथ श्री भास्करजी की मूर्ति भी है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मंदिर में एक बड़े उत्सव का आयोजन किया जाता है।

चारों ओर हरियाली और ठंडी हवा सभी इस स्थान को परिपूर्ण बनाते हैं। मंदिर बहुत अच्छी तरह से बनाया गया है, और पहाड़ी पर बने बड़े पत्थर मंदिर को थोड़ा और भव्यता प्रदान करते हैं। ये देश भर से जैन तीर्थ की भक्ति के महत्वपूर्ण बिंदु हैं। मनुभान टेकरी मंदिर में स्थित, भोपाल रोपवे को भोपाल शहर के दृश्य के लिए पसंद किया जाता है और यह भारत के उन कुछ स्थानों में से एक है जहाँ आप वास्तव में शहर के साहसिक-प्रेमी पक्ष को देख सकते हैं।

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भव्य जैन मंदिर को देखने के लिए रोपवे पर वापसी यात्रा की सवारी करें और वास्तव में उस स्थान की आध्यात्मिकता को महसूस करें जब सूर्यास्त शहर-आसमान को गर्म भगवा रंग के एक कंबल में ढकता है।

केरवा डैम/Kerwa Dam

आप भोपाल के आसपास में पिकनिक स्थल की तलाश कर रहे हैं, तो केरवा बांध आपके लिए उपयुक्त स्थान में से एक है। यह प्राकृतिक सौंदर्य भोपाल से 15 किमी की दूरी पर स्थित है और बहुत आसानी से पहुँचा जा सकता है। इस अद्वितीय ईको-टूरिज्म साइट में प्रकृति के पूरे गौरव के साक्षी बनें हुए। यह विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का घर है। पर्यटक यहाँ अक्सर ताजगी का अनुभव करने के लिए यात्रा शुरू करते हैं जो ठंडी हवा आपको प्रदान करती है।

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सुरम्य पहाड़, प्राकृतिक वातावरण, जंगल, पक्षियों और जानवरों ने इसे शहर के जीवन की नियमित हलचल से सबसे अच्छा पलायन कर दिया है। आप इस स्थान पर कई साहसिक खेलों में भाग ले सकते हैं या इस राजसी बांध के साफ पानी में नाव की सवारी का आनंद उठा सकते हैं। प्राकृतिक सुंदरता और असंख्य रोमांच आपके मन में एक रंगीन कैनवास को रंग देंगे। फोटोशूट के लिए यह स्थान उपयुक्त है, आप निश्चित रूप से इन यादों को जीवन भर संजो कर रखेंगे।

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