छतरपुर जिले तहसील मलहरा से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित भीमकुण्ड एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित यह स्थान प्राचीनकाल से ही ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों की तप करने का स्थान रहा है। वर्तमान समय में यह स्थान धार्मिक पर्यटन एवं वैज्ञानिक शोध का केंद्र भी बन चूका है। यहां स्थित जल कुंड भू-वैज्ञानिकों के लिए भी जिज्ञाशा का विषय बन के रह गया है। दरअसल, यह कुंड अपने भीतर ‘अंनत ‘ गहराइयों को समेटे हुए हैं, जिसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया।
अंनत गहराई/ Infinite Depth
इतने वैज्ञानिक समय में आश्चर्य की बात यह है कि इस जल कुंड में कई बार गोताखोरी करवा चुके हैं, परन्तु इस जल कुंड की सतह का अभी तक कोई पता नहीं लगा सका। इसलिए भू वैज्ञानिको के लिए यह एक शोध का केंद्र बना हुआ है।
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यह भी कहा जाता है कि इस कुंड में डूबने वाले व्यक्ति का मृत शरीर कभी ऊपर नहीं आता, जबकि आमतौर पर पानी में डूबने वाले व्यक्ति का शव एक समय पश्चात खुद-ब-खुद ऊपर आ जाता है। इस कुंड में डूबने वाला व्यक्ति सदा के लिए अदृश्य हो जाता है।
मेले का आयोजन/ Organizing A Fair
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18वीं शताब्दी के अंतिम दशक में बिजावर रियासत के महाराज ने यहां पर मकर संक्रांति के दिन मेले का आयोजन किया था। उस मेले की परंपरा आज भी कायम है। मेले में हर साल हजारों लोग शामिल होते हैं। ऐसी मान्यता है की में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यह लोगो के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है।
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भीमकुंड की स्थिति/ Bhimkund Status
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यह कुंड एक गुफा में स्थित है। जब आप सीढ़ियों से अंदर कुंड की तरफ जाते हैं, तो यहां पर कुंड के चारों तरफ पत्थर ही पत्थर दिखाई देते हैं। यहां दिन के समय में भी रोशनी काम ही पहुंच पाती है, लेकिन यहां का मनोहक नजारा हर किसी को आश्चर्य चकित कर देता है। भीम कुंड के ठीक ऊपर बड़ा-सा कटाव है, जिससे सूर्य की किरणें कुंड के पानी पर पड़ती हैं। सूर्य की किरणों से इस कुंड का जल चमक उठता है।
विष्णु-लक्ष्मी जी का मंदिर/ Vishnu-Lakshmi ji Temple
![जब रोए भगवान विष्णु और वजह बनीं मां लक्ष्मी... - goddess laxmi and lord vishnu story - AajTak](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/201702/goddess_laxmi_1024_1487306816_749x421.jpeg?size=948:533)
भीम कुंड के प्रवेश द्वार तक जाने वाली सीढ़ियों के ऊपरी सिरे पर चतुर्भुज विष्णु तथा लक्ष्मी का विशाल प्राचीन मंदिर बना हुआ है। विष्णु-लक्ष्मीजी के मंदिर के समीप एक अन्य प्राचीन मंदिर बना हुआ है। इसके ठीक विपरीत दिशा में एक पंक्ति में छोटे-छोटे 3 मंदिर बने हुए हैं, जिनमें क्रमश: लक्ष्मी-नृसिंह, राम दरबार और राधा-कृष्ण के मंदिर हैं। भीम कुंड एक ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां व्यक्ति को इस पताललोक और परलोक दोनों के आनंद की अनुभूति देता है।
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भीमकुंड से जुड़ी पौराणिक कथाएं/ Mythology Related To Bhimkund
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ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल के समय जब पांडवों को अज्ञातवास दिया गया था तब वे यहां के घने जंगलों से जा रहे थे। उसी क्षण द्रौपदी को पानी की प्यास लगी। लेकिन, दूर दूर तक पानी का कोई स्रोत नहीं था। द्रौपदी को प्यास से व्याकुलता होता देख गदाधारी भीम ने क्रोध में आकर अपने गदा से पहाड़ के ऊपर प्रहार किया। जिस से यहां पानी का कुंड निर्मित हो गया। फिर इस कुंड के जल से पांडवों और द्रौपदी ने अपनी प्यास बुझाई इसलिए भीम के नाम पर ही इस का नाम भीम कुंड पड़ गया।
एक अन्य कथा के अनुसार/ According To Another Story
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इस कुंड को नील कुंड या नारद कुंड के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि एक बार नारदजी आकाश से गुजर रहे थे, उसी समय उन्होंने आकाश से एक महिला और एक पुरुष को मूर्क्षित अवस्था में देखा। जब उन्होंने यहाँ आकर उनकी दशा का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वे संगीत की राग-रागिनी हैं, और वे तभी सही हो सकते हैं जब कोई संगीत में कुशल उनके लिए संगीत का गायन करे।
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![Bhagwan Vishnu Matsyavatara Story - राजस्थान के सूर्यकुंड में हुआ था भगवान विष्णु का मत्स्यावतार - Amar Ujala Hindi News Live](https://spiderimg.amarujala.com/assets/images/2019/12/09/750x506/vishnu-bhagwan_1575877684.jpeg)
जैसे की हम सब जानते है, नारदजी संगीत में पारंगत थे। उसी समय उन्होंने उन दोनों के समागम गाया, जिसे सुनकर सभी देवता भी नाच उठे। भगवान विष्णु भी इस समागम को सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुए और पानी के टैंक में तब्दील हो गए। भगवान विष्णु के रंग के कारण इस कुण्ड का रंग नीला हो गया, तभी से इसे नीलकुंड के नाम से भी जाना जाने लगा।
इसलिए वैज्ञानिक हैरान/ That’s Why Scientists are Surprised
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अब तक कई वैज्ञानिकों ने इस पर शोध कर के यह पता लगाने की कोशिश की, कि इस कुंड का पानी इतना साफ और स्वच्छ कैसे है। साथ ही इसकी गहराई भी जानना चाहते थे, लेकिन आज तक कोई भी इसके रहस्य का पता नहीं लगा पाया है। एक बार जब गोताखोर उसके अंदर गए थे तो उन्होंने बताया कि अंदर 2 कुएं जैसे बड़े छेद हैं। पानी एक से पानी ऊपर आता है और दूसरे से वापस चला जाता है और उसकी गति भी बहुत तेज होती है।
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जब वैज्ञानिको ने यहां मौजूद लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि हो सकता है कि इसका सीधा संबंध समुद्र से है, क्योंकि इस कुंड के एक तरफ जहां जाली नहीं लगी है, यदि कोई इसमें डूबे तो उसका शव कभी बहार नहीं आता हैं। इसके अलावा जब समुद्र में सुनामी आती है तो कुंड में भी हलचल मच जाती है। इस कुंड में पानी की लहरे 10 फिट तक उठ जाती है।
भीमकुण्ड के बारे में रोचक तथ्य/ Interesting facts about Bhimkund
- इस कुंड की गहराई आज तक पता नहीं लगाई जा सकी।
- इसका जल स्रोत क्या है, किसी को पता नहीं।
- भीमकुंड का जल इतना स्वच्छ है कि पानी के अंदर तैरती हुई मछलियां और चट्टानें अपनी आंखों से देख सकते हैं।
- पानी में यदि कचरा डालेंगे तो कचरा पानी में मिल जाता है, परंतु भीमकुंड में कचरा डालेंगे तो वह पानी में घुलता नहीं है। उसे आप स्पष्ट रूप से पानी के अंदर देख सकते हैं।
- एशिया महाद्वीप पर यदि कोई भूगर्भीय घटना (भूकंप या तूफान आदि) होने वाली हो तो इस कुंड का जलस्तर बढ़ने लगता है।
- कुंड के बहोत जल से किसी भी व्यक्ति की प्यास बुझ जाती है।
- भीम कुंड के जल से स्नान करने पर त्वचा रोग दूर हो जाते हैं।