भोजपुर मंदिर, भोपाल/Bhojpur Temple, Bhopal

प्राचीन भोजपुर मंदिर इतिहास/Ancient Bhojpur Temple History

इस शिव मंदिर को भोजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, इसका निर्माण एक नदी के किनारे चट्टानी पहाड़ी पर किया गया है, समय के साथ साथ यहाँ पर एक गांव बस गया जिसका नाम भोजपुर है।

भोजपुर प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा भोज द्वारा १० सताब्दी में किया गया था  हालांकि, इस मंदिर का निर्माण अधूरा रहा गया जो कभी पूरा नहीं हुआ. इसका निर्माण पूर्ण न होने के पीछे अलग अलग इतिहासकार अपनी अपनी अलग राय दे चुके है परन्तु इस सब में सबसे प्रचलित है राय ये है की इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में होना था लेकिन कार्य पूर्ण होने के पहले ही सुबह हो गई।

शिवलिंग एवं भोजपुर मंदिर की विशेषता/ Specialties of Shivling and Bhojpur temple

यहाँ दुनिया का सबसे बड़ा एक पत्थर से निर्मित शिवलिंग स्थापित है, और इसे एक चट्टान के ऊपर बनाया गया है, इसकी ऊंचाई लगभग 7.5 फीट और परिधि 18 फीट की है। इसे २१ फीट ऊंचे मंच  रखा गया है जब कभी अनुष्ठान करने का समय होता है तब भक्तों की सुविधा के लिए, शिवलिंग  तक पहुंचने के लिए सीढ़ी का उपयोग किया जाता है।

विश्व का सबसे बड़ा और प्राचीन शिवलिंग

विश्व के सब से बड़े और प्राचीन शिवलिंग का यहाँ होना इस मंदिर के महत्व को बढ़ावा देता है इस मंदिर की देख रेख भारतीय पुरातत्व सर्वेछण के अधीन आता है।

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इस मंदिर का गुम्मद विश्व का पहला गुम्मद होने का श्रेय भी प्राप्त है इस मंदिर से पुराने गुम्मद कही और होने के इतिहास में कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है, जो ये साबित करता है की गुम्मद निर्माण की सुरुवात यही से हुई है।

मंदिर का गुम्मद विश्व का पहला गुम्मद होने का श्रेय

मंदिर चार विशाल पत्थर के स्तम्भ पर ठिका हुआ है जो इसके गुम्मान्द का भार वहन करते है, मंदिर के निचले हिस्से में आठ कोने है मंदिर के प्रवेश द्वार पर बहोत ही सूंदर आकर्षित करने वाली प्रतिमाये बानी हुई है.

विशाल प्रवेश द्वार

राजा भोज एक महान शिव भक्त और धर्म रक्षक थे. मंदिर के निकट एक प्राचीन  विशालकाय बांध भी है.

चित्रकला एवं वास्तुकला/ Painting and Architecture

इस मंदिर में अनेक मुर्तिया, मुखोटे और विशाल स्तंभों से की मंदिर की शोभा और बाद जाती है. मंदिर के बाहरी परिसर में दीवार के ऊपर यक्षों की मूर्तियां भी स्थापित हैं।

इस सुंदर प्राचीन मंदिर में अद्भुत वास्तुकला का उपयोग किया गया है इस मंदिर का निर्माण वाश्तुशास्त्र  के सिधान्तो अनुसार हुआ है   इस मंदिर का बाहरी डिजाइन  चौकोर आकार का है।

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द्वार के में विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं  की कई सुंदर नक्काशीदार पत्थर की मूर्तियां  बानी हुई हैं। इस मंदिर के निर्माण की एक पूरी वास्तुशिल्प योजना, जो पूरी तरह से वास्तुशिल्प चित्रों के साथ दर्शाई गई है, वह आज  भी मंदिर के आसपास की कुछ चट्टानों के ऊपर उत्कीर्णित देखी जा सकती है।

इसके साथ ही मंदिर के गर्भगृह में  विशाल शीर्ष स्तंभों पर भगवानों के जोड़े जैसे– शिव-पार्वती, ब्रह्मा-सरस्वती, राम-सीता एवं विष्णु-लक्ष्मी की मूर्तियां बनाई गई हैं।

भोजपुर मंदिर का अनसुलझा रहस्य/Unsolved mystery of Bhojpur temple

मंदिर परिषर में प्राप्त वास्तुशिल्प चित्रों का कई  विद्वानों और विशेषयग्यो द्वारा इस तथ्य का खुलासा करने पर विस्तार पूर्वक अध्ययन किया गया है ताकि यह पता लगा सके की आखिर क्यों  मंदिर के कुछ हिस्सों को अधूरा छोड़ दिया गया है, परन्तु आज तक कोई ठोस सबूतों के आधार पर इस रहसय के ऊपर से पर्दा  सका,  यह अभी भी एक रहस्य बना हुआ है।

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यदि मंदिर का निर्माण पूरा किया जाता है, तो मंदिर वास्तव में अपनी ही तरह का एक अदुतीय कृति होता, जिसका दुनिया की किसी भी अन्य से तुलना नहीं की जा सकती। मंदिर आज भी अधूरा है परन्तु इसके गौरव और लोगो की आस्था में आज तक कोई कमी नहीं देखि गई।

यह प्राचीन शिव मंदिर  राजा भोज द्वारा बनाई गई  महत्वपूर्ण विराशतो में से एक है और इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व होने के करना यह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

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मंदिर परिषर साल भर खुला रहता है पर यहाँ पुरे साल जाया जा सकता है लेकिन यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बिच में रहता है भगवान शिव में आस्था रखने वालो के लिए यहाँ एक अच्छा स्थान है जब भी अवसर प्राप्त हो जरूर जाये और भोले नाथ की कृपा के पात्र बने।

भगवान भोले नाथ सब पर कृपा बनाये रखे.

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