सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज में से एक है। हमारे पूर्वजों को क्या लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे? अगर चाहते तो वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे। एक साधारण डबल बेड बनाना उनके लिए कोई रॉकेट साइंस नहीं था। उनको तो बस लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती थी। चारपाई भले ही साधारण दिखे पर यह भी कोई साइंस से कम नहीं आकि जा सकती, इसे एक समझदारी से सोचकर बनाया कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके।
आज भी गाओं में सोने के लिए खटिया का ही उपयोग किया है, दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद सो कर उठने पर तारो तजा सा सुकून देती है। शहर में लोग दिन भर ऑफिस में बैठने के बाद भी जितने सुकून से अपने डबल बेड पर नहीं सो पते उस से कही जयादा सुकून से गांव में लोग खाट पर सोते है। दुनिया में जितनी भी आराम दायक कुर्सियां देख लें, सभी में चारपाई की तरह झोली बनी रहती है। बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपडे की झोली का था, अब लकडी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया है।
खाट या चारपाई की बनावट/ Khat Ya Charpai Ki Banavat
चारपाई बनाना भी एक कला से कम नहीं है। उसे बारीक़ रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और मेहनत लगती है। चारपाई की बनावट इस तरह होती है की यदि हम इसमें सोये तो सर और पैर थोड़े ऊपर उठे रहे, साथ ही शरीर के बीच वाला हिस्सा थोड़ा धासा हुआ रहता है।
खाट को रस्सियों से इस प्रकार बना जाता है की इसकी सरचना झोली लूमा आकर ले ले। ज्यादातर खाट लकड़ी या बास की बानी होती है।
चारपाई पे सोने के फायदे/Charpai Pe Sone Ke Fayde
खटिया पे सोने से नींद बहोत जल्दी और अच्छी आती है।
जब हम सोते हैं, तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं। पेट को पाचन क्रिया के लिए अधिक खून की जरुरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की झोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।
चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द कभी नही होता है। दर्द होने पर चारपाई पर सोने की सलाह दी जाती है।
अगर किसी को डॉक्टर Bed Rest लिख देता है तो दो तीन दिन में उसको आधुनिक बेड पर लेटने से Bed -Soar शुरू हो जाता है। भारतीय चारपाई ऐसे मरीजों के बहुत काम की होती है। चारपाई पर Bed Soar नहीं होता क्योकि इसमें से हवा आर पार होती रहती है।
बास की बनी चारपाई पर सोने से सारी रात Automatically सारे शारीर का Acupressure होता रहता है।
चारपाई के उपयोग के फायदे/Charpai Ke Upyog Ke Fayde
डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है, उसमें रोग के कीटाणु पनपते हैं, वजन में भारी होता है तो रोज-रोज सफाई नहीं हो सकती।
चारपाई को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सूरज का प्रकाश बहुत बढ़िया कीटनाशक है। खटिये को धूप में रखने से खटमल इत्यादि भी नहीं लगते हैं।
खटिया से रोज सुबह बिस्तर उठा के रखा जाता है जिस से दिन भर धूल या बाकि बैक्टेरिया बिस्तर में नहीं पनप पते।
चारपाई पे बिछा हुआ बिस्तर गर्मी के दिनों में भी गर्म नहीं होता इसका कारण यह है की इसमें निचे से हवा लगते रहती है।
नींद पूरी होने के बाद बिस्टेर हटा के इसे खड़ी रख देने पर जगह भी कम घेरती है।
गर्मियों में आधुनिक बेड गर्म हो जाता है इसलिए AC की अधिक जरुरत पड़ती है जबकि सनातन चारपाई पर नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है।
हलकी होने के कारण से कभी छत पर, तो कभी आँगन में कही भी ले के जाया जा सकता है।
गर्मी में छत पर चारपाई डालकर सोने का आनद ही और है। ताज़ी हवा, बदलता मौसम, तारों की छाव, चन्द्रमा की शीतलता जीवन में उमंग भर देती है। हर घर में एक रस्सी की बुनी हुई चारपाई होनी चाहिए ।