कोरोना और ब्लैक फंगस/ Corona And Black Fungus

इस कोरोना महामारी में उभरकर आई नई बीमारी ब्लैक फंगस बहोत ही जान लेवा साबित हो रही है। कई मरीज कोरोना से ठीक होने के बाद इस दुर्लभ प्रकार की बीमारी से ग्रसित हो रहे है। ब्लैक फंगस को समझना और उस से दर कर दूर रहने में ही समझदारी है। कोरोना संक्रमण से अपने को बचाने के लिए जिस मेडिकल ऑक्सीजन का उपयोग किया गया उसी से रोगियों में विकट स्थिति के कारन इस ब्लैक फंगस के नए संस्करण को बढ़ा दिया है। इसका मूल कारण अशुद्ध पानी और ऑक्सीजन है।

अशुद्ध पानी का उपयोग करके योगिक जलनेती (नाक के पानी की सफाई) का अभ्यास करने वाले भारतीय भी अतीत में ब्लैक फंगस के शिकार हो चुके हैं। अगर हमें काले फंगस के डर से लड़ना है, तो हमें इसके बारे अधिक जानना होगा।

ब्लैक फंगस या म्यूकोर्मिकोसिस क्या है?/ What Is Black Fungus Or Mucormycosis?

यह ब्लैक फंगस या म्यूकोर्मिकोसिस नामक एक दुर्लभ संक्रमण है जो कोविद -19 से पीड़ित या फिर ठीक होने वाले रोगियों के लिए घातक साबित होता जा रहा है। यदि इसकी बढ़ती वृद्धि को यदि जल्दी नहीं रोका गया, तो 50-80 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो सकती है।

म्यूकोर्मिकोसिस एक फंगल इन्फेक्शन है जो मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जो अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दवा ले रहे हैं जो प्राकृतिक रोगजनकों से लड़ने की उनकी क्षमता को कम कर देता है। ऐसे व्यक्तियों के साइनस या फेफड़े हवा से फंगल बीजाणुओं के अंदर जाने के बाद प्रभावित होते हैं।

ब्लैक फंगस के प्रभाव या लक्षण/ Effects Or Symptoms Of Black Fungus

इसका दुष्प्रभाव इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर का कौन सा हिस्सा प्रभावित है, हालांकि आमतौर पर यह साइनस, फेफड़े और मस्तिष्क को प्रभावित करता है। सामान्य लक्षणों में नाक से सास लेने में रुकावट, नाक से खून या काला पदार्थ का निकलना, नाक या तालू के पुल पर कालापन आना शामिल हैं। यदि आंखें शामिल हैं, तो इससे दर्द के साथ धुंधली या दोहरी दृष्टि हो सकती है। यदि फेफड़े प्रभावित होते हैं, तो पहले से मौजूद कोविड फेफड़े के लक्षण जैसे सांस की तकलीफ, खांसी, सीने में दर्द और फेफड़ों में ख़राब पानी का संग्रह होना हो सकता है। अन्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, खून की उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति शामिल हैं।

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ब्लैक फंगस की उपस्थिति/ Appearance Of Black Fungus

फंगस हमारे चारों ओर हजारों वर्षों से है। मधुमेह, स्टेरॉयड या इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवाओं पर लाखों रोगियों को वर्षों से देश भर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, पिछले 10 वर्षों में केवल कुछ ही मामले सामने आए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप या अन्य जगहों पर कोविड रोगियों में काले कवक संक्रमण के बहुत कम मामले हैं। फिर भारत में अचानक उछाल क्यों है, वह भी दूसरी लहर के दौरान?

मुख्य कारण स्टेरॉयड के अंधाधुंध उपयोग के साथ रोगियों को लंबे समय तक अस्वच्छ ऑक्सीजन वितरण है। अनियंत्रित मधुमेह मेलिटस, स्टेरॉयड द्वारा इम्यूनोसप्रेशन, आईसीयू में लंबे समय तक रहने, और पोस्ट-ट्रांसप्लांट जटिलताओं, कैंसर आदि जैसी विकट बीमारियों वाले रोगी विशेष रूप से कमजोर होते हैं। हालांकि, भारत ने मई के मध्य तक कभी भी ब्लैक फंगस की अधिक जानकारी नहीं मिली लेकिन, जब कोविड से पीड़ित या ठीक होने वाले रोगियों में ब्लैक फंगस के हजारों मामले सामने आए हैं और निरन्तर आते जा रहे है।

अस्वच्छ ऑक्सीजन के कारण बढ़ता खतरा/ Increased Risk Due To Unclean Oxygen

ब्लैक फंगस हमारे घरों के भीतर मुख्य रूप से किचन में पाया जाता है और म्यूकर मोल्ड के संपर्क में आने के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, जानवरों के गोबर, सड़ती लकड़ी, पौधों की सामग्री, खाद और सड़ने वाले फलों और सब्जियों में पाया जाता है। हालाँकि, हम कोविड के दूसरे चरण के दौरान जो उछाल देखते हैं, वह भारत में कई स्थानों पर रोगियों को ऑक्सीजन पहुंचाने के पूरी तरह से अस्वच्छ तरीके के कारण है, जो कोविड के उपचार में स्टेरॉयड के अंधाधुंध और गुमराह करने वाले उपयोग के साथ संयुक्त है।

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मेडिकल ऑक्सीजन (MO) VS औद्योगिक ऑक्सीजन/ Medical Oxygen (MO) VS Industrial Oxygen

मेडिकल ऑक्सीजन (MO) और औद्योगिक ऑक्सीजन में बहुत बड़ा अंतर है। मेडिकल ऑक्सीजन एक अत्यधिक शुद्ध संस्करण है जो 99.5 प्रतिशत से अधिक शुद्ध है और संपीड़न, निस्पंदन और शुद्धिकरण के दोहराए गए चरणों के माध्यम से तैयार किया जाता है। जिन सिलेंडरों में तरल ऑक्सीजन का भंडारण, परिवहन और उपयोग किया जाता है, उन्हें सख्ती से साफ और कीटाणुरहित किया जाता है। रोगियों को प्रशासित करने से पहले इस ऑक्सीजन को आर्द्रीकरण की आवश्यकता होती है; इसलिए इसे स्टेरिल वाटर से भरे कंटेनर से गुजारा जाता है।

प्रोटोकॉल के अनुसार पानी को स्वयं कीटाणुरहित और बार-बार बदलना चाहिए। यदि पानी स्टेरिल नहीं है, तो यह संभावित रूप से ब्लैक फंगस के संक्रमण का स्रोत है। कल्पना कीजिए कि यह मधुमेह रोगियों और गैर-मधुमेह कोविड -19 रोगियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा! कोई आश्चर्य नहीं कि हमारी अत्यधिक कमजोर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और अधिक बोझिल हो गई है।

दूसरी ओर, यदि बिना आर्द्रीकरण के ऑक्सीजन दी जाती है, तो यह श्लेष्मा झिल्ली को सुखा देगी और फेफड़ों की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचाएगी।

स्टेरॉयड का प्रभाव/ Steroid effect

कोविड-19 के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल सही समय पर होना चाहिए। स्टेरॉयड केवल कोविड के प्रभाव से लड़ने में प्रभावी होते हैं, सीधे तौर पर ये वायरस से नहीं लड़ते। अकारण इनका उपयोग खतरनाक और हानिकारक है, अगर जल्दी दिया जाए, जब वायरस रेप्लिकेट कर रहा हो। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करेगा और वायरस की और प्रतिकृति की सुविधा प्रदान करेगा।

मधुमेह के रोगी को अनावश्यक रूप से या जल्दी स्टेरॉयड देने से उनके शुगर का स्तर उच्च हो जाएगा, जिससे उन्हें कोविड की गंभीरता के साथ-साथ ब्लैक फंगस के दुष्प्रभावों के और अधिक जोखिम होने का खतरा होगा।

समाधान और बचाव/ Solution And Rescue

वास्तविक समाधान यह सुनिश्चित करना है कि ऑक्सीजन वितरण पात्र जहां आर्द्रीकरण के लिए पानी डाला जाता है, उसे बार-बार निष्फल किया जाता है और अशुद्ध जल का उपयोग किया जाता है, उसे सही करना। स्टेरॉयड के अंधाधुंध उपयोग को रोकना सिर्फ जरुरत पड़ने पर ही लेना।

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एक बड़ी सावधानी यह है कि कोविड के मरीजों को छुट्टी मिलने के बाद भी शुगर लेवल पर नज़र रखना जारी रखा जाए।

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घर में थोड़ी सावधानी रखें/ Take Care At Home

जब फल सड़ जाते हैं या ब्रेड फफूंदी हो जाती है, तो हम अपने रसोई घर में फंगस का अनुभव करते हैं। घर में खास कर किचन में अधिक साफ सफाई की जरुरत होती है। यदि कोई चीज ख़राब हो गई हो तो तुरंत उसे फेक दे और सफाई कर दे। कवक 400 मिलियन वर्ष पहले विकसित हुआ और पृथ्वी पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परन्तु या समय थोड़ा अलग है एक तरफ कोरोना महामारी और दूसरी तरफ यह खतरनाक बीमारी, इसलिए घर में थोड़ी साफ सफाई पर ध्यान दे। खासकर किचन को साफ रखे।

समय बुरा चल रहा है, अपना और अपनों का ध्यान रखे।

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