रंगों का त्योहार – होली, और हिंदू धर्म में इसका का महत्व/ Festival of Colors – Holi, and its importance in Hinduism

भारत में होली रंगो का त्यौहार सभी के जीवन में बहुत सारी खुशियाँ और रंग भर देता है, इसे लोगों के जीवन को रंगीन बनाने के कारण रंग महोत्सव ’ भी कहा जाता है।

यह लोगों में एकता और प्रेम भाव लाता है। यह एक पारंपरिक और सांस्कृतिक हिंदू त्योहार है, जो प्राचीन काल से हमारे पूर्वज मानते आ रहे है। इतिहास को जीवित रखना साथ ही संस्कृति और संस्कारों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है।

यह रंगों का त्योहार है जिसे हर साल हिंदू धर्म में लोग खुशी और बड़ी ही उत्साह के साथ मनाते हैं।

यह एक ऐसा त्योहार है जो अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के साथ प्यार और स्नेह बांटकर मनाया जाता है जो उनके रिश्तों की मजबूती को और बढ़ाता है।

रंगो का उपयोग/ Use Colors

होली में अनेक रंगो का उपयोग किया जाता है इसमें सब से खास, लाल रंग और लाल गुलाल का उपयोग करते हैं जो न केवल एक रंग है, बल्कि एक दूसरे के लिए प्यार और स्नेह का प्रतीक है।

इसे एक सामान्य त्योहार कहना उचित नहीं है क्योंकि यह लोगों जीवन को रंग देता है। यह लोगों के व्यस्त जीवन में एक अल्पविराम लगा देता है। होली का त्योहार प्राचीन काल से अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं के कारण चला आ रहा है। इसका उल्लेख वेद पुराणों में मिलता है।

क्यों मनाई जाती है होली ?/ Why is Holi Celebrated ?

हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार होने के साथ इसका धार्मिक, पौराणिक व सामाजिक महत्व भी है। इस उत्सव को मनाने के पीछे एक प्राचीन तथा पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। जिसका वर्णन अनेक वेद पुराणों में मिलता है। प्राचीनकाल में एक हिरण्यकश्यप नाम का असुर राजा था, जिसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त करके मृत्युलोक पर भी विजय प्राप्त कर चूका था।

पाकिस्तान में है भक्त प्रहलाद का मंदिर, 9 दिन तक होती है होली » द खबरीलाल

अब वह स्वयं ही को भगवान् समझने लगा था। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी, जिसका नाम होलिका था और होलिका को वरदान था की वह कभी आग में नहीं जलेगी। और एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था, जो भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना दुसमन मानता और उनका बहुत विरोधी था।

Narasimha Avatar and Prahlad - An Ardent Devotee of Lord Vishnu

जब उसने स्वयं अपने पुत्र की भगवान विष्णु की भक्ति करते देखा तो, हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र की भक्ति का विरोध किया, परन्तु प्रह्लाद ने अपने पिता की बात नही मानी। इस पर हिरण्यकश्यप को बहोत क्रोध आया।

भक्त प्रह्लाद को मारने की योजना/ Devotee Plans to kill Prahlada

हिरण्यकश्यप ने स्वयं के पुत्र को मारने की योजना बनाई। और इस सम्बन्ध में अपनी बहन होलिका से सहायता मांगी। क्योंकि वह जानता था कि उसकी बहन होलिका को आग में न जलने का आशीर्वाद प्राप्त है। जब बहन होलिका अपने भाई की मदद करने के लिए तैयार हो गई।

Holika Dahan: The age-old custom of dispelling evil, both around and inside  us

उसके बाद हिरण्यकश्यप ने बहन होलिका को प्रह्लाद को लेकर आग में बैठने के लिए कहा, जिस से की वह जल कर मर जाये।परन्तु प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, इसलिए विष्णु जी की कृपा से वह तो बच गया लेकिन होलिका आग में जल कर मर गई।

तब ही से होलिका दहन का का उत्सव मालगुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

किस दिन है होली का त्योहार?

होली कब है- 29 मार्च 2021 सोमवार
होलिका दहन- 28 मार्च 2021 रविवार
होलिका दहन का मुहूर्त- 28 मार्च को 18:37 से 20:56 बजे तक
अवधि- 2 घंटे 20 मिनट

रंगवाली होली सोमवार, मार्च 29, 2021
भद्रा पूंछ- 10:13 से 11:16 बजे तक
भद्रा मुख- 11:16 से 13:00 बजे तक

होलिका दहन प्रदोष के दौरान उदय व्यापिनी पूर्णिमा के साथ
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- मार्च 28, 2021 को 03:27 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त- मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे

About Author

Leave a Comment