आज कल हर कोई भाग दौड़ भरी जिंदगी से बोर हो जाने के बाद सब से पहले पहाड़ो और हिल स्टेशनों का रुख लेते है। कोई शिमला, मनाली, कुल्लू, दार्जिलिंग आदि हिल स्टेशनो में अपनी छुट्टिया बिताने जाते है। लेकिन सब के लिए इन जगहों पर जाना मुमकिन नहीं होता। इसकी वजह है पैसा और समय ये दोनों ही अधिक लगते है। इसलिए बहोत से लोग अपने आसपास की ही जगह चुन लेते है, जहा जाकर थोड़ा रेफेरेंस महसूस कर सके। मध्यप्रदेश में ऐसे ही कुछ हिल स्टेशन है जहा जाना लोग अक्सर पसंद करते है। इससे पैसे और समय दोनों की बचत हो जाती है।
देश का हृदय स्थल/ Heart Of The Country
आमतौर पर मध्य प्रदेश को हमारे शरीर के लिए दिल की तरह “भारत का दिल” कहा जाता है। हृदय रक्त को पंप करता है और शरीर के केंद्र में स्थित होता है। इसी तरह, मध्य प्रदेश भारत के केंद्र में है, और यह पूरे भारत में सुंदरता फैलाता है। इन स्थानों को प्रकृति के बेहतरीन दृश्यों के साथ आशीर्वाद दिया जाता है और आपको एक असली खिंचाव का आनंद लेने की सुविधा भी मिलती है।
इसलिए यदि आप किसी हिल स्टेशन की तलाश कर रहे है तो मध्य प्रदेश में प्रमुख और प्रसिद्ध हिल स्टेशन हैं जो बच्चों और बड़े को भी रोमांच और उत्साह प्रदान कर सकते हैं। वे सुंदर दृश्य, हरी-भरी हरियाली, आनंदमय वातावरण प्रदान करते हैं और दोनों के लिए एकदम सही हैं, परिवार के साथ छुट्टी या दोस्तों के साथ यहाँ अच्छा समय बिता सकते है।
पचमढ़ी हिल स्टेशन/ Pachmarhi Hill, Station
मध्यप्रदेश में पचमढ़ी प्रमुख हिल स्टेशन है यह सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के सब से ऊचे पहाड़ों पर बसा हुआ स्थान है। पचमढ़ी का दूसरा नाम “सतपुड़ा की रानी” है जो होशंगाबाद जिले के अंतर्गत आता है। समुद्र ताल से इसकी उचाई लगभग 1100 मीटर है, पचमढ़ी क्षेत्र में मध्यप्रदेश का सबसे ऊचा स्थान है जिसे धूपगढ़ के नाम से जाना जाता है यहाँ से सूर्य उदय और सूर्यस्त का अद्भुत नजारा देखने मिलता है। प्राकृतिक क्षेत्र के साथ इसका धार्मिक महत्व भी है यहाँ अनेक भगवान शिव के प्राचीन मंदिर और गुफाये है। महशिवरात्रि और नागपंचमी के दौरान यहाँ मेले का आयोजन होता है।
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अक्टूबर से मार्च तक यहाँ जाने का सब से अच्छा समय मन जाता है। यहाँ अनेक पर्यटक स्थल है जैसे की-
- पांडव गुफा
- जटाशंकर महादेव
- अम्बा मई मंदिर
- रजत प्रपात
- अप्सरा विहार
- बीफॉल
- पांचाली कुंड
- राजेंद्रगिरि
- हांड़ी खो
- पचमढ़ी लेक
इनके अलावा अन्य और भी स्थान है।
2009 में, यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने पचमढ़ी पार्क को बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में घोषित किया। जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 4981 किलोमीटर वर्ग है। इसमें कई वन्य जिव निवास करते है साथ ही अनेक औषधीय गुण वाली वनस्पति भी यहाँ के जंगलो में मौजूद है। इन सारी खूबियों की वजह से प्रदेश का प्रमुख हिल स्टेशन बनता है।
शिवपुरी हिल स्टेशन/ Shivpuri Hill Station
यह हरे भरे जंगल से भरपूर भारत की सबसे शांत जगहों में से एक है। यह समुद्र तल से 478 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसमें माधव विलास पैलेस भी शामिल है, जो अपने राजशी और गौरव का प्रतिक है। लाल-गुलाबी रंग और इसकी चिकनी वास्तुकला के कारण यह महल आश्चर्यजनक लगता है। इसमें अभयारण्य भी शामिल है जिसे करेरा पक्षी अभयारण्य कहा जाता है जो पक्षीविज्ञानियों के लिए बहोत महत्वपूर्ण है।
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इस पहाड़ी क्षेत्र में पक्षियों की लगभग 245 से भी अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। इसके साथ साथ यह पर बाघ, हाथी, बंदरों और तेंदुओं और विदेशी काले हिरण जैसे जंगली जानवरों का भी निवास है। यह एक अद्भुत प्राकर्तिक स्थल है ऊंची पहड़िया और घने जंगल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। अन्य हिल स्टेटिनो की तुलना में यहाँ काम ही लोग जाते है परतु यह बाकि के हिल स्टेशनो से काम भी नहीं है।
मांडू हिल स्टेशन, धार/ Mandu Hill Station, Dhar
मांडू धार से लगभग 40-45 किमी की दूरी पर स्थित है। यह अपनी सुंदरता और इतिहास के लिए जाना जाता है, बरसात के दिनों में मांडू की खूबसूरती चरम पर होती है। मांडू की पहाड़ीयो पर बने किले यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता में चार चाँद लगा देते है। मुगल शासक जहांगीर के दिल में मांडू के लिए एक महान जगह थी, जिन्होंने एक बार कहा था कि मांडू से सुखद और सुंदर कोई जगह नहीं है। मांडू में अनेक प्राचीन इमारते है जो यहाँ के गौरव की गवाही देते है।
प्राकतिक सुंदरता से सराबोर मांडू आसपास के लोगो के साथ साथ प्राकतिक प्रेमी और इतिहास में रूचि रखने वालो के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। जैन मंदिर जैसे मंदिर, जो इस्लामी वास्तुकला से आकर्षित हैं। प्रसिद्ध संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने उस मांडू हिल को “विश्व विरासत स्थल” के रूप में स्थान दिया।
ओंकारेश्वर, हिल स्टेशन/ Omkareshwar, Hill Station
यह पवित्र हिल स्टेशनों में से एक है, ओंकारेश्वर में भगवान शंकर का वास है जिस से यह धार्मिक आस्था का केंद्र भी है। इसे “मिनी वाराणसी” के नाम से भी जाना जाता है। यह नर्मदा और कावेरी नदी के बीच में स्थित है। केंद्र में दो घाटियों और एक नर्मदा नदी के उभरने के कारण यह स्थान ‘ओम’ के रूप में दिखाई देता है। धार्मिक आस्था रखने वाले लोगों का मानना है कि ओंकारेश्वर नामक मंदिर में अधिक आशावादी शक्ति प्राप्त की जा सकती है।
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यह 12 श्रद्धेय ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और इसलिए लगभग हजारों लोग इस स्थान दर्शन करने आते है। शिवरात्रि और सावन के महीने में यहाँ मेला लगता है जिसमे दूर दूर से लोग आते है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव हर रात ओंकारेश्वर मंदिर में सोने आते हैं और इसलिए लोग यहां शयन आरती का आयोजन किया जाता है। यह एक धार्मिक और प्राकृतिक स्थल का संगम है अगर आप यहाँ जाते है तो नर्मदा नदी में स्नान करना न भूले।
ओंकारेश्वर क्षेत्र में अनेक मंदिर है जहाँ शांति का अनुभव किया जा सकता है। इस हिल स्टेशन से दूर तक का सुंदर नजारा देखने मिलता है जो एक अलग अनुभूति प्रदान करता है। फोटोग्राफी के लिए यह एक उपयुक्त स्थान है।
अमरकंटक हिल स्टेशन/ Amarkantak Hill Station
यह हिल स्टेशन अपने हरे भरे वन क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध है। इसका एक अन्य नाम ‘तीर्थराज’ भी है जिसका सामान्य अर्थ है ‘तीर्थों का राजा’ है।अमरकंटक की एक अनूठी विशेषता यह है कि नर्मदा, सोन और जोहिला नामक तीन नदियों का उद्गम यहाँ के पहाड़ों में हुआ है। यह औषधीय महत्व के वृक्षों का प्रमुख स्थान रहा है। हरा-भरा वातावरण व्यक्ति को प्रदूषण और व्यस्त दुनिया से दूर कर शांति का अनुभव देता है।
यह शैक्षिक अनुसंधान केंद्र भी स्थापित है। जनजातीय समुदायों के लिए शिक्षा और अनुसंधान प्रदान करने के लिए संसद द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय घोषित किया गया था। इसमें अट्ठाईस विभाग शामिल हैं जैसे स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी। इस क्षेत्र की आबादी लगभग पांच हजार के आसपास है।
अमरकंटक प्राकृतिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सर्दी के दिनों में अक्सर आम लोग इस स्थान पर घूमने आते है। यहाँ अनेक प्रकृति के सूंदर नज़ारे है जो पर्यटकों को अपने और आकर्षित करते है। इस क्षेत्र के अंतर्गत दो जलप्रपात भी आते है जिनका नाम कपिल धाराऔर दूधधारा है।
कुकरू खामला, बैतूल/ Kukru Khamla, Betul
बैतूल जिले के भैंसदेही तहसील के अंतर्गत आने वाली सतपुड़ा पर्वत माला में कुकरू खामला स्थित है, जो की जिला मुख्यालय से लगभग 92 किमी दुरी पर स्थित है। इस क्षेत्र में सतपुड़ा की पहाड़ियों फैली हुई है, कुकरू बैतूल जिले की सबसे ऊँची चोटी में से है। सतपुड़ा का बहुत सा हिस्सा बैतूल जिले में आता है। इस पहाड़ी और जंगली क्षेत्र में कोरकू जनजाति मुख्य रूप से निवास करती है, इसलिए इस क्षेत्र को कुकरू के नाम से जाना जाता है।
शहर से दूर घने जंगल और पर्वतीय क्षेत्र में कोरकू जन जाती के लोग शांतिपूर्वक रहते है, मध्य भारत में यह एक मात्र स्थान है जहां पर कॉफी के बागान है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर सतपुड़ा पहाड़ी क्षेत्र का आखरी कोना है, यहाँ स्थान चारो तरफ घने जंगलो से घिरा हुआ है यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है।यहाँ का वातावरण बहोत ही शांत होता है मंद मंद चलती हवाएं एक अलग अहसास कराती है, यदि मध्यप्रदेश का हिल स्टैशन पचमढ़ी है तो यह भी उस से कुछ कम नहीं है।
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बरसात के मौसम में यहाँ के जंगल में हरियाली चादर छा जाती है जिस से इसकी सुंदरता और बड़ है।कुकरू एक बहोत ही अच्छा प्राकृतिक स्थान है, यहाँ से पास में देखने लायक धारकोरा वाटरफॉल, कुछ ही किलोमीटर की दुरी पर है साथ ही यहाँ आने पर मुक्तागिरी सिद्ध जैन मंदिरो के दर्शन करने भी जा सकते है।
तामिया, हिल स्टेशन/ Tamia, Hill Station
यह हिल स्टेशन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है। यह क्षेत्र पचमढ़ी से लगा हुआ है, समुद्र तल से अधिक उचाई पर होने के कारण यहाँ तेज हवाएं चलती है। तामिया के रेस्ट हाउस नामक स्थान से यहाँ का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। यहाँ एक तरफ ऊंची पहाड़ी तो दूसरी ओर दूर तक फैली हरियाली का अद्भुत नजारा होता है।
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अन्य हिल स्टेशनो की तुलना में यहाँ काम ही लोग आते है, यहाँ आने वाले अधिकतर लोग पातालकोट की यात्रा करना नहीं भूलते जो की एक महत्वपूर्ण स्थान है। बरसात के दिनों में यहाँ घने बादल छाये रहते है और समय से अधिक बारिस होती है। छोटा महादेव नमक स्थान यहाँ से 1.5 किलोमीटर दूर है जिसके लिए निचे की तरफ उतरना पड़ता है। एक दिन बिताने के लिए यह उपयुक्त स्थान है।