मध्यप्रदेश अपनी व्यपक प्राकृतिक सुंदरता से साथ-साथ अनेक इतिहासिक स्थानों के लिए जाना जाता है। सर्दी के मौसम में घूमने लिए मध्यप्रदेश बहोत ही उपयुक्त स्थान है, क्योंकी यह कई राष्ट्रीय उद्द्यान, इतिहासक किले, प्राचीन मंदिर आदि दर्शनीय स्थल है। मध्यप्रदेश को भारत का दिल भी कहा जाता है और इसके दिल में यथा संभव सब कुछ है जो किसी पर्यटक को घुमने और देखने के लिए चाहिए। मध्यप्रदेश में हर मौसम के लिए कोई न कोई विशेष स्थान है। लेकिन पार्टन की दृस्टि से अगर देखा जाये तो सर्दियों के मौसम में अधिक पर्यटक अपनी छुट्टिया बिताना पसंद करते है। आये जाने मध्यप्रदेश में सर्दियों के मौसम में पर्यटकों द्वारा पसंद किये जाने वाले स्थान:
सांची स्तूप, रायसेन/ Sanchi Stupa, Raisen
भोपाल शहर से लगभग 45 किलोमीटर की दुरी पे स्थित सांची एक प्रसिद्ध प्राचीन स्थल है, जिसका अतीत बहोत ही समृद्ध माना जाता है। यह देश का प्रमुख बौद्ध स्थल भी है जहाँ दूर दूर से पर्यटक आते है। माना जाता है कि तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनाया गया था, इस इमारत का निर्माण मौर्य वंश के महान शासक अशोक के शासनकाल में किया गया था और यह भारत में सबसे असाधारण बौद्ध मंदिरों में से एक है।
सांची स्तूप मठों और तोरणों (एक मुक्त खड़े सजावटी या धनुषाकार प्रवेश द्वार) से घिरा हुआ है जो सभी यात्रियों को एक सुखद और शांतिमय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। यहाँ अनेक छोटे बड़े स्तूप बने हुए है साथ ही कुछ स्तूपों को देखने के बाद ऐसा लगता है की उनका निर्माण अधूरा रह गया हो। निश्चित ही एक दिन की छुट्टी बिताने के लिए यह बढ़िया स्थान है।
धुआँधार जलप्रपात, जबलपुर/ Dhuandhar Falls, Jabalpur
जबलपुर के पास भेड़ाघाट में लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से गिरता हुआ नर्मदा नदी का निर्मल जल की छोटी छोटी बुँदे हवा में तैरने लगती है जिस से यहाँ धुआँ सा नजर आता है इस लिए इस स्थान का नाम धुआँधार रखा गया है। यह जलप्रपात जबलपुर क्षेत्र में प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। संगमरमर की घाटी से बहता नर्मदा का प्रवित्र जल अद्भुत लगता है।
यहाँ संगमरमर की ऊंची चट्टानों के बीच नौका विहार का आनंद ले सकते है। इस स्थान को मध्यप्रदेश पर्यटन द्वारा बहोत ही खूबसूरती से सुसज्जित किया गया है। अब तो यहाँ रोप वे की सुविधा भी चालू हो है जिससे यहाँ का नजारा और भी अच्छे से देखा जा सकता है।
ग्वालियर का किला/ Fort of Gwalior
इतिहासिक शहरों की लिस्ट में शामिल ग्वालियर अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। ग्वालियर में प्रमुख आकर्षण का केंद्र यहाँ का किला है। यह अभेद देश का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा किला है। लगभग 300 मीटर से भी अधिक उचाई पर बना यह किला शहर के किसी भी हिस्से से देखा जा सकता है। तोमर साम्राज्य से लेकर अंग्रेज और सिंधिया राजघराने का इस किले पे अधिपत्य रहा है। किले की वस्तुकल अद्भुत है जो निश्चित ही पर्यटकों को अपने ओर आकर्षित करती है।
इस किले का इतिहास लगभग 1000 साल से भी अधिक पुराना है, निश्चित ही शर्दियो में यहाँ की यात्रा को यादगार बनाया जा सकता है। ग्वालियर में किले के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण स्थान है जिन्हे देखना न भूले जैसे की सिंधिया महल, तानसेन का मकबरा, कटोरा ताल आदि।
ओरछा/ Orchha
ओरछा निवाड़ी जिले में बेतवा नदी के तट पर बसा हुआ एक ऐतिहासिक शहर है, जिसकी स्थापना 1501 में महाराजा रुद्रा प्रताप सिंह द्वारा की गई थी। ओरछा का शाब्दिक अर्थ “छिपी हुई जगह” है, जो कभी कभी सच भी लगता है। क्यों की इतनी खूबसूरत और इतिहासिक स्थान होने के बाद भी बहोत ही काम लोग इसके बारे में जानते है।
यह प्राचीन शहर समय के साथ आज भी जमा हुआ है, यहाँ की कई स्मारक आज भी अपनी मूल भव्यता को बरकरार रखे हुए हैं। यहां आपको अनेक आकर्षक मंदिर और महल मिलेंगे जो आप की कल्पना से भी परे होंगे। यह स्थान झाँसी रेल्वे स्टेशन से मात्रा 16 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यहाँ बहोत ही आसानी से पंहुचा जा सकता है। ओरछा का सबसे प्रशिद्ध मंदिर है रामराजा दरबार, यहाँ जाकर भगवान राम के दर्शन कर आर्शीवाद लेना ना भूले।
खजुराहो, छतरपुर/ Khajuraho, Chhatarpur
विश्व प्रसिद्ध खजुराहो एक प्राचीन शहर है जो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। यह भव्य मंदिर और जटिल वस्तुलकला के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। मध्यकालीन शताब्दी में चंदेल राजवंश द्वारा निर्मित, ‘खजुराहो समूह के स्मारकों’ की यूनेस्को साइट अपनी नागर-शैली की वास्तुकला और नायकों और देवताओं की सुंदर मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। जटिल मूर्तियों की भव्यता एक कारण है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। खजुराहो एक लोकप्रिय स्थल है, यह लगभग 20 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला में फैला हुआ है।
चंदेल राजवंश द्वारा 950-1050 ईस्वी के बीच निर्मित, ये मंदिर उत्तेजक कला के माध्यम से ध्यान, आध्यात्मिक शिक्षा, संबंध जैसे विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिर अपनी शिल्प कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं जिसमें बेहतरीन मूर्तियों और असाधारण स्थापत्य कौशल के शानदार प्रदर्शन शामिल हैं, जो उन्हें भारत में सबसे आश्चर्यजनक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में से एक बनाते हैं। इन मंदिरों को तीन समूहों में बांटा गया है: पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी। सुंदर, विस्तृत और अभिव्यंजक, खजुराहो मंदिरों की मूर्तियां आपको विस्मय और विस्मय में छोड़ देंगी।
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मांडू, धार/ Mandu, Dhar
इंदौर शहर से लगभग 85 किलोमीटर की दुरी पर स्थित मांडवगढ़ या मांडू एक खूबसूरत महलो का शहर है जो मध्य प्रदेश में एक प्रमुख पर्यटन केंद्र में से एक है। यह ऐतिहासिक स्थान हरे-भरे जंगल के के बीच एक बड़ी पहाड़ी पर बसा हुआ है। मांडू हिन्दू, इस्लामिक और अफगानी वास्तुकला का विशिष्ठ मिश्रण है। यहाँ कई मंदिर, मकबरे और महल बने हुए है।
यहाँ के प्रमुख आकर्षण के केंद्र जैसे रानी रूपमती मंडप, जहाज महल, होशंग शाह का मकबरा, बाज बहादुर पैलेस जैसे विरासत स्थलों से भरा हुआ है जो इसे मध्य प्रदेश के लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक बनाता है। मांडू की सैर का सबसे अच्छा समय मानसून का माना जाता है, लेकिन शर्दियो के दिनों में घूमने के लिए यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
अपर लेक, भोपाल/ Upper Lake, Bhopal
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अनेक घूमने और देखने योग्य स्थान है। भोपाल मुख्य रूप से झीलों के लिए जाना जाता है,यहाँ बड़ी संख्या में शहर के हर हिस्से में कोई न कोई झील जरूर मिल जाएगी। इसलिए व्यापक रूप से इसे झीलों का शहर कहा जाता है। भोपाल की सभी झीलों में से सबसे महत्वपूर्ण बड़ी झील है, जिसे बड़ा तालाब, उप्पेर लेक जैसे नामो से जाना जाता है।
इस विशाल झील का निर्माण राजा भोज द्वारा 10 वी शताब्दी में गया था। साल 2011 में राजा भोज की प्रतिमा स्थापित कर इसे भोजताल का नाम दिया गया। यह एशिया की सबसे बड़ी व प्राचीन मानव निर्मित झील है। झील के पूर्वी किनारे पर, बोट क्लब की स्थापना की गई है, जिसमें पर्यटक के लिए बोटिंग की सुविधा दी गई है।
भीमबेटका, रायसेन, Bhimbetka, Raisen
भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दुर भीमबेटका घने जंगलों और पहाड़ों के बीच में स्थित है। यहाँ की गुफाओ में सदियों पुरानी मानव सभ्यता के प्रमाण मौजूद है। संभव तह यह स्थान दुनिया के किसी अन्य भूभाग में पाए जाने वाले मानव प्रमाणिकता से पुराने है। यहाँ की गुफाओ में बने शैलचित्र लगभग 30000 वर्ष से पुराने है। इन शैलचित्रों में यहाँ रहने वाले इंसानो की जीविका को दर्शाया गया है। भीमबेटिका में सदियों पुराने रॉक शेल्टर देखे जा सकते है जो कभी इस स्थान पर रहने वाले इंसानो के घर हुआ करते थे।
भीमबेटका में लगभग 243 रॉक शेल्टर हैं और उन्होंने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में स्थान दिया गया है। यहां के शैल आश्रयों में पाए जाने वाले चित्र ऑस्ट्रेलिया के काकाडू राष्ट्रीय उद्यान में खोजे गए चित्रों के समान हैं। इस स्थान को देखने के बाद लगता है की इतिहास का भी इतिहास होता है। तो निश्चित ही इस स्थान में अपनी भ्रमण सूचि रखना चाहिए।
पचमढ़ी, होशंगाबाद/ Pachmarhi, Hoshangabad
प्रदेश का सबसे प्रसिद्द हिल स्टेशन पचमढ़ी को ‘सतपुड़ा की रानी’ के रूप में जाना जाता है, जो प्राकृतिक प्रेमी के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। प्रकृति, वन्य जीवन, धर्म और पौराणिक कथाओं के अवास्तविक मिश्रण के साथ, पंचमढ़ी का प्राचीन हिल स्टेशन पर्यटकों अपनी ओर आकर्षित करता है। पचमढ़ी राजसी पहाड़ियों, हरी-भरी घाटियों, बहते झरनों, मंदिरों और घने वनस्पतियों और जीवों से भरपूर है। अंग्रेजो के ज़माने से ही यह पर्यटकों के लिए जाना जाता है। शहरी वातावरण से दूर ताजी हवा और शांत स्थान के रूप में यह पर्यटकों के दिलो पे राज करता है।
जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है, पचमढ़ी दो हिंदी शब्दों पंच से बना है जिसका अर्थ है “पांच” और मढ़ी का अर्थ है “गुफाएं।” यह स्थान मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित है। यह सतपुड़ा रेंज घाटी में 1067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक पठार है। यदि पचमढ़ी जाये तो यहाँ का सनसेट जरूर देखे यह अद्भुत नजारा आप को जीवन भर याद रहेगा।
अमरकंटक/ Amarkantak
विंध्याचल पर्वत श्रंखला के अंतर्गत आने वाला स्थान अमरकंटक एक प्राकृतिक और धार्मिक स्थल है। अमरकंटक से ही नर्मदा नदी का उद्गम हुआ है। नर्मदा नदी सबसे प्राचीन नदी में से एक है इसका अस्तित्व लाखो सालों से है। इस नदी का वर्णन पौरान्विक कथाओ में मिलता है। यह क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 1065 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इस स्थान को तीर्थराज के रूप में भी जाना जाता है जिसका अर्थ है तीर्थ स्थलों का राजा।
संस्कृत में अमरकंटक का अर्थ है ‘शाश्वत स्रोत’, जो पवित्र नदी नर्मदा से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है, जो भारत की सबसे पवित्र और अनोखी नदियों में से एक है। इस जगह पर हर साल धार्मिक और प्रकृति प्रेमी पर्यटकों सहित बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन/ Mahakaleshwar Temple, Ujjain
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में मौजूद शिवलिंग देश के बारह प्रसिद्द ज्योतिर्लिंगों में से सबसे प्रमुख माना जाता है। विभिन्न प्राचीन पुराणों में महाकालेश्वर मंदिर की महिमा का विशद वर्णन किया गया है। कालिदास से प्रारंभ होकर अनेक संस्कृत कवियों ने भावपूर्ण दृष्टि से इस मंदिर की स्तुति की है। उज्जैन भारतीय समय की गणना के लिए केंद्रीय बिंदु हुआ करता था और महाकाल को उज्जैन के विशिष्ट पीठासीन देवता के रूप में माना जाता था।
भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाकाल में लिंगम को स्वयंभू (स्वयं से पैदा हुआ) माना जाता है, जो कि अन्य छवियों और लिंगों के मुकाबले शक्ति (शक्ति) की धाराओं को प्राप्त करता है, जो कि अनुष्ठान रूप से स्थापित और मंत्र के साथ निवेशित होते हैं- शक्ति महाकालेश्वर की मूर्ति दक्षिणामूर्ति के रूप में जानी जाती है, जिसका मुख दक्षिण दिशा में है। कहा जाता है की महाकालेश्वर दर्शन मात्र से कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है।