मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल 2023/ Top Tourist Places in Madhya Pradesh 2023

देश का ह्रदय मध्य प्रदेश का समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक के वजह से पूरे भारत में सबसे प्रिय राज्यों में से एक बन जाता है। मध्यप्रदेश की भौगोलिक स्थिति पर्यटकों के अनुकूल है। यहाँ जंगल, पहाड़, नदी, झरने के अलावा भारतीय वास्तुकला के कुछ सबसे खूबसूरत उदाहरण देखने के लिए मिलते है। शानदार विरासत स्थलों और पुरातन मंदिरों से लेकर वन्यजीव अभ्यारण्यों और हलचल भरे शहरों तक, ऐसे अनेक कारण हैं, जिनकी वजह से मध्यप्रदेश के पर्यटक स्थल जरूर घूमना चाहिए।

मांडू, धार/Mandav, Dhar

तेज भाग दौड़ भरे जीवन से यदि आप एक आराम दायक स्थान की तलाश कर रहे है, तो मांडव शहर धार से लगभग 35 किमी और इंदौर से 100 किमी दूर स्थित है। यह मध्य प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण का केंद्र है। यह मालवा क्षेत्र में स्थित है। अपने समय मांडू अविश्वसनीय वास्तुशिल्प के लिए जाना जाता था, साथ ही इसका इतिहास बहोत ही समृद्ध रहा है। लेकिन विदेशी इस्लामिक आक्रमणों के कारण इसकी छवि कुछ धुंधली पद गई।

अब मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इसे पर्यटक दृस्टि से सवार गया है, यहाँ के किले महल और विरासत स्थल आज भी उनके समय की कहानी दर्शाते है। अगस्त-सितम्बर में यहाँ चारों और हरियाली फैली रहती है, परिवार या दोस्तों के साथ जरूर यहाँ का प्लान बनाये।

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खजुराहो, छतरपुर/ Khajuraho, Chhatarpur

भारतीय कला और वास्तुकला के शानदार प्रदर्शन के लिए खजुराहो का नाम पुरे विश्व में जाना जाता है। इसलिए खजुराहो को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूचि में स्थान दिया गया है। अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध खजुराहो का समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक चित्रण कई सैकड़ों साल पुराना है।

इसकी त्रुटिहीन मूर्तियां, जटिल नक्काशी और अद्भुत निर्माण शैली की वजह से इस स्थान ने भारत के सात अजूबों में स्थान बना रखा है। खजुराहो मध्ययुगीन काल से भारतीय परंपरा और संरचना का एक आकर्षक उदाहरण प्रस्तुत करता है। ये मंदिर कामुक प्रेम प्रकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। व्यस्त जीवन से हट कर संस्कृति, इतिहस, धार्मिकता और शांत पर जाने की योजना जरूर बनाई जानी चाहिए।

महाकालेश्वर, उज्जैन/ Mahakaleshwar, Ujjain

शिप्रा नदी के तट पर बसा, उज्जैन मध्य प्रदेश की धर्म नगरी कहलाती है। उज्जैन, सबसे प्रसिद्ध हिंदू पवित्र स्थानों में से एक है, इस स्थानको ‘भारत के मंदिरों के शहर’ के रूप में भी जाना जाता है। उज्जैन शहर का इतिहास हजारो साल पुराण है, इसका वर्णन कई हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। नवीनतम इतिहास के अनुसार चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने इसे बसाया था। यहाँ कई मंदिर है, जिनका अपना एक महत्व है।

यहाँ का प्रमुख मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर है, जो विश्व के प्रमुख ज्योतिर्लिंग में प्रमुख माना जाता है। उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर कुम्भ के मेले का भी आयोजन होता है। सरकार द्वारा इस क्षेत्र को पर्यटकों और श्रद्धालुओं के अनुरूप विक्षित किया गया है। महाकाल लोक और महाकाल कॉरिडोर आधुनिक कला और हिन्दू संस्कृति को प्रस्तुत करते है।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान/ Kanha National Park

मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट के नाम से भी जाना जाता है, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान एक टाइगर रिज़र्व राष्ट्रीय उद्यान है, जो की मूलरूप से प्रदेश के राष्ट्रीय पशु बारहसिंघा का निवास स्थान है साथ ही यहाँ दलदली हिरण जैसे विदेशी और लुप्तप्राय जानवरों की अनेक प्रजातिया पायी जाती है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान प्रकृति प्रेमियों के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को 1879 में एक आरक्षित वन घोषित किया गया था जो की मंडला और बालाघाट में फैला हुआ है, साल 1933 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में पुनर्मूल्यांकन किया गया था।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को 1955 में एक राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला था। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान लगभग 940 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। बफर और कोर जोन को एक साथ मिलाकर कान्हा टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1945 वर्ग किमी के आसपास है।

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भोपाल, मध्यप्रदेश की राजधानी/ Bhopal, Capital of Madhya Pradesh 

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। भोपाल शहर का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। भोपाल शहर का पहले नाम भोजपाल हुआ करता था क्योकि इसकी नींव राजा भोज द्वारा राखी गई थी। भोपाल में एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील के साथ, आकर्षक संग्रहालय, वन्यजीव अभयारण्य और ऐतिहासिक महल सहित कई पर्यटक स्थल है। भोपाल के पास में भोजपुर मंदिर, भीमबेटिका और साँची भी है, जहा एक दिन में घूम कर वापस आया जा सकता है।

इंदौर, आर्थिक राजधानी/ Indore, the financial capital

मध्य प्रदेश के सबसे विकशित और व्यापक शहरों में से एक है, साथ ही इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर है। इंदौर मध्य प्रदेश पर्यटन के मामले में महत्वपूर्ण नामों में से एक है। इंदौर के प्रमुख पर्यटन स्थल में राजवाड़ा, लालबाग पैलेस, सराफा मार्केट, इंदौर का केंद्रीय संग्रहालय, पातालपानी झरना, अन्नपूर्णा मंदिर, रालामंडल वन्यजीव अभयारण्य, छप्पन दुकान, चोरल बांध, टिनचा फॉल्स, इंदौर व्हाइट चर्च आदि।

इंदौर में प्रसिद्ध स्थानों के अलावा, यहाँ के मुंह में पानी लाने वाले स्ट्रीट फूड को मिस नहीं करना चाहिए। इंदौरी नमकीन, पोहा-जलेबी, समोसा और दाल बाफला का लाजवाब स्वाद निश्चित रूप से आपको शहर के खाने के विकल्पों से आंनदित कर देगा।

ग्वालियर किला, ग्वालियर/ Gwalior Fort, Gwalior

यह एक प्राचीन और समृद्ध इतिहास रखने वाला शहर है, इसे मध्य प्रदेश की पर्यटन राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ के विशाल किलों से लेकर सुंदर मंदिरों और आश्चर्यजनक स्मारकों तक, शहर में यात्रियों को प्रसन्न करने के लिए आकर्षणों की कोई कमी नहीं है। यही नहीं, ग्वालियर ने हमारे देश को सबसे प्रतिभाशाली संगीतकार दिए हैं। इसी शहर में तानसेन ने अपनी कला सीखी और भारतीय शास्त्रीय संगीत की नींव को मजबूत करते हुए कई रागों और ध्रुपद रचनाओं का निर्माण किया। ग्वालियर के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को शब्दों में बयां करना कठिन है।

ग्वालियर में घूमने के स्थानों की सूची में राजा मानसिंह पैलेश, गुजरी महल, सास-बहु का मंदिर, तेली का मंदिर, तानसेन मकबरा, दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा, सिंधिया पैलेस, अचलेश्वर महादेव मंदिर और कटोरा ताल आदि प्रमुख है। ग्वालियर वास्तुकला, कला और इतिहास का एक आदर्श मिश्रण है। ग्वालियर का शाही शहर भारत के मध्य या मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है।

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बेहड़ाघाट, जबलपुर/ Behdaghat, Jabalpur

जबलपुर शहर से कुछ किलोमीटर कि दुरी पर स्थित बेहड़ाघाट अपने धुआँधार वाटरफॉल के लिए प्रसिद्द है। पवित्र नर्मदा नदी पर बना यह वॉटरफॉल जब लगभग 30 मीटर की ऊचाई से गिरता है तो पानी की छोटी छोटी बुँदे हवा में उड़ने लगती है, जो की धुएं के समान दिखाई देती है। इसलिए बेहड़ाघाट स्थित इस वॉटरफॉल को धुआँधार वॉटरफॉल कहते है।

जलप्रपात लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। यहाँ की सबसे अच्छी बात यह है कि आप साल के किसी भी समय इस झरने का आनंद ले सकते हैं। संगमरमर की घाटी के बीच बहती नर्मदा नदी में नाव की सवारी, और सूर्यास्त के सबसे अद्भुत दृश्यों के लिए यह स्थान जाना जाता है।

ओरछा, निवाड़ी/ Orchha, Niwari

ओरछा बुंदेला शासकों की तत्कालीन राजधानी रही है। बुंदेला राजवंश की स्थापना 11वीं शताब्दी में एक स्थानीय राजपूत राजकुमार ने की थी, बुंदेलों ने 1531 से 1783 तक ओरछा से भारत के मध्य भाग पर शासन किया। बाद में, राजा रुद्र प्रताप ने 1531 में बुंदेलों की राजधानी को ओरछा में स्थानांतरित कर दिया।

इसलिए इस शहर इतिहास से गहरा सम्बन्ध है, जो 16वीं और 17वीं शताब्दी में निर्मित इसके महलों और मंदिरों से काफी स्पष्ट दिखाई देता है। ओरछा के स्मारकों और किलों की वास्तुकला की भव्यता इसके शासकों की महिमा को दर्शाती है। ओरछा बेतवा नदी के तट पर स्थित है, और इसके आसपास का प्राकृतिक वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि आप वास्तुकला के चमत्कारों को देखना चाहते हैं, तो जरूर ही ओरछा जाना चाहिए।

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पचमढ़ी हिल स्टेशन/ Pachmarhi Hill Station

पचमढ़ी मध्यप्रदेश का प्रमुख हिल स्टेशन है, यह सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के सबसे ऊचे पहाड़ों पर बसा हुआ स्थान है। पचमढ़ी को “सतपुड़ा की रानी” के नाम से भी जाना है, जो की होशंगाबाद जिले के अंतर्गत आता है। समुद्र तल से इसकी उचाई लगभग 1100 मीटर है। पचमढ़ी में मध्यप्रदेश का सबसे ऊचा स्थान है, जिसे धूपगढ़ के नाम से जाना जाता है। धूपगढ़ से सूर्य उदय और सूर्यस्त का अद्भुत नजारा देखने मिलता है।

प्राकृतिक क्षेत्र के साथ साथपचमढ़ी का धार्मिक महत्व भी है, यहाँ भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर और गुफाये है। महशिवरात्रि और नागपंचमी के दौरान यहाँ मेले का आयोजन होता है। अक्टूबर से मार्च तक यहाँ जाने का सब से अच्छा समय मन जाता है। यहाँ अनेक पर्यटक स्थल है जैसे की पांडव गुफा, जटाशंकर महादेव, अम्बा मई मंदिर, रजत प्रपात, अप्सरा विहार, बीफॉल, पांचाली कुंड, राजेंद्रगिरि, छोटा महादेव, चौडगढ़, गुप्त महादेव आदि। 

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