जैन तीर्थ मुक्तागिरी, बैतूल/ Jain Tirth Muktagiri, Betul

मुक्तागिरी जैन तीर्थ मध्यप्रदेश में बैतूल जिले की भैंसदेही तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत थोपोड़ा में स्थित है, जो एक प्रशिद्ध जैन तीर्थ और धार्मिक स्थल माना जाता है। यह स्थान जिला मुख्यालय से लगभग 102 किलोमीटर दुरी पर है।

यह स्थान महाराष्ट्र सीमा से बहोत ही करीब है. यह क्षेत्र सतपुड़ा पर्वतमाला के अंतर्गत आता है, इस पहाड़ी क्षेत्र में कुल 54 प्राचीन जैन मदिर है जिनमे 52 मंदिर तो पहाड़ी पर स्थित है तथा 2 मंदिर पहाड़ के तलहटी में निर्मित है।

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इस क्षेत्र में मन्दिर क्रमांक 10 एक अति प्राचीन मन्दिर है जिसे मेंढागिरि के नाम से जाना जाता है जो कि पहाडी के गर्भ में बना हुआ है, जिसमें भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा विराजमान है।

यहाँ पर मन्दिर में भगवान पार्श्वनाथ जी की सप्तफण मण्डित प्राचीन प्रतिमा विरजामान है।

प्राकृतिक सुन्दता शांत वातावरण और भक्ति से सराबोर यह स्थान एक अलग दिव्य अनुभिति का एहसास करता है।

मंदिर पहाड़ी क्षेत्र में स्थित होने के कारन यहाँ पहुंचने के पैदल सीढ़ियों का स्तेमाल किया जाता है, बरसात के दिनों में यहाँ दृश्य बहोत अद्भुत और सुहावना होता है।

प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान एक सुंदर 250 फिट ऊंचाई से गिरने वाले झरने से सुसज्जीत है जिसमे जलधरा का प्रवाह जुलाई से जनवरी तक रहता है।

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अपने धार्मिक प्रभाव और प्रकृति सुंदरता के लिए जाना जाता है, जितना सूंदर और प्रवित्र यह स्थान है उतना ही पुराना इसका इतिहास है। इस सिद्ध क्षेत्र में निर्मित ज्यादातर जैन मंदिर लगभग 16वीं सदी के बाद के है।

सतपुड़ा के घने जंगलों में होने के कारण अनेक प्रकार के जानवर रहते है लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र में कभी  किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, यह सिद्ध क्षेत्र का गौरव है।

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हालांकि पूरे भारत में निश्चित रूप से अनेक सुन्दर एवं पवित्र जैन स्थान और मंदिर हैं, लेकिन मुक्तागिरी निश्चित रूप से सभी में इसका एक अलग महत्व है। परन्तु जैन धर्मावलंबियों द्वारा इस स्थान को अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया है।

पवित्र जैन शास्त्र हमें बताते हैं कि तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ सहित लाखो जैन भिक्षुओं ने इसी स्थान पर आकर निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया था। लोकमतानुसार इस क्षेत्र में प्रत्येक अष्टमी, चौदस और पूर्णितमा को यहाँ केसर की वर्षा होती है ।

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मुक्तागिरी का इतिहास/ History of Muktagiri

लगभग 2,500 साल पहले इस स्थान पर छोटे जैन मंदिरों का निर्माण मगध साम्राज्य के राजा श्रेनिक बिम्बसार, जो भगवान महावीर के समकालीन थे,  के द्वारा शुरू किया गया था।

लेकिन यह स्थान वास्तव 16 वी सदी में किसी अज्ञात राजा के शासनकाल के दौरान इस स्थान ने काफी महत्व प्राप्त कर था।

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ऐसा माना जाता है कि इस स्थान को सुशोभित करने में उन्होंने काफी प्रयास किये और लगभग 52 मंदिरो का निर्माण कराया जो की एक-दूसरे के बहुत निकट स्थित हैं।

मुक्तागिरी सिद्धक्षेत्र में आकर्षण केंद्र/ Hotspots at Muktagiri Siddhakshetra

पहाड़ी क्षेत्र और प्राकृतिक सुंदरता के बीच बने अनेक मंदिर इस क्षेत्र में मुख्य आकर्षण के केंद्र हैं। यहां के सम्पूर्ण 52 मंदिरों में से प्रत्येक को जैन भक्तों द्वारा बहुत महत्व और शुभ माना जाता है। हालांकि यहाँ के मंदिर नंबर 26 को सभी मंदिरों में श्रेष्ठ और सबसे पवित्र समझा जाता है।

सभी जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ जी को समर्पित है।

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इस मंदिर को ‘बड़ा मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है, शायद इसलिए यह यहाँ के सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है।

यहाँ निर्मित सभी मंदिरों का अपना अलग महत्व है। साथ ही उन सभी में अलग-अलग महत्वपूर्ण जैन देवता और धार्मिक शख्सियतें विराजमान हैं।

मंदिर नं 10 के समीप एक झरना है। जो मुक्तागिरी के सर्वश्रेष्ठ आकर्षणों में से एक है।

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वैसा ही यह स्थान चारों ओर से हरियाली से घिरा हुआ है और इसलिए यह झरना इस स्थान की सुंदरता को और बड़ा देती है। हालांकि, इस झरने को देखने का आनंद मानसून के मौसम (जुलाई से जनवरी) के दौरान ही संभव होता है।

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मंदिर खुलने का समय और आवास सुविधाएँ/ Temple opening hours and accommodation facilities

आम तौर पर सुबह से शाम तक खुले रहने वाले अधिकांश मंदिरों के विपरीत, मुक्तागिरी मंदिर केवल सुबह के समय दर्शन के लिए खोले जाते हैं, सुबह 6 बजे से 11 बजे तक।

सुबह 11 के बाद सभी मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और भक्तों को दर्शन मंदिर के बाहर से करने पड़ते हैं। मंदिर के आसपास 4 से 5 धर्मशालाएं हैं जो सस्ती दरों पर आवास सुविधा प्रदान करती हैं।

यहाँ केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जाता है। आवास का किराया बहोत ही साधारण (भोजन शामिल नहीं है) प्रति व्यक्ति दिन 100 रुपये से 150 रुपये के बीच रहता है।

कैसे पहुँचें मुक्तागिरी/ How to reach Muktagiri

मुक्तागिरी जाने के लिए सबसे पहले बैतूल पहुंचना होता है जो मुख्य रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है  बैतूल जिले से मुक्तागिरी तक पहुंचने के लिए कोई सीधी सार्वजनिक या निजी बसें सेवा उपलभ्ध नहीं हैं।

इसलिए सबसे पहले यहाँ से परतावाड़ा गांव के लिए बस से यात्रा करना होता है।

परतावाड़ा गांव वास्तव में महाराष्ट्र के अमरावती जिले में आता है, लेकिन बैतूल जिले की सीमा के बहुत निकट स्थित है। परतावाड़ा से दिन भर में मुक्तागिरी के लिए निजी / सार्वजनिक बसों और वाहनों की अच्छी सुविधा है।

मुक्तागिरी क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यहाँ आने से शांति की अहसास होता  है। इसी कारण ना केवल जैन धर्मावलंबी ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मो को मानने वाले लोग भी यहाँ आकर भगवान का आशीर्वाद लेते है।

प्राकृतिक सुंदरता और सम्पूर्ण मंदिर में विजमान भगवान जी के दर्शन के लिए एक दिन पर्याप्त है लेकिन सुबह जल्दी पहुंच जाये तो उचित होगा।

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परिवार, दोस्त के साथ अच्छा समय बिताने के लिए यह जगह उपयुक्त है साथ ही यहाँ के अद्भुत नजरो को कैमरे में कैद कर अपनी यादो को यादगार बना सकते है।

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