कोरकू (आदिवासी) जनजाति, छिंदवाड़ा|Korku (Tribal) Tribe, Chhindwara

दुनिया में जब अनेकता में एकता की बात आती है, तो हमारा देश भारत हमेशा शीर्ष पर रहा है। यह एक ऐसा देश है, जहाँ विभिन्न जन-जातियों, पंथों, धर्मों के लोग आपस में शांति पूर्वक रहते है। संस्कृति के आधार पर वर्गीकरण के बीच, भारत में देखी जाने वाली ऐसी ही एक प्रमुख सभ्यता आदिवासी संस्कृति है।

भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा आदिवासी द्वारा कवर किया जाता है। जो की प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ गुजरात और उत्तरप्रदेश के अंतर्गत आते है।

जब हम भारत में रहने वाले आदिवासी समुदाय के बारे में बात करते हैं, तो मध्य प्रदेश में रहने वाली कोरकू जनजाति का विशिस्ट स्थान है। कोरकू जनजाति ज्यादातर मुख्य रूप से छिंदवाड़ा, होशंगाबाद और बैतूल में रहती है।

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मध्यप्रदेश में सबसे पिछड़ी और गरीब जनजाति के रूप में कोरकू जनजाति को देखा जाता है इसलिए ज्यादातर कोरकू जनजाति गरीबी के अधीन हैं और अभी तक विकास के अधिकार से वंचित रही हैं।

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यह जनजाति समुदाय अभी भी महिलाएं सभी घरेलू कर्तव्यों का पालन करती हैं, जबकि पुरुषों को परिवार के प्रधान के रूप में माना जाता है, जो घर के सारे लेन देन के कार्यों को देखते हैं। कोरकू जाती के अधिकांश लोग एक बड़े संयुक्त परिवार में रहते हैं।

इतनी आधुनिकता और सरकार की अनेक योजनाओ के बाद भी यह जनजाति कई प्रकार की समस्याओ से झूझ रही है इसका कारण बढ़ती जनसख्याँ और संसाधनों का दिनों दिन खतना है।

सरकार की ओर से चलाई जा रही योजना इन तक नहीं पहुंच पाती क्यों की ये दूर दराज जंगल और दुर्गम स्थान पर रहते है।

जन सुविधा न पहुंच पाने की वजह से यह जन जाती शिक्षा से भी वंचित रह जाती है  और यह सिलसिला बरसो से चला आ रहा है लेकिन अब इस स्थिति में थोड़ा सुधर आ रहा है उम्मीद है बहोत जल्द ही सब के बराबर होंगे।

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आभूषण और कपड़े|Jewelry & Clothing

कोरकू जन-जाती की महिलाएं पारंपरिक रूप से, पीतल, लोहे और मिश्र धातु से बने आभूषण पहनती हैं। कोरकू समुदाय में थोड़ा ऊपरी वर्ग के लोग चांदी के आभूषण पहनते हैं।

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Photo Credit: Travel central india

उन्हें आमतौर पर उनके ऊपर गोदना (गोंदाई) देख सकते हैं। महिलाये लुगड़ा और चोली पहनती है। पुरुष में पारंपरिक धोती, बंडी और अंगोछा पहना जाता हैं।

घर और रहन सहन|Home and living

कोरकू जन-जाती के ज्यादातर परिवार गरीबी रेखा के अंतर्गत जीते है। जिनके घर बांस, लकड़ी और मिट्टी के बने होते है, जो झोपड़ी नुमा बने होते हैं। इनके ज्यादातर घर आमने सामने बने होते है इनका गांव बहोत ही छोटा होता है जहां ये शांति पूर्वक अपना जीवन व्यापन करते है।

लेकिन अब सरकार द्वारा चलाई जाने वाली प्रधान मंत्री आवास योजना के सहायता से अब सभी के घर बनाने लगे है। अभी भी बहोत से घरो में पारम्परिक रूप से चले चूले पर ही खाना बनता है।

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खाना पान|Food and Drink

यह जनजातीय समुदाय अधिकतर पहाड़ी क्षेत्र में निवास करते है, इसलिए उनके मुख्य भोजन में ज्वार, बाजरा, मक्का और कुटकी होते हैं।

इनका भोजन बहोत ही पोस्टिक होता है क्यों की ये जैविक खेती पर निर्भर रहते है, अपनी भूख मिटाने के लिए वे मांस, मछली, केकड़ा और पक्षी भी खाते हैं।

व्यवसाय|Business

इन आदिवासी समुदायों का मुख्य व्यवसाय कृषि, पशुपालन, मछली पकड़ना और जानवरों का शिकार करना हैं। ये अक्सर जीविका के अनुसार खेती और पशुपालन करते है।

कोरकू जाती के लोग अधिकतर भूमि हिन् होते है, जिनकी जीविका मजदूरी पर आधारित होती है। इनके गांवो में आज भी लगभग हर घर में मुर्गिया और बकरिया पाली है।  

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धार्मिक आस्था और त्यौहार|Religious Beliefs and Festivals

आदिवासी समुदाय के अंतर्गत आने वाले सभी जाती के लोगो की भगवान शिव के आपार श्रद्धा हैं, भगवान भोले नाथ को ये अपना ईस्ट देव मानते है।

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इसके आलावा अनेक देवी देवताओ की पूजा करते है। कोरकू समुदाय के त्योहारों में से अधिकांश हिंदू धर्म से सम्बंधित हैं। वे दशहरा, दिवाली, होली जैसे प्रमुख भारतीय त्योहार मनाते हैं।

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