पातालकोट छिन्दवाड़ा जिले के तामिया विकास खंड के अंतर्गत आता है यह तामिया से पूर्वोत्तर दिशा में 20 किमी की दूरी पर घने जंगलो में स्थित है। पातालकोट घाटी लगभग 80 किमी वर्ग के क्षेत्रफल में फैली हुई है।
इसकी इतनी अधिक गहराई के कारण इसे ‘पातालकोट’ (संस्कृत में पाताल में बहुत गहरा) के नाम से जाना जाता है।पातालकोट सतपुड़ा पर्वत शृंखला में घने जंगलो के बीच एक सुंदर जगह है जो एक घाटी में 1500-1700 फीट की गहराई पर स्थित है। यह 22.24 से 22.29 ° उत्तर और 78.43 से 78.50 ° पूर्व पर स्थित है।
पतालकोट घाटी में दूधी नाम की नदी में बहती है। यह घाटी अनेक ऊचे-ऊचे पहाड़ो से घिरी हुए है, और इसके भीतर स्थित गाँवो जाने के लिए बहोत से पैदल दुर्गम मार्ग है।
और पढ़े: तामिया, छिंदवाड़ा का स्वर्ग/ Tamia, Paradise Of Chhindwara
यहाँ की चट्टानें ज्यादातर आर्कियन युग से सम्बंधित हैं जो लगभग 2500 मिलियन वर्ष पुरानी हैं, पातालकोट अपनी भौगोलिक सरचना, प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी संस्कृति का केंद्र बिंदु है।
यह स्थान अपनी मूल संस्कृति और रीति-रिवाजों को लंबे समय तक बाहरी दुनिया से दूर रहा है। यह स्थान कुछ साल पहले तक एक ऐसी दुनिया था जिसका विकशित दुनिया से कोई सम्बन्ध नहीं था।
पातालकोट में सिर्फ दोपहर के समय ही कुछ घंटो के लिए धुप पहुंच पाती है और बरसात के दिनों में तो यहाँ बादलो का डेरा होता है तो उस समय धूप बहोत ही काम आती है।
और पढ़ें: पेंच नेशनल पार्क छिंदवाड़ा/Pench National Park Chhindwara
शाम के समय जल्दी ही यहाँ अंधेरा छा जाता है. पातालकोट अद्भुत और रहस्यमयी, हरियाली से परिपूर्ण स्थान है जहाँ अंनत शांति की अनुभूति की जा सकती है।
एक पौराणिक कथा भी पातालकोट नाम के साथ जुड़ी हुई है। मान्यता के अनुसार, रावण का पुत्र, राजकुमार मेघनाथ भगवान शिव की पूजा करने के बाद इस गाँव में पाताल लोक को गया था।
अभी के वर्षों में, सरकार पातालकोट को इको-टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाने की निरन्तर कोशिश कर रही है जिसका असर अब रहा है। मानसून के मौसम पर्यटकों के लिए एक यह एक लोकप्रिय स्थान बनता जा रहा है।
और पढ़ें: कोरकू (आदिवासी) जनजाति, छिंदवाड़ा/ Korku (Tribal) Tribe, Chhindwara
क्योंकि बरसात के मौसम में यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और भी खूबसूरत हो जाती है। हर साल अक्टूबर से जनवरी के महीने के दौरान सतपुड़ा एडवेंचर स्पोर्ट्स फेस्टिवल नामक एक समारोह आयोजित किया जाता है। जिसमे अनेक प्रकार के एडवेंचर स्पोर्ट्स किये जाते है जिसमे भाग लेने दूर-दूर से लोग आते है।
वर्तमान में यहाँ पर आदिवासी और भार्या जन-जाती के लोग सहरीकरण से दूर शांति पूर्ण यहाँ रहते है। पातालकोट में बहुत सी दुर्लभ और प्रभावशाली औषधियो का भंडार भी है। यहां निवास करने वाली जनजातियों के पास कई जटिल बीमारियों के उपचार हैं।
इस पातालकोट की घाटी में कुल 12 गांवो आते है। जिनमे पारम्परिक रूप से प्रकृति के बीच में आदिवासी जाती के लोग रहते है। अब सरकार इन लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए पक्की सड़क, प्राथमिक विद्यालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पशु चिकित्सा स्वास्थ्य केंद्र आदि की सुविधा कर रही हैं।
प्राकृतिक सुंदरता और एडवेंचर से भरे टूर के लिए पातालकोट बहोत उपयुक्त है।
3 thoughts on “पातालकोट, छिंदवाड़ा का पाताललोक।।Patalkot, The Hades of Chhindwara”